जल संकट से जूझ रहे बुंदेलखंड में दलितों का दर्द, उच्च जाति के लोग छूने तक नहीं देते हैंडपंप
नई दिल्ली। पानी की कमी से जूझ रहे उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में दलितों को दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन की ओर से जो पानी के टैंकर भेजे जा रहे हैं, वो ज्यादातर उच्च जाति के लोगो की बहुलता वाले इलाकों में पहुंच रहे हैं। हैंडपंप भी ज्यादातर उच्च जाति के लोगों के इलाकों में ही लगवाए गए हैं। ऐसे में कुछ लीटर पानी के लिए दलितों को कई-कई किमी चलना पड़ रहा है। इतना ही नहीं उनको पानी के टैंकर से भी दूर ही रहने को कहा जाता है। जो पानी उनके बर्तन में डाला जाता है, उसी को लेकर उन्हें आना पड़ता है।
कुछ लीटर पानी के लिए कई-कई किमी चल रहे दलित
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, तेंदुरा गांव के दलितों का कहना है कि जो हैंडपंप लगवाए गए हैं वो सभी उच्च जाति के लोगों के घरों के पास हैं। वो हैंडपंप छूने तक से भी मना कर देते हैं। ऐसे में दूसरे गावों में चलकर जाते हैं, जहां दलितों के घरों के पास पंप हैं। पानी के लिए कई-कई किमी चलना पड़ता है।
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लाठी लेकर पंप पर खड़े हो जाते हैं उच्च जाति के लोग
दलितों का कहना है कि पानी लगातार कम हो रहा है, ऐसे में अगर सवर्ण लोग पानी देते भी हैं तो सिर्फ एक बाल्टी ही देते हैं। हैंडपंप के पास वो लोग लाठी लेकर खडे़ हो जाते हैं। उच्च जाति के लोगों का कहना है कि पानी की चोरी हो रही है। ऐसे में ध्यान रखा जा रहा है, वहीं उनका कहना है कि पानी कम है तो कैसे किसी और को भरने दें। प्रशासन का कहना है कि जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं हो रहा है, जहां से भी पानी की कमी की बात सामने आ रही है। टैंकर भेजे जा रहे हैं।
जल संकट से जूझ रहा है बुंदेलखंड
बुंदेलखंड पानी की भारी कमी से जूझ रहा है। एक तरफ जहां लोग पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं तो वहीं सूखे की वजह से किसानों की हालत चिंताजनक है। कई गांवो में भारी तादाद में लोग पानी की कमी के चलते पलायन तक कर गए हैं।
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