यूपी में 'लव जिहाद' से जुड़े अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती
नई दिल्ली। यूपी सरकार के लव जिहाद अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को चुनौती दी गई है। याचिका दाखिल कर अध्यादेश को असंवैधानिक घोषित करने और अथॉरटीज को उसे लागू न करने का निर्देश देने के लिए कहा गया है। याचिकाकर्ता का तर्क है कि कानून मनमाना है और बोलने और धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है। यह याचिका दो वकीलों और एक कानून शोधकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दायर याचिका में कहा गया है कि अध्यादेश संविधान के तहत मौलिक अधिकारों के खिलाफ हैं। यह किसी व्यक्ति का अधिकार है कि वह अपने जीवन साथी का चयन करे और सरकार नागरिकों के इन अधिकारों के खिलाफ काम नहीं कर सकती है। अध्यादेश का दुरुपयोग किसी को भी गलत तरीके से फंसाने के लिए किया जाएगा और अराजकता पैदा करेगा।
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बता दें कि हाल ही में उत्तर प्रदेश में लव-जिहाद और धर्म धर्मांतरण की घटनाओं को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार ने सख्त कदम उठाया है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 को मंजूरी दी गई थी। जिसके बाद से लगातार इस कानून के खिलाफ लोग विरोध कर रहे हैं।
यूपी सरकार का कहना है कि इस कानून का मक़सद महिलाओं को सुरक्षा देना है। इसके तहत लालच ,झूठ बोलकर या ज़ोर ज़बरदस्ती किये गए धर्म परिवर्तन या शादी के लिए किए गए धर्म परिवर्तन को अपराध माना जाएगा। इस कानून के लागू होने के बाद छल-कपट व जबरन धर्मांतरण के मामलों में एक से दस वर्ष तक की सजा हो सकती है। खासकर किसी नाबालिग लड़की या अनुसूचित जाति-जनजाति की महिला का छल से या जबरन धर्मांतरण कराने पर।
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