स्टडी: देश की 50% जनसंख्या को देनी होगी कोरोना वैक्सीन
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के खिलाफ अलग-अलग देशों में दर्जन भर से अधिक कोविड-19 वैक्सीन के ट्रायल चल रहे हैं। इधर कोरोना वायरस को लेकर एक नया शोध सामने आया है। जिसमें कहा गया है कि, कोरोना वैक्सीन देश की 50 फीसदी जनसंख्या को देने की आवश्यकता है, भले ही वैक्सीन देने की क्षमता 100 फीसदी क्यों ना हो। ऐसा करने से संक्रमण की चेन को तोड़ा जा सकता है और महामारी को टाला जा सकता है।
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इस आधार पर होगा वैक्सीनेशन
अमेरिका के वैज्ञानिकों की ओर से तैयार किए गए इस अध्ययन में कहा गया है कि, डिसीज प्रीवेंशन पॉलिसी को तैयार करने के लिए किसी वैक्सीन की कवरेज और उसकी प्रभावकारिता दो महत्वपूर्ण मापदंड हैं। वैक्सीन कवरेज का अर्थ जनसंख्या में कितने प्रतिशत लोगों को वैक्सीन दी गई है और वैक्सीन प्रभावकारिता का अर्थ है कि अनवैक्सीनेटेड ग्रुप की तुलना में वैक्सीनेटेड समूह में वैक्सीन के प्रभाव से बीमारी में कितनी प्रतिशत तक कमी आ रही है।
वैक्सीन के बाद पहले जैसी नहीं होगी दुनिया
कुछ लोग जल्द से जल्द वैक्सीन लगाने पर जोर दे रहे हैं ताकि जीवन सामान्य हो सके। न्यूयॉर्क के सिटी यूनिवर्सिटी के मुख्य इंवेस्टिगेटर ब्रुस वाई ली का कहना है कि अगर वैक्सीन बन भी जाती है तो इसका मतलब यह नहीं कि आप वापस अपना पुराना जीवन जी सकते हैं, जैसा कि महामारी से पहले था। हमें उचित अपेक्षाएँ निर्धारित करनी होंगी। ली ने कहा कि वैक्सीन एक दूसरे उत्पाद की तरह ही है, जिसे इस्तेमाल करने के बाद यह देखना होगा कि क्या उससे बीमारी को कम करने में मदद मिल रही है या नहीं।
वैक्सीन की क्षमता कम से कम 70 फीसदी होनी चाहिए
अध्ययन में पाया गया कि एक महामारी को रोकने के लिए वैक्सीन की क्षमता कम से कम 70 फीसदी होनी चाहिए और दूसरे उपायों के बिना बीमारी को रोकने के लिए कम से कम 80 फीसदी क्षमता होनी चाहिए। शोध में कहा गया है कि वैक्सीन की क्षमता की सीमा 70 फीसदी तक बढ़ सकती है, जब वैक्सीन कवरेज 75 फीसदी गिरेगी और वैक्सीन क्षमता 80 फीसदी बढ़ेगी जब कवरेज 60 फीसदी तक गिरेगी। जब भी वैक्सीन की कवरेज 50 फीसदी तक गिरेगी तो इससे महामारी के उच्च स्तर को खत्म करना संभव नहीं होगा।
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