गुजरात के बाद अब BJP शासित इस राज्य में भी गरीब सवर्णों को मिलेगा 10% आरक्षण
लखनऊ। बीजेपी शासित गुजरात और झारखंड के बाद अब यूपी की योगी सरकार (yogi Government) ने भी ऐलान किया है कि वह सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षा में सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण (10 Percent Reservation) व्यवस्था को लागू करेगी। शुक्रवार को प्रदेश सरकार ने इस मसौदे को अपनी मंजूरी दे दी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की
इसके लिए यूपी की योगी सरकार ने केंद्र द्वारा घोषित 10% आरक्षण की योजना का आधार बनाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की। इस व्यवस्था का फायदा अब तक आरक्षण व्यवस्था से वंचित उत्तर प्रदेश के सामान्य वर्ग के लगभग 4 करोड़ लोगों को मिलेगा, जो कुल आबादी का करीब 20% हैं। केंद्र सरकार द्वारा पारित सवर्ण आरक्षण को लागू करने वाला उत्तर देश का तीसरा राज्य बन गया है।
बजट सत्र में सरकार इसे पारित कर सकती है
खास बात यह है कि कानून बनने के बाद ही गजट नोटिफिकेशन होगा और उसके बाद सवर्ण आरक्षण जमीन पर उतर सकेगा। इस प्रक्रिया को अपनाए बिना सवर्ण आरक्षण को जमीन पर नहीं उतारा जा सकता है। यह भी संभव है कि बजट सत्र में इसको विधेयक के रूप में पेश करके पारित कराया जाए। यूपी सरकार फरवरी में बजट पेश करेगी। उत्तर प्रदेश से पहले गुजरात और झारखंड सवर्ण आरक्षण को लागू को लागू कर चुके हैं। हालांकि ये 10% आरक्षण एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग के लिए पहले से लागू 49% आरक्षण से अलग है। इसलिए मौजूदा वर्ग के आरक्षण हितों पर कोई असर नहीं होगा। आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग के तमाम-वर्ग-जाति संप्रदाय के लोगों को 10 फीसदी अतिरिक्त आरक्षण मिलेगा।
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7 जनवरी को मोदी सरकार ने किया था इस आरक्षण का ऐलान
सवर्ण वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरी में 10 फीसदी आरक्षण देने के फैसले पर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 7 जनवरी को मुहर लगाई। इसके बाद आरक्षण व्यवस्था को लागू करने के लिए 8 जनवरी को लोकसभा में संविधान का 124वां संशोधन विधेयक 2019 पेश किया गया था। लंबी बहस के बाद यह विधेयक लोकसभा में पास हो गया। इसके अगले दिन राज्यसभा में इस संशोधन विधेयक को पेश किया गया और लंबी बहस के बाद यहां भी पास कर दिया गया। दोनों सदनों से बिल पास होने के बाद मंजूरी के लिए राष्ट्रपति कोविंद के पास भेजा गया। जहां राष्ट्रपति कोविंद ने भी बिल पर हस्ताक्षर कर अपनी मंजूरी दे दी।