कब सुधरेगी घाटी की संचार व्यवस्था,देश परेशान
नई
दिल्ली
(विवेक
शुक्ला)कश्मीर
के
हालात
तो
चिंताजनक
बने
हुए
हैं,
पर
एक
बात
यह
भी
है
कि
वहां
की
संचार
व्यवस्था
पूरी
तरह
से
चौपट
है।
वहां पर फंसे लोगों के पास कोई चारा नहीं है कि वे अपने संबंधियों से बात कर सके। सरकार से यही अपेक्षा है कि वह जल्द से जल्द वहां की संचार व्यवस्था को बहाल करे ताकि जिनके परिजन वहां फंसे हैं, उनकी खैर खबर मिल सके।
हालात
सुधारने
की
कोशिशें
संचार
मंत्रालय
के
सूत्रों
न
बताया
कि
कश्मीर
में
संचार
व्यवस्था
को
दूर
करने
की
हरचंद
कोशिशें
हो
रही
है।
लेकिन,
यह
बताना
मुमकिन
नहीं
है
कि
हालात
कब
तक
पूरी
तरह
से
बहाल
हो
जाएंगे।
बेशक,सेना, अर्द्धसैनिक बल और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन के लोग दिन रात राहत कार्यों में जुटे हैं। बाढ़ क्षेत्र में फंसे पचास हजार से अधिक लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है परन्तु खाने-पीने और रहने की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। जम्मू-कश्मीर की यह प्राकृतिक आपदा सच में बहुत भयावह है।
बढ़ रही हैं मुसीबतें
वरिष्ठ
लेखक
ओमकार
चौधरी
ने
बताया
किउनके
लिए
निजी
तौर
पर
ये
चिंता
का
समय
है
क्योंकि
बेटा
अंकुर
अपने
अन्य
सहयोगियों
के
साथ
एक
फिल्म
की
शूटिंग
के
लिए
इस
आपदा
से
दो
दिन
पहले
श्रीनगर
पहुंचा
था।
शनिवार
की
रात
तक
उससे
फोन
पर
संपर्क
बना
हुआ
था।
हम
लोग
यह
जानकर
संतुष्ट
थे
कि
वह
सुरक्षित
स्थान
(
होटल
)
पर
है।
शनिवार को वहां संचार व्यवस्था ठप हो गई। तब से कोई संपर्क नहीं है और किसी भी तरह की खैर खबर नहीं मिल पा रही है। चौधरी ने एक मीडिया संवाददाता से उनसे संपर्क साधा तो उन्होंने बताया कि वह सुबह जाकर शाम की फ्लाइट से वापस दिल्ली लौट आते हैं। वहां उनके मोबाइल फोन भी काम नहीं करते हैं। दिक्कत ये है कि अंकुर और उसके सहयोगी किस होटल में रुके हैं, हम लोग यह भी नहीं पूछ सके।
राजधानी में जम्मू-कश्मीर भवन के अधिकारी ने बताया कि उनके पास रोज सैकड़ों लोग फोन करके अपने परिजनों के बारे में पूछ रहे हैं। पर उन्हें हम भी कोई जलाव नहीं दे पा रहे हैं क्योंकि वहां पर संचार व्यवस्था चौपट हो चुकी है।