मशहूर उर्दू लेखक, व्यंगकार मुजतबा हुसैन का हैदराबाद में निधन
नई दिल्ली। मशहूर उर्दू लेखर, व्यंगकार मुजतबा हुसैन का आज सुबह हैदराबाद में निधन हो गया है। वो 84 साल के थे। हुसैन काफी दिन से बीमार चल रहे थे। बुधवार सुबह करीब 9 बजे दिल का दौरा पड़ने के बाद उनका निधन हो गया। मुजतबा हुसैन को मौजूदा दौर के बेहतरीन उर्दू लेखकों में शुमार किया जाता है। खासतौर से उनके व्यंगात्मक लेखन को काफी पसंद किया गया है।
इस दौर में उर्दू लेखन के हस्ताक्षर हुसैन ने करीब 54 साल उर्दू लेखन किया है। हुसैन ने दर्जनों किताबें लिखी हैं। उनकी किताबें कई राज्यों के उर्दू पाठ्यक्रमों में शामिल हैं। उनके लिखे हुए का हिंदी,कन्नड़ अंग्रेजी समेत कई अन्य भाषाओं में अनुवाद किया गया है। उनकी किताब 'अमेरिका घास काट रहा है' और यात्रा वृत्तांत 'जापान चलो, जापान चलो' काफी पढ़े गए हैं। उन पर देश में 12 स्कॉलर पीएचडी कर चुके हैं। मजतबा हुसैन को उर्दू साहित्य उनके योगदान के लिए 2007 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।
सीएए को लेकर वापस किया था पद्म सम्मान
बीते साल एनआरसी, सीएए को लेकर विरोध प्रदर्शनों के बाद देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ जो अन्याय होने की बात कहते हुए उन्होंने अपना पद्मश्री लौटा दिया था। बीते साल दिसंबर में मुजतबा हुसैन ने देश के हालात से व्यथित होकर कहा था, देश में अशांति और नफरत की जो आग भड़काई जा रही है, यह परेशान करने वाली है। जिस लोकतंत्र के लिए हमने इतना दर्द झेला और जिस तरह से इसे बर्बाद किया जा रहा है। इन परिस्थितियों में मैं किसी सरकारी पुरस्कार को अपने अधिकार में नहीं रखना चाहता। उन्होंने कहा था, मैं इस देश के भविष्य को लेकर अधिक चिंतित हूं। मैं इस देश की प्रकृति के बारे में चिंतित हूं जिसे मैं अपने बच्चों और अगली पीढ़ी के लिए छोड़कर जाऊंगा।
'महाराष्ट्र सरकार गिराने के मुंगेरीलाल के सपने देख रहे हैं मोदी और फडणवीस'