इसरो के मिशन चंद्रयान की नासा ने की तारीफ, जताई ये उम्मीद
नई दिल्ली। इसरो का मिशन चंद्रयान-2 जिस तरह से चांद की सतह पर कदम रखने से महज कुछ कदम दूर रह गया है, उसके बाद अमेरिकी स्पेस एजेंसी ने इसरो के इस शानदार प्रयास को लेकर बड़ी बात कही है। इसरो के इस प्रयास पर नासा की ओर से कहा गया है कि हम भारत के इस मिशन से काफी प्रेरित हैं। इसके अलावा नासा ने कहा कि वह इसरो के साथ मिलकर काम करने की ओर देख रहा है, जिससे कि सोलर सिस्टम में एक साथ मिलकर नई तलाश की जा सके।
इसरो
की
तारीफ
नासा
की
ओर
से
ट्वीट
करके
कहा
गया
है
कि
अंतरिक्ष
काफी
मुश्किल
है,
हम
इसरो
के
प्रयास
की
तारीफ
करते
हैं,
जिस
तरह
से
मिशन
चंद्रयान
चांद
के
साउथ
पोल
पर
गया,
वह
शानदार
है।
आप
ने
हम
सभी
को
अपनी
इस
यात्रा
से
प्रेरित
किया
है
और
भविष्य
में
सोलर
सिस्टम
पर
संभावनाओं
की
तलाश
साथ
मिलकर
करने
की
उम्मीद
रखते
हैं।
बता
दें
कि
विक्रम
लैंडर
का
शनिवार
को
आखिरी
समय
पर
संपर्क
टूट
गया,
जिसकी
वजह
से
भारत
चांद
की
सतह
पर
कदम
रखने
से
चूक
गया।
चांद
की
सतह
से
महज
2.1
किलोमीटर
की
दूरी
पर
विक्रम
लैंडर
से
संपर्क
टूट
गया।
पीएम
मोदी
ने
की
सराहना
बता
दें
कि
विक्रम
लैंडर
सफलतापूर्वक
चंद्रयान-2
से
2
सितंबर
को
अलग
हो
गया
था।
लेकिन
चंद्रयान
2
अभी
भी
चांद
की
आर्बिट
में
स्थित
है
और
इसके
चक्कर
लगा
रहा
है।
धरती
के
23
दिन
तक
चक्कर
लगाने
के
बाद
स्पेसक्राफ्ट
ने
14
अगस्त
को
चांद
की
अपनी
यात्रा
को
शुरू
किया
था।
यह
मिशन
श्रीरिकोटा
स्थित
सतीश
धवन
स्पेस
सेंटर
से
22
जुलाई
को
शूरू
किया
गया
था।
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
ने
इसरो
के
वैज्ञानिकों
के
प्रयास
की
सराहना
करते
हुए
कहा
था
कि
आपने
देश
को
गौरवान्वित
किया
है,
चांद
तक
पहुंचने
की
देश
का
संकल्प
और
मजबूत
हुआ
है।
2.1
किलोमीटर
से
चूका
लैंडर
गौरतलब
है
कि
विक्रम
लैंडर
के
चांद
की
सतह
पर
लैंड
नहीं
कर
पाने
के
बाद
इसरो
चीफ
के
सिवन
ने
कहा
था
कि
'विक्रम
लैंडर
चंद्रमा
की
सतह
से
2.1
किलोमीटर
की
ऊंचाई
तक
सामान्य
तरीके
से
नीचे
उतरा।
इसके
बाद
लैंडर
का
धरती
से
संपर्क
टूट
गया।
आंकड़ों
का
विश्लेषण
किया
जा
रहा
है,
हालांकि
भारत
के
मून
लैंडर
विक्रम
के
भविष्य
और
उसकी
स्थिति
के
बारे
में
कोई
जानकारी
नहीं
हो,
लेकिन
978
करोड़
रुपये
लागत
वाला
चंद्रयान-2
मिशन
का
सबकुछ
खत्म
नहीं
हुआ
है।