वायु साइक्लोन: साल दर साल और अधिक विनाशकारी होते जायेंगे चक्रवात
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बेंगलुरु। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि अगले 24 घंटों के भीतर चक्रवात अरब सागर से सटे भारत के तटीय इलाकों में घुस जायेगा। चक्रवात के भारत में प्रवेश करते ही 170 से लेकर 200 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से तेज़ हवाएं चलने की आशंका है। साथ ही भारी बारिश, जिसके चलते तटीय इलाकों को खाली करा लिया गया है। लेकिन अगर वैज्ञानिकों की मानें, तो आने वाले समय में वायु से भी विनाशकारी चक्रवात भारत में आ सकते हैं। इसकी वजह है निरंतर दूषित हो रहा पर्यावरण। चलिये चर्चा करते हैं उन रिपोर्ट्स की जो हाल के वर्षों में रिलीज़ हुईं। साथ ही हम यह भी बतायेंगे कि मौसम में हो रहे ये बदलाव भारत पर कैसे असर डाल सकते हैं।
प्रदूषण कैसे बनाता है चक्रवात को विनाशकारी
वैज्ञानिकों के अनुसार जब तापमान बहुत अधिक होता है, तब वातावरण में मौजूद पानी यानी नमी बादलों में अधिक मात्रा में एकत्र हो जाता है। जितना अधिक तापमान, उतना अधिक पानी। जब चक्रवात आता है, तो वही पानी बाढ़ के रूप में अपना कहर बरपाता है। और तो और समुद्री स्तर के बढ़ने के कारण तटीय इलाकों में अधिक क्षति होने की आशंका बनी रहती है।
चक्रवात
'वायु':
एएआई
ने
24
घंटे
के
लिए
बंद
किए
गुजरात
के
पांच
बड़े
एयरपोर्ट
वायु
प्रदूषण,
जिसके
कई
कारण
हो
सकते
हैं,
की
वजह
से
अरब
सागर
में
उठने
वाले
चक्रवात
आने
वाले
समय
में
और
घातक
हो
सकते
हैं।
कारण
यह
कि
वायु
प्रदूषण
उस
बल
को
कम
कर
देता
है,
जो
चक्रवात
को
बनने
से
रोकता
है।
नेशनल ओशियानिक एंड एटमॉस्फियारिक एडमिनिस्ट्रेशन के वैज्ञानिक डा. जेम्स कोसिन कहते हैं कि अरब सागर के ऊपर वायु प्रदूषण के कारण समुद्र की वो हवाएं कमजोर पड़ रही हैं, जो चक्रवात को बनने से रोकती हैं। खास तौर से मॉनसून के पहले। और इसके ऊपर जब तापमान अधिक होता है, तब अधिक तीव्रता वाले चक्रवात बनते हैं। अरब सागर की बात करें तो पिछले कई वर्षों में इस पर उठने वाले चक्रवात निरंतर तीव्र होते जा रहे हैं। आने वाले समय में और अधिक विनाशकारी हो सकते हैं। ऐसा इसलिये भी क्योंकि अधिक तापमान होने पर चक्रवात के अंदर स्थितिज ऊर्जा (पोटेंशियल एनर्जी) बढ़ जाती है साथ ही हवा की गति भी तेज़ हो जाती है।
भारतीय महासागर पर चक्रवात
वैश्विक स्तर पर समुद्री स्तर करीब 19 सेंटीमीटर तक बढ़ गया है। इसके चलते उत्तरी भारतीय महासागर में चक्रवात की पुनरावृत्ति बढ़ने की आशंका है। समुद्र के बीच छोटी लहरें भी भयावह रूप ले सकती हैं।
वैज्ञानिकों ने इसके पीछे ग्लोबल वॉर्मिंग को जिम्मेदार ठहराया है। हालांकि इस बात की पुष्टि अब तक नहीं हुई है कि अरब सागर में वायु जैसे चक्रवात और जल्दी-जल्दी आयेंगे।