अरुणाचल प्रदेश पर चीन को अमेरिका की दो टूक, 6 दशक से है भारत का हिस्सा
नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच एलएसी पर पिछले कई महीनों से विवाद चल रहा है। दोनों देशों की सेनाओं के बीच यहां तनाव कि स्थिति लगातार बनी हुई है। चीन अपना विस्तारवादी नीतियों से बाज नहीं आ रहा है। जिस तरह से चीन अरुणाचल प्रदेश को लेकर भ्रामक दावे करता है, उसका भारत हमेशा से पुरजोर विरोध करता आया है। अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन के भ्रामक दावे पर अमेरिका ने भारत का साथ दिया है। अमेरिका की ओर से चीन को दो टूक कहा गया है कि पिछले 6 दशक से अमेरिका ने माना है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा है।
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अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम वास्तविक नियंत्रण की स्थापित रेखा के पार सैन्य-असैन्य अवतरणों द्वारा, घुसपैठों द्वारा क्षेत्रीय दावों को आगे बढ़ाने के किसी भी एकतरफा प्रयास का पुरजोर विरोध करते हैं। अमेरिका की ओर से कहा गया है कि हम सिर्फ यह कह सकते हैं कि किसी भी तरह के सीमा विवाद को भारत-चीन के बीच बातचीत के जरिए सुलझाना चाहिए और सेना के इस्तेमाल से बचना चाहिए। बता दें कि पिछले महीने चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिन ने अरुणाचल प्रदेश को चीन का हिस्सा बताया था। उन्होंने कहा था कि चीन ने कभी भी अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं दी थी, यह दक्षिणी तिब्बत का इलाका है।
बात दें कि हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में चीन को अरुणाचल प्रदेश के मुद्दे पर दो टूका जवाब दिया था। राजनाथ सिंह ने राज्यसभा में कहा, 'चीन लगभग 90,000 स्क्वॉयर किलोमीटर की हमारी जमीन पर अपना दावा जताता है जो कि अरुणाचल प्रदेश के तहत आने वाली भारत-चीन सीमा के पूर्वी सेक्टर में आता है।पिछले कुछ दशकों में चीन ने बॉर्डर के इलाकों में अपनी तैनाती को मजबूत करने के लिए कई प्रकार के इंफ्रास्ट्रक्चर कार्यों को अंजाम दिया है। हमारी सरकार की तरफ से भी बॉर्डर के इलाकों में ढांचागत विकास के लिए बजट को बढ़ाया गया है। यह सच है कि हम लद्दाख में एक चुनौती के दौर से गुजर रहे हैं, लेकिन साथ ही मुझे पूरा भरोसा है कि हमारा देश और हमारे वीर जवान इस चुनौती पर खरे उतरेंगे। मैं इस सदन से अनुरोध करता हूं कि हम एक ध्वनि से अपनी सेनाओं की बहादुरी और उनके अदम्य साहस के प्रति सम्मान प्रदर्शित करें।'
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