राष्ट्रपति ट्रंप को लगा जोर का झटका, WTO ने चीनी सामानों पर थोपे भारी टैरिफ को गैर-कानूनी बताया
नई दिल्ली। विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने मंगलवार को चीन के 250 बिलियन डॉलर के चीनी सामानों पर अमेरिका द्वारा थोपे गए अतिरिक्त शुल्क पर चीन द्वारा दर्ज शिकायत को सही ठहराया है और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उक्त फैसले को वैश्विक व्यापार नियमों के तहत गैर कानूनी बताते हुए अमेरिका से कहा है कि वह उपायों को दायित्वों के अनुरूप लाएं।
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डब्ल्यूटीओ ने मामले की समीक्षा के लिए ट्रिब्यूनल पैनल का गठित किया था
गौरतलब है पिछले साल जनवरी में एक डब्ल्यूटीओ ने मामले की समीक्षा के लिए एक ट्रिब्यूनल पैनल का गठित किया था, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा एक अरब डॉलर मूल्य वाले चीनी सामानों पर एक चौथाई शुल्क लगाने का निर्णय लिया था। वर्ष 2019 अमेरिका द्वारा चीन पर थोपे गए भारी शुल्क के बाद चीन और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध शुरू हो गए थे।
भारी शुल्क विश्व व्यापार संगठन के समझौतों का एक बड़ा उल्लंघन हैः चीन
चीनी प्रतिनिधि द्वारा डब्ल्यूटीओ में दर्ज अपनी शिकायत में बताया था कि अमेरिका द्वारा थोपे गए शुल्क विश्व व्यापार संगठन के समझौतों का एक बड़ा उल्लंघन है, जो बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के लिए चुनौती बन गए हैं। वहीं, अमेरिका ने इसके लिए बीझिंग को जवाबदेह ठहराते हुए डब्ल्यूटीए को पूरी तरह अपर्याप्त बताया है।
अनुचित व्यापार के खिलाफ खुद को बचाने की अनुमति दी जानी चाहिएःUS
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइटहाइजर ने एक बयान में कहा कि अमेरिका अनुचित व्यापार परंपराओं के खिलाफ खुद को बचाने की अनुमित दी जानी चाहिए और ट्रंप प्रशासन चीन को डब्ल्यूटीए का उपयोग करने की अनुमति नहीं देगा। शायद यह पहली बार हुआ है जब डब्ल्यूटीओ ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के इस फैसले पर सवाल ही नहीं, बल्कि उसे गलत ठहराया है।
विश्व व्यापार संगठन का यह फैसला अमेरिका के लिए बाध्यकारी नहीं है
विश्व व्यापार संगठन ने अमेरिकी की उस दलील को भी ठुकरा दिया है, जिसमें कहा गया था कि चीन गलत तरीके से अमेरिकी हितों को नुकसान पहुंचा रहा है। इसके अलावा संगठन ने यह भी मानने से इनकार कर दिया कि चीन अमेरिका के शोध और दूसरे इंटलएक्चुअल प्रॉपर्टी की चोरी कर रही है। हालांकि संगठन का यह फैसला अमेरिका के लिए बाध्यकारी नहीं, बावजूद इसके चीने के लिए यह फैसला काफी अहमियत रखता है।