VIDEO: मुख्यमंत्री के कहने पर सस्पेंड की गई महिला शिक्षिका का छलका दर्द, रोते हुए रखी अपनी बात
नई दिल्ली। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के जनता दरबार में एक महिला शिक्षिका ने अपने ट्रांसफर को लेकर जिस तरह से अपना विरोध दर्ज कराया, उसके बाद मुख्यमंत्री ने महिला शिक्षिका को तुरंत सस्पेंड करने का आदेश दे दिया। सीएम के आदेश पर कार्रवाई के बाद सस्पेंड की गई शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा सामने आई और अपनी बात रखी। इस दौरान वो भावुक भी हो गई।
'आखिर 'इसे' क्या होता, क्या मैं गई गुजरी चीज हूं'
निलंबित शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा ने कहा कि जब मैं अपनी बात रख रही थी तो सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि 'इसे' बाहर ले जाओ। उन्होंने कहा कि आखिर 'इसे' क्या होता, क्या मैं गई गुजरी चीज हूं, मुझे कोई पूछने वाला नहीं है। रोते हुए उत्तरा पंत बहुगुणा ने कहा कि मेरे पति नहीं हैं, भाई नहीं हैं तो मेरा कोई पूछने वाला नहीं है। जब एक मुख्यमंत्री एक महिला शिक्षिका को 'इसे' कह सकते हैं तो एक महिला शिक्षिका क्यों नहीं जवाब दे सकती है। मैं ईमानदारी से नौकरी कर रही हूं। अनुशासन में रहकर नौकरी कर रही थी। मुझे भ्रष्टाचार के दलदल में धकेल दिया। आखिर क्या हो रहा है, जो जितना ईमानदार उस पर उतनी ही गाज गिर रही है।
पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा- सस्पेंशन रद्द हो
जहां एक ओर निलंबित महिला शिक्षिका ने अपना विरोध दर्ज कराया है, दूसरी ओर इस मामले में राजनीति गरमा गई है। उत्तराखंड के पूर्व सीएम ने हरीश रावत ने कहा कि हमारा सिस्टम कितना असंवेदनशील हो गया है कि एक विधवा शिक्षिका को 25 साल तक रिमोट एरिया में तैनात किया, जिससे की कोई भी उसकी बात नहीं सुने। पूर्व सीएम ने कहा कि उसका निलंबन रोका जाना चाहिए।
जनता दरबार में गरमाया मामला
पूरा मामला तब सामने आया जब महिला शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा सीएम के जनता दरबार में पहुंची। महिला ने मुख्यमंत्री से कहा कि उसका ट्रांसफर रिमोट लोकेशन में कर दिया गया है, महिला ने बताया कि उसे इस तरह के इलाकों में पिछले 25 साल से तैनात किया गया है। मुख्यमंत्री ने जब महिला की अपील को खारिज कर दिया तो उत्तरा पंत बहुगुणा ने मुख्यमंत्री से बहस करनी शुरू कर दी, जिसके बाद सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपना आपा खो दिया और कई बार माइक्रोफोन पर कहा कि सस्पेंड करो इसे अभी, इसे पुलिस हिरासत में लो।
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