उत्तर प्रदेश में ओबीसी नेताओं पर भाजपा की निगाह, कई बड़े नेता हो सकते हैं पार्टी में शामिल
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में अब पिछड़ी जातियों के वोटरों को लुभाने के लिए ओबीसी नेताओं की तरफ देख रही है। भाजपा को हराने के लिए सूबे में एकजुट हुए विपक्षी दलों से मुकाबले के लिए भाजपा ऐसा कर रही है। खलीलाबाद लोकसभा सीट से से दो बार सांसद रहे बसपा के भालचंद्र यादव के जल्दी ही भाजपा में शामिल हो सकते हैं। पडरौना से सांसद रह चुके बालेश्वर यादव के भी जल्द भाजपा में आने की चर्चा है।
कई यादव नेता आ सकते हैं भाजपा में
माना जा रहा था कि 28 जून को पीएम मोदी की संत कबीर की 500वीं पुण्यतिथि पर होने वाली रैली में भालचंद्र यादव उनके साथ स्टेज पर दिख सकते हैं और उनके भाजपा में शामिल होने का एलान हो सकता है। हालांकि वो गुरुवार की रैली में यादव भाजपा में शामिल नहीं हुए। पार्टी में शामिल होने को लेकर बातचीत फाइनल ना होना इसकी वजह बताई जा रही है।
भाजपा यूपी में काट सकती है 25 से 35 मौजूदा सांसदों के टिकट
भालचंद्र यादव की अपने क्षेत्र में अच्छी पकड़ मानी जाती है। उनकी भाजपा के जनरल सेक्रेटरी भूपेंद्र यादव से दिल्ली में मुलाकात भी हुई है। एक और पूर्व सांसद बालेश्वर यादव भी जल्दी ही भाजपाई हो सकते हैं। सूत्रों की मानें तो एंटी इंकम्बेंसी से पार पाने के लिए भाजपा उत्तर प्रदेश में 30 से 40 फीसदी मौजूदा सांसदों के टिकट काट सकती है। ऐसे में पार्टी को जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश होगी, खासतौर से ओबीसी और दलित नेताओं को लेकर भाजपा मजबूत होना चाहती है।
कई विपक्षी नेता भाजपा आलाकमान के संपर्क में
भालचंद्र यादव 1999 और 2004 में खलीलाबाद से एमपी रहे हैं। 2008 में लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी ने दो और सांसदों रमाकांत यादव और शाहिद अखलाक के साथ भालचंद्र को अयोग्य घोषित कर दिया था। वहीं दूसरे नेता बालेश्वर यादव के भी भाजपा में आने की चर्चा है। बालेश्वर पडरौना से सांसद रह चुके हैं, माना जा रहा है कि ज्यादा उम्र उनकी भाजपा में एंट्री में रोड़ा बन रही है। इनके अलावा दूसरी पार्टियों के कुछ प्रभावी नेताओं की भी भाजपा आलाकमान से बातचीत चल रही है।