डीयू में वीर सावरकर की लगी मूर्ति, NSUI के छात्रों ने पोती कालिख, जूतों की माला पहनाई
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नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्याल के नॉर्थ कैंपस में मंगलवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह और वीर सावरकर की मूर्ति को लगाया गया है। इस मूर्ति को एक पिलर पर लगाया गया है जिसे एबीवीपी की की अगुवाई में दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्र संगठन ने लगाया था गौर करने वाली बात यह है कि खुद दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन यह कह चुका है कि इस पिलर को उनकी अनुमति के बगैर यहां लगाया गया है। डूसू के अध्यक्ष शक्ति सिंह ने कहा कि हमने विश्वविद्यालय प्रशासन को कई बार इसकी अनुमति के लिए पत्र लिखा था, हमने पिछले वर्ष नवंबर माह में, इस वर्ष मार्च, अप्रैल, अगस्त में पत्र लिखा, लेकिन हमे कोई जवाब नहीं दिया ग गया। लिहाजा हमने इसे खुद से लगाने का फैसला लिया।
इस मूर्ति को लगाए जाने का कांग्रेस की छात्र ईकाई एनएसयूआई ने विरोध शुरू कर दिया। मूर्ति का विरोध करते हुए एनएसयूआई के छात्रों ने सावरकर की मूर्ति पर कालिख पोत दी है, साथ ही मूर्ति को जूतों की माला पहना दी है। एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव साएमन फारूकी ने कहा कि एबीवीपी सावरकर को अपना गुरू मानती है, यह वही सावरकर हैं जिन्होंने ब्रिटिश सरकार के सामने दया की भीख मांगी थी, उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया था, तिरंगा फहराने से इनकार किया था, संविधान को ठुकरा दिया था, मनुस्मृति और हिंदू राष्ट्र की मांग की थी।
यही नहीं एक अन्य व्यक्ति ने इस मूर्ति का विरोध करते हुए लिखा है कि आज सावरकर की मूर्ति लगाई है कल नाथूराम गोडसे की मूर्ति को लगाया जाएगा। तमाम विरोध के बीच एनएसयूआई की ओर से ट्वीट करके लिखा गया है कि वीडी सावरकर ने ब्रिटिश राज के सामने दया की गुहार लगाई थी, उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के खिलाफ काम किया था। डीयू में सावरकर की मूर्ति को लगाकर इतिहास के साथ छेड़छाड़ की गई है, सावरकर की तुलना सुभाष चंद्र बोस, भगवत सिंह के साथ नहीं की जा सकती है।
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