'ओपन स्काइज' संधि से अलग हुआ अमेरिका, ट्रंप ने रूस को ठहराया जिम्मेदार
वॉशिंगटन। कोरोना महामारी की भयानक संकट से जूझ रहे अमेरिका ने गुरुवार को लिए एक अहम फैसले से दुनिया भर को चौंका दिया है। ट्रंप प्रशासन ने गुरुवार को 'ओपन स्काइज' संधि से अलग होने की घोषणा की है। इस संधि के तहत रूस समेत 34 देशों को अपने विमान एक-दूसरे के क्षेत्र में उड़ाने की अनुमति है। यह संधि 2002 में की गई थी। ट्रंप प्रशासन ने इस संधि से बाहर होने की सूचना सभी अंतरराष्ट्रीय भागीदारों को दे दी है।
विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका ओपन स्काइज पर संधि से अलग होने के अपने फैसले का नोटिस ट्रीटी डिपोजिटरीज और इस संधि के सभी पक्षकारों को सौंपेगा। उन्होंने कहा, कल से छह महीने बाद अमेरिका इस संधि का हिस्सा नहीं रहेगा। अमेरिका ने कहा कि अगर रूस इस संधि का पूरी तरह से पालन करता है तो वह इससे अलग होने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करेगा।
बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि, रूस इस संधि का पालन नहीं कर रहा है। इसलिए जब तक वह इसका सही से पालन नहीं करता है तब तक हम इससे बाहर रहेंगे। लेकिन इसकी संभावना है कि हम नया समझौता करेंगे या इस समझौते में वापस आने के लिए कुछ करेंगे। आपको बता दें कि, इस संधि का उद्देश्य सैन्य गतिविधि के बारे में पारदर्शिता को बढ़ावा देना और हथियारों के नियंत्रण तथा अन्य समझौतों की निगरानी करना है।
अमेरिका के इस फैसले पर जर्मनी के विदेश मंत्री हेइको मास ने वाशिंगटन से इस फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि जर्मनी, फ्रांस, पोलैंड और ब्रिटेन ने अमेरिका को बार-बार समझाया था कि हाल के वर्षों में रूस के साथ जो समस्याएं हैं, वे संधि से बाहर निकलने को जायज ठहराने के लिये उचित नहीं हैं। बात दें कि, इस संधि का सदस्य भारत नहीं है। इस संधि में शामिल ज्यादातर देश उत्तर अमेरिका, यूरोप में तथा पश्चिम एशिया के है।
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