'अबकी बार ट्रंप सरकार' कहने के बावजूद PM मोदी से मिलीं अमेरिकी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार तुलसी गबार्ड
नई दिल्ली- अमेरिका के ह्यूस्टन में 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'अबकी बार ट्रंप सरकार' का नारा लगाकर हजारों भारतीय-अमेरिकियों की मौजूदगी में डॉनल्ड ट्रंप के चुनाव प्रचार का आगाज कर दिया था। लेकिन, इसके बावजूद डेमोक्रेटिक पार्टी की राष्ट्रपति उम्मीदवार तुलसी गबार्ड ने आखिरी वक्त में बिना तय कार्यक्रम के प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात करके सबको चौंका दिया है। गौरतलब है कि गबार्ड अमेरिकी कांग्रेस के लिए चुनी जाने वाली पहली हिंदू अमेरिकी हैं। उन्होंने पीएम मोदी के भारत रवाना होने से पहले न्यूयॉर्क में अचानक मुलाकात की थी। बता दें कि 22 सितंबर को हाउडी मोदी कार्यक्रम में पीएम मोदी ने मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के लिए 'अबकी बार ट्रंप सरकार' का नारा लगाया था।
पीएम मोदी से मिलीं डेमोक्रेट उम्मीदवार
22 सितंबर को हाउडी मोदी इवेंट में शामिल नहीं हो पाने के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य पहले ही खेद जता चुके हैं। लेकिन, पार्टी ने पीएम मोदी के अमेरिका दौरे का गर्मजोशी से स्वागत किया था। लेकिन, शुक्रवार को पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार तुलसी गबार्ड जिस तरह से बिना पहले से तय कार्यकर्म के प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के लिए पहुंच गईं, उससे अमेरिका में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों चौंक गए। हालांकि, दोनों नेताओं की मुलाकात पूरी तरह से अनौपचारिक थी। 37 वर्षीय गबार्ड ने इसी साल 11 जनवरी को 2020 में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति की उम्मीदवार के तौर पर अपनी दावेदारी पेश की थी। उनका मुकाबला रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार मौजूदा राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के साथ होना है।
हिंदू राष्ट्रवादी कहने वालों के दे चुकी हैं मुंहतोड़ जवाब
गौरतलब है कि 4 बार की अमेरिकी सांसद तुलसी गबार्ड खुद को हिंदू राष्ट्रवादी बताए जाने को लेकर अपने आलोचकों पर पहले जोरदार पलटवार कर चुकी हैं। तब उनके आलोचकों ने उन्हें 'हिंदू राष्ट्रवादी' बताया था। एक धार्मिक न्यूज सर्विस को उन्होंने जवाब दिया था कि अमेरिका के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर सवाल उठाना दोहरा मापदंड है और इससे धार्मिक कट्टरता उजागर होती है। उन्होंने कहा था कि 'गैर-हिंदू नेताओं पर सवाल न उठाते हुए देश के प्रति मेरी प्रतिबद्धता पर सवाल उठाना दोहरा चरित्र दिखाता है, जिसकी जड़ें धार्मिक कट्टरता में देखी जा सकती है। क्योंकि मैं हिंदू हूं और वे नहीं हैं।' उन्होंने पूछा कि 'कल को क्या आप मुस्लिम या यहूदी अमेरिकन कहेंगे? जापानी हिस्पैनिक या अफ्रीकन अमेरिकन?
पहले भी हो चुकी है पीएम मोदी से मुलाकात
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी से उनकी मुलाकातों को लेकर हुई आलोचनाओं का वो खुलकर जवाब दे चुकी हैं। तब उन्होंने कहा था कि, 'लोकतांत्रिक रूप से चुने गए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मेरी मुलाकातों को असाधारण रूप से या कुछ संदिग्ध तरीके से पेश करने की कोशिश होती है, बावजूद इसके कि राष्ट्रपति ओबामा, सेक्रेटरी क्लिंटन और राष्ट्रपति ट्रंप और कांग्रेस के मेरे कई सहयोगी उन से मिल चुके हैं और उनके साथ काम कर चुके हैं।' बता दें कि 5 साल पहले 2014 में पीएम मोदी जब अमेरिका गए थे, तब भी गबार्ड ने उनका सम्मान किया था।
वैदिक रीति से कर चुकी हैं शादी
गौरतलब है कि तुलसी गबार्ड अमेरिका की पहली हिंदू लॉमेकर ही नहीं हैं वो चार-चार बार की कांग्रेस सदस्य हैं। लेकिन उन्होंने अपना धर्म नहीं छोड़ा है। वो अपनी शादी भी पूरी वैदिक रीति-रिवाज से कर चुकी हैं। वो कहती हैं, 'मुझे कांग्रेस के लिए चुने जाने वाली पहली हिंदू अमेरिकन और अब पहली हिंदू-अमेरिकी राष्ट्रपति उम्मीदवार होने का गर्व है।' वो कहती हैं एशिया में भारत, अमेरिका की नजदीकी सहयोगी है और इस देश का महत्त्व दुनिया में बढ़ता जा रहा है।
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