उत्तर प्रदेश चुनाव: अमेठी की असल जंग किसके बीच?
उत्तर प्रदेश की हाई प्रोफ़ाइल अमेठी सीट पर चार बड़े दलों के उम्मीदवार जीत का दावा कर रहे हैं. पर जनता क्या कह रही है?
ज़्यादातर सड़कें अभी भी 'सिंगल लेन' हैं लेकिन ट्रैफ़िक बढ़ गया है, दुकानें बढ़ गई हैं और भीड़ भी कई गुना हो चुकी है. लेकिन, चुनाव का माहौल क़तई नहीं है. कोरोना काल में प्रचार और मजमेबाज़ी पर थोड़ी बहुत पाबंदी अभी भी है.
पिछले छह लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अमेठी कवर करने और इस बार में एक फ़र्क़ ज़रूर है. अब यहां किसी भी पुराने चुनाव की तुलना में भारतीय जनता पार्टी के झंडे-बैनर ज़्यादा दिखते हैं. ज़ाहिर है, अब अमेठी की सांसद भाजपा की स्मृति ईरानी हैं, कांग्रेस के राहुल गांधी नहीं.
मुंशीगंज चौराहे पर चाय और क्रीम रोल बेचने वाले गुलफ़ाम अहमद ने बताया, "चुनाव तो अब सिर्फ़ पार्टियों के मतलब भर का रह गया है. जनता पहले भी सिर्फ़ वोट के लिए पूछी जाती थी, आज भी वही है. फिर नोटबंदी और अब कोरोना ने हम ग़रीबों की क़मर तो तोड़ ही रखी है".
लेकिन हमेशा की तरह इस बार भी अमेठी का चुनाव दिलचस्प है. कभी गांधी-नेहरू परिवार का गढ़ रहे इस क्षेत्र में इस बार भी सियासत है, ग्लैमर है और ख़ूब सारे वादे हैं.
अमेठी के पूर्व राजघराने की लगभग चुनाव में दख़ल या क़िस्मत-आज़माइश होती रहती है, इस बार भी है.
बीजेपी के उम्मीदवार संजय सिंह
इंदिरा गांधी के पुत्र संजय गांधी, राजीव और सोनिया गांधी और फिर राहुल गांधी के लिए अमेठी की संसदीय सीट छोड़ देने वाले राजपरिवार के संजय सिंह इस बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. लेकिन कांग्रेस नहीं भाजपा के टिकट पर.
कई बार कांग्रेस सांसद और केंद्रीय मंत्री रह चुके संजय सिंह पिछला लोकसभा चुनाव सुल्तानपुर से लड़े थे जहां उनके पुराने मित्र संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी ने उन्हें मात दी थी. उसके बाद उन्होंने अपनी दूसरी पत्नी अमिता सिंह के साथ कांग्रेस छोड़ भाजपा का रुख़ किया था.
संजय और राजीव गांधी के क़रीबी माने जाने वाले संजय सिंह ने पिछले तीन दशकों में लगातार कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों में केंद्रीय मंत्री और राज्य मंत्री के रूप में काम किया है.
उन्होंने कहा, "देखिए सरकार बहुत कुछ करती है लेकिन सबके लिए सब कुछ नहीं कर सकती. भाजपा की योगी जी की सरकार ने पांच साल में जो कहा था उसे लेकर हर कैंडिडट ख़ुद को लोगों के बीच में लेकर जाता है जिससे भरोसा और मदद मिले. मेरा अपना मानना है कि इस भाजपा सरकार ने 99.9% वो काम कर दिखाया है जो कहा था".
अमेठी क़रीब 40 साल तक गांधी-नेहरू परिवार का गढ़ रहा है जहां से संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल लोकसभा चुनाव जीतते रहे.
लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा की स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को हरा दिया था.
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कांग्रेस का दावा
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने हाल ही में पार्टी के मौजूदा उम्मीदवार आशीष शुक्ला के लिए अमेठी में एक बड़ा रोड शो भी किया है.
आशीष शुक्ला के लिए इस बार कांग्रेस से लड़ना 'घर वापसी' सा बताया जा रहा है क्योंकि इससे पहले वे कांग्रेस छोड़ कर बहुजन समाज पार्टी और भाजपा में भी शामिल हो चुके थे.
आशीष शुक्ला इस बात से इनकार करते हैं कि कांग्रेस राहुल गांधी की हार के बाद से अमेठी में क़मजोर पड़ती चली गई.
उनके मुताबिक़, "आप ग्रामीण क्षेत्र के अंदर जाएं जो सड़कें और व्यवस्थाएँ 20 साल पहले बनी थीं वो आज जर्जर हो चुकी हैं, बदहाल हैं. मेरी प्राथमिकता यही रहेगी की स्थानीय स्तर पर विकास हो."
वैसे विधानसभा के लिहाज़ से अमेठी एक बड़ा चुनाव क्षेत्र माना जाता है क्योंकि यहां कुल मतदाताओं की तादाद 3,48,656 है जिसमें 18-19 साल वाले नए मतदाताओं की संख्या 3,082 है.
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क्या कहते हैं अमेठी के लोग?
शहर के बीचोंबीच हमने एक कम्प्यूटर प्रशिक्षण केंद्र जाकर कुछ युवा छात्र-छात्राओं से बात की और ज़्यादातर की राय एक दूसरे से अलग है.
मिसाल के तौर पर 23 साल के राम शिव पांडे को लगता है, "राजनीतिक दल जो भी हों, उनकी नैतिक ज़िम्मेदारी यही होनी चाहिए कि युवाओं को रोज़गार मिलता रहे और राष्ट्रहित सुरक्षित रहे. ये काम मोदी और योगी सरकारों में बिल्कुल हुआ है."
राम शिव के साथ ही पढ़ने वाली नीलकमल पटेल इस बात से नाराज़ दिखीं कि, "वादे करने से पहले राजनेता ये क्यों नहीं सोचते कि उसे पूरा कैसे करेंगे."
उन्होंने कहा, "सांसद स्मृति ईरानी ने कहा था 490 रुपये में गैस सिलेंडर दिलवाएंगी, उसका क्या हुआ? 1,000 रुपये में मिल रहा है. चीनी का दाम 15 रुपये किलो करवाने को कहा था, अभी 40 की किलो मिल रही है."
गायत्री प्रजापति की पत्नी को टिकट
इधर समाजवादी पार्टी ने पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति की पत्नी महरजी देवी को टिकट दिया है.
पिछले चुनाव में भाजपा की गरिमा सिंह से हार गए गायत्री प्रजापति के लिए प्रचार करने ख़ुद अखिलेश यादव अमेठी आए थे लेकिन गायत्री मंच पर मौजूद नहीं थे.
अमेठी से एक बार विधायक रहे गायत्री प्रजापति रेप के मामले में दोषी पाए जाने के बाद से जेल में हैं और उनकी पत्नी इन दिनों उन्हें "निर्दोष और राजनीतिक साज़िश का शिकार" बताते हुए आम जनता से वोट की गुहार लगा रही हैं.
प्रचार के दौरान बात करते हुए महरजी देवी ने कहा, "हमारे पति बेक़सूर हैं और अमेठी में सब लोग इस बात को जानते हैं. इसलिए वो हमें वोट देंगे. विपक्षी हमारे परिवार के बारे में अफ़वाह फैलाते हैं, बस."
2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर 66.32% मतदान हुआ था और स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि 27 फ़रवरी को पांचवे चरण वाले मतदान में अमेठी का प्रतिशत बढ़ भी सकता है.
वैसे बहुजन समाज पार्टी आज तक अमेठी के किसी भी चुनाव में खाता नहीं खोल सकी है. लेकिन, इस बार उन्होंने यहां से एक महिला प्रत्याशी- रागिनी तिवारी को टिकट दिया है.
अपने प्रचार के दौरान हंसमुख स्वभाव वाली रागिनी लोगों से "बदलाव की मांग" कर रही हैं.
अमेठी बाइपास के पास हुई बातचीत में रागिनी ने मुस्कुराते हुए कहा, "शायद किसी को याद नहीं कि अमेठी को ज़िले का दर्जा तभी मिला था जब उत्तर प्रदेश में मायावती की बसपा सरकार थी. इस क्षेत्र ने कांग्रेस, भाजपा और सपा को मौक़ा दिया अब देख लीजिएगा, बारी बसपा की ही है."
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