अमेरिका से आई भारतीय छात्रों के लिए खुशखबरी, USCIS ने किया बड़ा बदलाव
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नई दिल्ली। यूनाइटेड स्टेट्स सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (यूएससीआईएस) ने अपने पुराने फैसले बदलाव कर दुनिया भर के छात्रों को खुशखबरी दी है। यूएससीआईएस ने बदले नियमों के बारे में जो जानकारी दी है, उसके मुताबिक, अमेरिका में पढ़ने वाले छात्र अब 12 महीने की ऑप्शनल प्रैक्टिल ट्रेनिंग (OPT) के तहत काम भी कर सकेंगे। अमेरिका में पढ़ने वाले दूसरे देशों के वे छात्र जो साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथमेटिक्स में डिग्री पूरी कर चुके हैं, वे 24 महीने यानी दो साल तक ऑप्शनल प्रैक्टिल ट्रेनिंग के तहत काम कर सकेंगे। ओपन डोर्स सर्वे (2017) के मुताबिक, अमेरिका में लगभग 1.9 लाख भारतीय छात्र हैं।
न्यूयॉर्क स्थित इमिग्रेशन अटॉर्नी और लॉ फर्म के संस्थापक सायरस साइरेट मेहता ने बताया, 'यूएससीआईएस ने एसटीईएम-ओपीटी छात्रों की ऑफसाइट प्लेसमेंट से प्रतिबंध हटाकर अपने पिछले फैसले को उलट दिया है। यह भारतीय छात्रों के लिए बड़ी खुशी की बात है।'
शोध करने वाली संस्था प्यू की रिपोर्ट के मुताबिक, 2004 से 2016 के बीच अमेरिका में ऑप्शनल ट्रेनिंग प्रोग्राम के तहत काम करने वाले विदेशी छात्रों में भारतीय ग्रेजुएट की संख्या सबसे ज्यादा रही। इस समय में तकरीबन 15 लाख विदेशी छात्रों ने अमेरिका में काम किया।
प्यू रिसर्च सेंटर ने सरकारी आंकड़ों के आधार पर बताया कि इस सूची में चीन के छात्र दूसरे नंबर पर हैं। इसके बाद सूची में दक्षिण कोरियाई स्टूडेंट्स का नंबर आता है। प्यू रिसर्च सेंटर ने कहा कि ओपीटी के तहत अमेरिका में काम करने के लिए अधिकृत भारतीय छात्रों की हिस्सेदारी 4,41,400 यानी करीब 30 फीसदी रही।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2004 से 2016 के बीच ओपीटी में हिस्सा लेने वाले तकरीबन 56 फीसदी छात्रों ने निजी कॉलेज या यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की। चीन के छात्र इस सूची में 21 फीसदी आंकड़ों के साथ दूसरे स्थान पर रहे, जबकि दक्षिण कोरियाई छात्रों का प्रतिशत छह फीसदी रहा।
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