बिजली वितरण कंपनियों को राहत के लिए उत्तर प्रदेश ने मांगे 20,940 करोड़
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश सरकार ने पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) और रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन (आरईसी) से 20,940 करोड़ रुपए मांगा है। केंद्र की आत्मनिर्भर योजना के तहत पावर सेक्टर को लिक्विडिटी के लिए ये पैसा राज्य सरकार चाहती है। इस योजना के तहत किसी भी राज्य की बिजली वितरण कंपनी की ओर से ये सबसे बड़ा ऋण आवेदन है।
आत्मनिर्भर योजना के तहत बिजली वितरण कंपनियों के लिए बड़ी राहत देते हुए उन्हें 90 हजार करोड़ रुपये के राहत पैकेज देने का ऐलान किया है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों पावर फाइनेंस कॉरपोर्रेशन (पीएफसी) और ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) के जरिये यह राशि उपलब्ध कराई जाएगी। तमिलनाडु ने केंद्र से कर्ज लेने की सीमा में ढील देने को कहा है और 20,622 करोड़ रुपए का लोन मांगा है। बिजली मंत्रालय ने छूट के लिए कैबिनेट से संपर्क किया है। माना जा रहा है कि केंद्र इस मामले में जल्द ही कदम उठा सकता है। अभी तक आरईसी लिमिटेड और पीएफसी को 46,400 करोड़ रुपए के ऋण आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 34,300 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं।
आंध्र प्रदेश के लिए अभी तक 6,600 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं, जिनमें से 3,286 करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं। तेलंगाना को 12,650 करोड़ रुपये, जिनमें से 5,436 करोड़ रुपये का वितरण किया गया है। महाराष्ट्र को 5,000 करोड़ रुपए मंजूर किए गए, जिसमें 2,500 करोड़ रुपए का वितरण किया गया है। ये पैसा बिजली वितरण कंपनियों को पीएफसी और आरईसी द्वारा सीधे दिया जा रहा है।
इसके अलावा जो कर्ज मंजूर किए गए हैं। उसमें मणिपुर को 111 करोड़ रुपए, पंजाब को 4,000 करोड़ रुपए, राजस्थान को 4,063 करोड़ रुपए, पश्चिम बंगाल को 1,021 करोड़ रुपए और उत्तराखंड को 800 करोड़ रुपए दिए गए हैं। वहीं उत्तर प्रदेश को लोन की प्रक्रिया अभी चल रही है। उत्तर प्रदेश के अलावा, जम्मू और कश्मीर के लिए 4,580 करोड़, कर्नाटक को 7,246 करोड़ और ओडिशा के 309 करोड़ रुपए के आवेदन भी मिले हैं।