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बिस्मिल्लाह खां की बरसी पर साथ पढ़े गये सुंदरकांड और फातिया

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वाराणसी। कुछ लोग दुनिया में ऐसे होते हैं जो जीते-जी तो लोगों के लिए आदर्श होते ही हैं, मरने के बाद भी लोगों के लिए मिसाल बन जाते हैं, इन्हीं महान लोगों में नाम शामिल हैं भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां।

मजहब बैर नहीं सिखाता

शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खां जब तक जीवित रहे तब तक वो लोगों के बीच में भाईचारे, प्रेम और एकता का पाठ पढ़ाते रहे लेकिन आज जब वो हमारे बीच में नहीं है तब भी वो लोगों के दिलों में वो ही पाठ की अलख जगाये हुए हैं, जिसकी जीती जागती तस्वीर दिखी शुक्रवार को काशी में।

बिस्मिल्लाह खां की बरसी पर साथ पढ़े गये सुंदरकांड और फातिया

शुक्रवार को उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की नौवीं बरसी थी, जहां उनकी कब्र पर उनके परिवार वाले फातिहा पढ़ रहे थे वहीं बगल में उनके साथ उनकी कब्र पर उनके लिए सुंदरकांड का पाठ कर रहे थे उनके बड़े फैन नरेंद्र। मालूम हो कि उस्ताद साहब के बड़े प्रशंसक नरेंद्र ने चालीस साल तक खां का हर एक कार्यक्रम लाइव देखा है।

आईये उनकी बरसीं पर उनसे जुड़ी कुछ खास बातें जानते हैं..

बिहारी मुस्लिम परिवार

बिहारी मुस्लिम परिवार

बिस्मिल्ला खां का जन्म बिहारी मुस्लिम परिवार में पैगम्बर खाँ और मिट्ठन बाई के यहाँ बिहार के डुमराँव की भिरंग राउत की गली नामक मोहल्ले में हुआ था।

बिस्मिल्लाह का मतलब श्रीगणेश

बिस्मिल्लाह का मतलब श्रीगणेश

उनके दादा रसूल बख्श ने उनका नाम बिस्मिल्लाह रखा था जिसका मतलब होता है "अच्छी शुरुआत! या श्रीगणेश"

मजहब बैर नहीं सिखाता

मजहब बैर नहीं सिखाता

मुस्लिम होने के बावजूद बिस्मिल्ला खां काशी विश्वनाथ मंदिर में जाकर शहनाई बजाया करते थे, उन्होंने हमेशा ही कहा कि मजहब कभी बैर करना नहीं सिखाता।

लाल किले में शहनाई

लाल किले में शहनाई

बिस्मिल्ला खां देश के चुनिंदा कलाकारों में से एक हैं जिन्हें आजदी के मौके पर साल 1947 में लाल किले में शहनाई बजाने का मौका मिला था।

भारत रत्न

भारत रत्न

साल 2001 में बिस्मिल्ला खां को देश के सबसे बड़े अवार्ड भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

21 तोपों की सलामी

21 अगस्त 2006 को बिस्मिल्ला खां ने दुनिया को अलविदा कह दिया, वो चार साल से कार्डियेक रोग से परेशान थे। भारत सरकार ने उनके निधन को राष्ट्रीय शोक घोषित किया था और उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई थी।

बिस्मिल्लाह खां की बरसी पर साथ पढ़े गये सुंदरकांड और फातिया

बिस्मिल्लाह खां की बरसी पर साथ पढ़े गये सुंदरकांड और फातिया

शुक्रवार को उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की नौवीं बरसी थी, जहां उनकी कब्र पर उनके परिवार वाले फातिहा पढ़ रहे थे वहीं बगल में उनके साथ उनकी कब्र पर उनके लिए सुंदरकांड का पाठ कर रहे थे

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English summary
The very thought of shehnai brings Ustad Bismillah Khan to the mind. The legend passed away on August 21, 2006 owing to an unfortunate cardiac arrest.
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