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वैक्सीन संकट टीकाकरण में बढ़ाएगा असमानता, जानिए आबादी के किस हिस्से पर होगा सबसे ज्यादा असर ?

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नई दिल्ली, 11 मई। केंद्र सरकार ने 1 मई से सभी वर्गों को कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण के लिए उम्र की बाध्यता को हटाते हुए इसे 18 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों के लिए मंजूरी दे दी है। लेकिन इसके बाद से देश में लगातार वैक्सीन की कमी बनी हुई है और अभी तक लोगों को वैक्सीनेशन के लिए स्लॉट मिलना बहुत ही मुश्किल बना हुआ है। कई राज्यों में टीके की कमी बनी हुई है और राज्य आपूर्ति बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। आशंका जताई जा रही है जो स्थिति अभी बनी हुई है इससे टीकाकरण में आगे चलकर और असमानता आ सकती है।

Coronavirus Vaccine

वैक्सीन बाजार में मांग और आपूर्ति को लेकर भारी अंतर बना हुआ है। इसका असर टीकों के वितरण पर भी पड़ रहा है। बड़े शहरों की अपेक्षा छोटे शहरों में अस्पतालों तक शॉट्स की पहुंच मुश्किल बनी हुई है। वहीं ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों में टीकाकरण अभियान और पीछे हो सकता है।

वैक्सीन आपूर्ति बड़ा मुद्दा
वैक्सीन की आपूर्तिकर्ताओं के अनुसार इन वजहों के साथ ही अस्पतालों की वैक्सीन की खरीद और शिपमेंट की व्यवस्था करने की क्षमता भी अभियान पर असर डाल सकती है।

इसके साथ ही वैक्सीन को विकेंद्रीकृत रूप से पहुंचने के लिए कोविन पर रजिस्ट्रेशन भी एक मुद्दा है जिसके चलते भी टीकाकरण को बाधा पहुंच सकती है। यह सुदूर क्षेत्रों में जहां पर कोविन जैसे प्लेटफॉर्म का संचालन और यहां तक पहुंच अभी भी एक बड़ी समस्या है, एक बड़ी आबादी को टीके से दूर कर सकता है।

केंद्र की नई गाइडलाइन में 18 से 44 साल उम्र वालों को टीकाकरण के लिए कोविन के जरिए ही रजिस्ट्रेशन अनिवार्य बना दिया गया है। इस व्यवस्था के चलते शहरी क्षेत्रों में इस आयु वर्ग वालों को अधिक लाभ होगा क्योंकि अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में टेलीसेवाओं की पहुंच बहुत कम है। बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्यप्रदेश जैसे देश की एक बड़ी आबादी को समेटे राज्य आज भी टेलीसेवाओं में फिसड्डी बने हुए हैं।

58 फीसदी ही इंटरनेट यूजर
ट्राई के मुताबिक देश में टेलीसेवाओं के उपयोग का प्रतिशत 87 है। इसमें दिल्ली, हिमाचल, केरल, पंजाब, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कर्नाटक में 100 प्रतिशत टेलीसेवाओं की पहुंच हैं। ट्राई यह भी बताती है कि 100 लोगों में 58 लोग ही इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं जो यह बताने के लिए काफी है कि आज भी एक बड़ी आबादी के बाद इंटरनेट ही नहीं है। इसके बाद भी समस्या है क्योंकि जिन लोगों के पास इंटरनेट है भी उनके लिए डिजिटल साक्षरता बड़ा मुद्दा है। ऐसे में ये लोग कैसे अपना रजिस्ट्रेशन करवा पाएंगे ये सवाल बना हुआ है।

टीकाकरण के रजिस्ट्रेशन के लिए कोविन पोर्टल ही एकमात्र तरीका है लेकिन यह पोर्टल केवल अंग्रेजी भाषा में ही संचालित हो रहा है। सुदूर क्षेत्रों और अलग-अलग भाषा क्षेत्रों में रहने वाले लोग कैसे इसका इस्तेमाल करेंगे यह चिंता भी बनी हुई है।

50% वैक्सीन उत्पादन की खरीद के निर्णय के साथ, केंद्र ने राज्य सरकारों और निजी स्वास्थ्य सेवा केंद्रों को शेष खुराक के लिए उनके हाल पर छोड़ दिया है। निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाता, कॉरपोरेट अस्पताल और राज्य सरकारें अब टीकों की व्यवस्था के लिए खुद प्रयास कर रही हैं। इसके साथ ही निर्माण में देरी और राज्यों को अधिक कीमत पर वैक्सीन भी एक समस्या बनी हुई है।

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English summary
vaccine shortage may hit rural india and smaller hospital
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