आदिवासियों को भरोसा दिलाने के लिए एलन चाउ ने उतार दी थी अपनी पैंट!
पोर्ट ब्लेयर। पिछले दिनों अंडमान की सेन्टिनेलाइज जनजाति के हमले में मारे गए 27 वर्षीय अमेरिकी नागरिक एलेन जॉन चाउ के बारे में अभी तक चर्चाएं चल रही हैं। इंग्लिश डेली हिन्दुस्तान टाइम्स की ओर से दावा किया गया है कि एलेन इस जाति के साथ मिल जुलकर इसी द्वीप पर रहना चाहते थे। जॉन 17 नवंबर को दूसरी और आखिरी बार अपनी कोशिश को सफल बनाने के लिए नॉर्थ सेन्टिनेल द्वीप पर पहुंचे थे। एलेन इस जाति के लोगों को यह बताने की कोशिश कर रहे थे कि वह भी उनका ही हिस्सा हैं। कुछ मछुआरों की मदद से जॉन इस द्वीप पर पहुंचे थे। इस हिस्से को प्रतिबंधित हिस्सा माना गया है और यहां पर पर्यटकों या फिर किसी और को जाने की मंजूरी नहीं है।
40 से 200 सेन्टिनेलाइज
नॉर्थ सेन्टिनेल द्वीप करीब 40 से 200 सेन्टिनेलाइज जनजातीय वाले लोगों का घर है। यह दुनिया की आखिरी ऐसी प्रजाति है जिससे अभी तक संपर्क नहीं हो सका है। हिन्दुस्तान टाइम्स ने इस मामले की जांच कर रहे अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि तीन मछुआरों ने पुलिस को बताया है कि 16 नवंबर की रात जॉन ने एक बैग लिया और वह द्वीप पर ही कहीं छिप गए। इन तीनों मछुआरों को पुलिस ने हिरासत में लिया है और इनसे पूछताछ जारी है। जॉन के उस बैग में उनका पासपोर्ट, कपड़े, उनका कुछ सामान, फर्स्ट एड किट, मल्टी विटामिन और कुछ जरूरी सामान था जो वह अमेरिका से लेकर आए थे। चाउ ने खुद को उनके जैसा दिखाने के लिए अपनी अंडरवियर तक उतार दी थी।
यहीं रहना चाहते थे चाउ
मछुआरों ने पुलिस को जो जानकारी दी है उसके मुताबिक चाऊ को इस बात का भरोसा था कि अगर वह सेन्टिनेलाइज लोगों की तरह ही कपड़े पहनेंगे और उनकी तरह ही बर्ताव करेंगे तो वह उन लोगों का भरोसा जीत सकते हैं। उनके पास कुछ ऐसा सामान था जो इस काम में उनकी मदद कर सकता था। मछुआरों ने कहा कि चाउ उस द्वीप पर कई माह तक रहना चाहते थे। पुलिस की ओर से कहा गया है कि चाउ ने मछुआरों से कहा था कि उन्होंने एक वीडियो देखा है जिसमें 60 के दशक में जब सरकार की ओर से भेजी गई टीम यहां पर पहुंचती थी तो इस तरह के लोग टीम के ऑफिसर्स के कपड़े बड़ी उत्सुकता से छूते थे।पुलिस को इस बात के बारे में कुछ नहीं पता है कि चाउ का वह पैकेट कहा गया जो द्वीप पर उन्होंने छिपाया था। पुलिस के मुताबिक हो सकता है कि उसे सेन्टिनेलाइज लोगों ने नष्ट कर दिया हो और हो सकता है कि वह वहीं पर हो।
चाउ को लग रहा था डर
एक ऑफिसर की मानें तो चाउ को इस बात का डर भी था कि उन्हें दोबारा मारा जा सकता है। इसलिए उन्होंने अपने पास एक फोरसेप्स यानी एक तरह की कैंची जिसका प्रयोग डॉक्टर करते हैं, एक सेफ्टी पिन और एक दवाई रखी थी जिससे खून रुकने में मदद मिल सके। मछुआरों ने पुलिस को बताया कि सेन्टिनेलाइज ने 16 नवंबर को चाउ पर तीर से हमला किया था। यह तीन उनके पास मौजूद बाइबिल को चीरता हुआ निकल गया। यह चाउ पर हुआ पहला हमला था और इस हमले में उनकी काइक को भी नुकसान पहुंचाया। इसकी वजह से चाउ 300 से 400 मीटर तक तैरकर उस जगह पर पहुंचे जहां पर मछुआरे उनका इंतजार कर रहे थे। चाउ 17 नवंबर को फिर से उसी जगह पर गए और इस बार नाव पर एक नोट छोड़कर गए थे। इसमें लिखा था, 'मुझे डर लग रहा है, मैं मरना नहीं चाहता। यहां से निकलने में ही बुद्धिमानी होगी और मैं चाहता हूं कि कोई और मेरी जगह भगवान का संदेश इन लोगों तक पहुंचा दे।'