शेल्टर होम में बच्चों के यौन शोषण के मामलों में यूपी टॉप पर -NCPCR
नई दिल्ली: राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के पास शेल्टर होम में बच्चों के साथ यौन शोषण और यातना के जो मामले सामने आए हैं। इसमें एक तिहाई उत्तर प्रदेश के हैं। पिछले तीन सालों में बच्चों के साथ दुर्व्यवहार के 43 मामले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के सामने आए थे। इनमें साल 2018-19 में सर्वाधिक 26 मामले आए। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने राज्यसभा में बीजेपी के सांसद अमर शंकर सेबल के एक सवाल के जवाब में ये जानकारी दी।
एनसीपीसीआर के अधिकारियों ने कहा कि शेल्टर होम में बच्चों के शोषण की शिकायतों के बाद केंद्रीय और राज्य अधिकारियों द्वारा विस्तृत पूछताछ की जाती है। इसके बाद पूरी तरह से पुलिस जांच हो, ये सुनिश्चित किया जाता है। एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानोंगो ने समाचार पत्र को बताया कि अज्ञात व्यक्तियों द्वारा भी शिकायतें आती हैं और दुख की बात है कि ज्यादातर मामलों में अधिकतर मामले सही होते हैं। भोपाल के बाल अधिकार कार्यकर्ता भीम रायचंद ने कहा कि मुझे संदेह है कि शेल्टर होम में दुर्व्यवहार इन संख्याओं की तुलना में ज्यादा है।
डब्ल्यूसीडी मंत्रालय की रिपोर्ट में क्या
पिछले साल डब्ल्यूसीडी मंत्रालय के अधिकारियों की एक टीम द्वारा शेल्टर होम्स की समीक्षा के बाद एक रिपोर्ट में इस तरफ ध्यान दिला गया था। इसमें बताया गया कि रात के समय शेल्टर होम्स में अधिकतर बच्चों को छोड़ दिया जाता है और उन्हें अनुशासित करने के लिए शारीरिक दंड दिया जाता है। रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि इन जगहों पर बच्चों को पर्याप्त भोजन नहीं दिया जाता है। इसके अलावा इन बच्चों को पर्याप्त चिकित्सा या कानूनी सहायता प्रदान नहीं की जाती है। इन्हें सही शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण के बिना सालों तक रखा जाता है। बाल संरक्षण संस्थानों का कोई सामाजिक ऑडिट नहीं किया गया है। 2016-17 में की गई मैपिंग के बाद, सरकार को पहली बार पता चला कि 7,909 रजिस्टर्ड शेल्टर होम हैं। लेकिन ऐसे घरों के लिए एक देशव्यापी सोशल ऑडिट अभी भी पूरा किया जाना है।
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