तूतीकोरिन: जानिए वेदांता के स्टरलाइट कॉपर प्लांट पर बवाल की पूरी वजह, शुरू से आखिर तक
नई दिल्ली। तमिलनाडु में तूतीकोरिन शहर में वेदांता के स्टरलाइट कॉपर यूनिट के खिलाफ लोगों का गुस्सा भड़का हुआ है। करीब 100 दिनों से सैकड़ों की संख्या में लोग इस यूनिट के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। मंगलवार को अचानक ही ये प्रदर्शन हिंसक हो गया। हालात उस समय बेकाबू हो गये जब प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कलेक्टर कार्यालय की घेराबंदी कर कॉपर यूनिट को बंद किए जाने की मांग की। इस दौरान पुलिस के साथ झड़प में 11 लोगों की मौत हो गई, वहीं कई लोग घायल भी हुए हैं। दूसरी ओर इस मामले पर बुधवार को मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने सुनवाई की, जहां कोर्ट ने स्टरलाइट इंडस्ट्रीज के नए कॉपर स्मेल्टर के कंस्ट्रक्शन पर रोक लगा दी है। आखिर तूतीकोरिन के स्टरलाइट कॉपर यूनिट के खिलाफ लोगों का गुस्सा क्यों भड़का हुआ?
इसलिए भड़का है लोगों का गुस्सा
वेदांता के स्टरलाइट कॉपर यूनिट के खिलाफ करीब 100 दिनों से स्थानीय लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका आरोप है कि प्लांट की वजह से इलाके में पीने का पानी प्रदूषित हो रहा है। इस प्लांट से हो रहे प्रदूषण के चलते यहां रहने वाले लोगों को गंभीर बीमारियां हो रही हैं। इसी के खिलाफ लोगों ने एकजुट होकर प्लांट का विरोध शुरू किया और इसे बंद करने की मांग की जा रही है।
वेंदाता लिमिटेड का है प्लांट पर नियंत्रण
तूतीकोरिन के जिस स्टरलाइट कॉपर यूनिट का विरोध लोगों की ओर से किया जा रहा है इसका संचालन और नियंत्रण वेदांता लिमिटेड करता है। जानकारी के मुताबिक इस प्लांट में हर साल 4,00,000 टन कॉपर कैथोड बनता है। कंपनी इसे बढ़ाकर 8,00,000 करना चाहती है। फिलहाल ये प्लांट 27 मार्च से बंद है। मेंटेनेंस काम की वजह से पहले इसे 15 दिनों के लिए बंद किया गया था। इस प्लांट के खिलाफ लोगों की नाराजगी इससे होने वाले प्रदूषण की वजह से है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का क्या कहना है
जहां एक ओर स्टरलाइट कॉपर यूनिट के खिलाफ लोग प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी कंपनी पर बड़ी कार्रवाई की। तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अप्रैल में यूनिट संचालन का लाइसेंस देने से मना कर दिया। बोर्ड ने कहा कि कंपनी स्थानीय पर्यावरण कानून का पालन नहीं कर रही है। बोर्ड के फैसले के खिलाफ कंपनी ने इसे आगे चुनौती दी। इस संबंध में प्रदूष नियंत्रण बोर्ड ने इस मुद्दे पर सुनवाई की अगली तारीख 6 जून तय की है।
कंपनी पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का आरोप
तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का आरोप है कि स्टरलाइट कॉपर यूनिट से निकलने वाला कॉपर स्लैग कंपनी सीधे नदी में डाल देती है। इतना ही नहीं प्लांट के पास मौजूद बोरवेल के पानी का ग्राउंडवॉटर एनालिसिस भी कंपनी की ओर से नहीं कराया जाता है। यही वजह है कि यहां का पानी प्रदूषित हो रहा है। ये कोई पहली बार नहीं है जब कंपनी पर कार्रवाई की गई हो, इससे पहले जून 2013 में भी राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण में एक मामले में कंपनी को बंद किया था।
कंपनी का क्या कहना है
पूरे मामले पर स्टरलाइट कॉपर के सीईओ पी. रामनाथ का कहना है कि प्लांट में राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI) और सुप्रीम कोर्ट के सभी निर्देशों का पालन किया जाता है। उन्होंने यह भी दावा किया कि अब वहां इंटरनेशनल फाइनेंस कॉर्पोरेशन के भी मानकों का पालन किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि यूनिट से कोई भी प्रदूषण नहीं हो रहा है। कंपनी का साफ कहना है कि लोग आकर प्लांट में देख सकते हैं। अफवाहों और अधूरी जानकारी पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
कंपनी के दावों को नकारा
भले ही कंपनी से जुड़े अधिकारी प्लांट को लेकर सफाई दे रहे हों, लेकिन इस प्लांट का विरोध कर रहे संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं ने इस सफाई को नहीं माना है। कार्यकर्ताओं कहना है कि प्लांट से होने वाला प्रदूषण प्लांट के अंदर नहीं, बल्कि बाहर हो रहा है। इसका खामियाजा स्थानीय लोगों को चुकाना पड़ रहा है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी जो इस यूनिट का समर्थन कर रहे हैं। उनकी कोशिश है कि प्लांट दोबारा शुरू हो।
कॉपर के दामों में भारी उछाल
तमिलनाडु के तूतीकोरिन में स्टरलाइट कॉपर यूनिट को लेकर संग्राम छिड़ा है। दूसरी ओर कॉपर की कीमतों में तेज उछाल आया है। जानकारी के मुताबिक देश के प्राइमरी कॉपर बाजार में 35 फीसदी हिस्सा इसी प्लांट का है। खाड़ी और एशिया के दूसरे देशों में कॉपर निर्यात भी यहीं से होता है। देश में भी कॉपर की खपत पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है।
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