वैंकेया नायडू ने कहा हमें सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं, चिदंबरम और मनमोहन हैं असफल अर्थशास्त्री
वैंकेया नायडू ने कहा कि चिदंबरम और मनमोहन असफल अर्थशास्त्री हैं।
नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री वैंकेया नायडू ने कहा है कि हमें किसी से सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। वो पत्रकारों से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की ओर से लगाए गए आरोपों पर टिप्पणी कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मैं मनमोहन सिंह और चिदंबरम की ओर से की गई आलोचना से आश्चर्यचकित नहीं हूं क्योंकि ये दोनों असफल अर्थशास्त्री हैं।
दरअसल, बीते दिनों आई एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यूपीए सरकार द्वारा फरार शराब कारोबारी विजय माल्या की कंपनी, किंगफिशर को घाटे से उबारने के लिए तात्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, वित्त मंत्रालय औ उसके अधिकारियों ने मदद की थी।
जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने सोमवार को एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि विजय माल्या को लोन यूपीए शासन के दौरान दिया गया था। इस दौरान संबित पात्रा ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के साथ विजय माल्या के बीच पत्राचार और पत्रों को भी मीडिया के सामने रखा।
पात्रा के मुताबिक किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक रहे विजय माल्या ने लोन को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात थी। पर मनमोहन ने इस बावत विजय माल्या को शीर्षस्थ नौकरशाह से बात करने को कहा था। बाद में मनमोहन के निर्देश पर ही विजय माल्या उनके एडवाइजर टी.के.नायर से मिले थे।
पात्रा ने बताया कि विजय माल्या ने मनमोहन सिंह और चिदंबरम को दो चिट्ठियां लिखीं थी। उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को विजय माल्या ने पहला पत्र 4 अक्टूबर 2011 को और दूसरा पत्र 22 नवंबर 2011 को लिखा था, जबकि पूर्व वित्तमंत्री पी.चिदंबरम को विजय माल्या ने 21 मार्च 2013 और 22 मार्च 2013 को दो पत्र लिखे थे।
पात्रा ने दावा किया कि 4 अक्टूबर 2011 को पीएम मनमोहन सिंह को लिखे अपने पहले पत्र में विजय माल्या ने किंगफिशर एयरलाइंस को मदद करने पर खुशी जाहिर की थी। विजय माल्या ने पत्र में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को कहा था कि उन्होंने किंगफिशर एयरलाइन की मदद की, इस बात की उन्हें काफी खुशी है। इस आरोप के जवाब में मनमोहन सिंह ने सोमवार को ही एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि मैंने जो भी किया वो नियमों के विरुद्ध नहीं था। मैंने जो भी किया था मैं उससे संतुष्ट हूं।
मनमोहन ने कहा कि सभी प्रधानमंत्रियों और अन्य मंत्रियों से तमाम उद्योग के मालिकों को मदद की दरकार होती है और हम एक नियमित प्राधिकरण के तहत उनकी मदद करते हैं। माल्या के मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि यह सामान्य लेनदेन है। जिस पत्र की बात हो रही है वो सिवाय एक सामान्य पत्र के होने के और कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी भी सरकार में मेरी जगह होता कोई होता तो इस पत्र के साथ निपटता। यह सिर्फ एक सामान्य पत्र है।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने यह भी कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था,अच्छी हालत में नहीं है। अतंरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास बेहतर अवस्था में नहीं होगा। मनमोहन ने पूछा कि नौकरियां कहां है?
इसी प्रेस वार्ता में पूर्व वित्त मंत्री पी चिंदबरम ने कहा कि यूपीए की 5 साल के सरकार के दौरान 8.5 फीसदी की दर से विकास हुआ। हमारे शासन काल के दौरान 1 करोड़ 40 लाख लोग गरीबी की रेखा के बाहर हुए। साथ ही ये वो आंकडे़ जिसका अनुकरण सभी सरकारों को करना चाहिए।
जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अबदुल्ला ने वैंकेया नायडू की इस टिप्पणी पर एतराज जताया है। कहा है कि मनमोहन सिंह को असफल अर्थशास्त्री कहना, अब तक की सबसे खराब टिप्पणी है।
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