ना UPA, ना NDA! बिहार में लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर ये है उपेंद्र कुशवाहा का 'मास्टर स्ट्रोक'
नई दिल्ली। 2019 लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में सियासी घमासान लगातार नई करवट बदल रहा है। पहले एनडीए में शामिल बीजेपी-जेडीयू के बीच सीटों के तालमेल को लेकर विवाद की खबरें आ रही थीं, हालांकि दिल्ली में नीतीश कुमार और अमित शाह की मुलाकात के बाद सीट बंटवारे का फॉर्मूला फाइनल कर लिया गया। हालांकि इस फॉर्मूले से एनडीए में शामिल आरएलएसपी के मुखिया उपेंद्र कुशवाहा नाराज नजर आ रहे हैं। यही वजह है कि उन्होंने 2019 को लेकर नई प्लानिंग की शुरूआत कर दी है। जानकारी मिल रही है कि उन्होंने बिहार में एनडीए और यूपीए से अलग तीसरे मोर्चे की रणनीति पर काम करने शुरू कर दिया है। इसके लिए उन्होंने बिहार में एनडीए और यूपीए से अलग धड़ों के नेताओं से मुलाकात शुरू की है।
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नए मोर्चे की कवायद में जुटे उपेंद्र कुशवाहा
सूत्र बता रहे हैं कि बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन में अपनी मर्जी के मुताबिक सीटें नहीं मिलने से नाराज उपेंद्र कुशवाहा इससे अलग होने पर विचार कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में उन्होंने खास रणनीति के तहत तीसरे मोर्चे की गठन के जरिए अपना कद बढ़ाने की कवायद शुरू की है। इसके लिए उन्होंने हाल ही बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी से मुलाकात की है। साथ ही निषादों को आरक्षण दिलाने के लिए आंदोलन कर रहे मुकेश सहनी उर्फ सन ऑफ मल्लाह के साथ भी उन्होंने बैठक की है।
बिहार में अपना कद बढ़ाने की कवायद में उपेंद्र कुशवाहा
माना जा रहा है कि इन मुलाकातों का पूरा उद्देश्य नया गुट बनाने को लेकर है। तीनों नेताओं की इस मुलाकात के दौरान ये तय किया गया है सभी नेता ऐसे दल और नेताओं को एक मंच पर लाने की कवायद करेंगे जो कहीं न कहीं एनडीए या फिर यूपीए से अलग रहकर अपनी रणनीति बना रहे हैं। हालांकि इस मुद्दे पर अभी केवल चर्चा ही चल रही है, फाइनल फैसला आना बाकी है।
नीतीश कुमार और कुशवाहा के बीच सबकुछ ठीक नहीं
इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा एनडीए में सम्मानजनक सीट नहीं मिलने से नाराज हैं। दूसरी ओर बिहार में सत्ता संभाल रही जेडीयू से जुड़े सूत्रों ने साफ कर दिया है कि उपेंद्र कुशवाहा ने जो स्थिति पैदा की है, उसके बाद समझौते की गुंजाइश नहीं रह गई है। इस पूरे सियासी हंगामे के बीच आरजेडी सूत्रों ने कहा है कि अगर उपेंद्र कुशवाहा एनडीए से अलग होते हैं तो उन्हें महागठबंधन में जगह दी जा सकती है।
जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी उर्फ सन ऑफ मल्लाह से की मुलाकात
दूसरी ओर उपेंद्र कुशवाहा की रणनीति पर गौर करें तो माना जा रहा है कि वो जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी उर्फ सन ऑफ मल्लाह के साथ मिलकर एक मजबूत फ्रंट बनाने का दांव चल रहे हैं, जिसका पूरा उद्देश्य 2019 लोकसभा चुनाव में मजबूत दावेदारी पेश करने की है। इस मामले में अभी तक तीनों ही नेताओं की ओर से स्पष्ट तौर पर कुछ भी नहीं कहा गया है लेकिन अगर ये मोर्चा सामने आता है तो कहीं न कहीं ये एनडीए और यूपीए दोनों के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है।
नए मोर्चे को लेकर क्या है उपेंद्र कुशवाहा की पूरी रणनीति
नए मोर्चे के गठन को लेकर चल रही चर्चा के बीच बताया ये भी जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा, जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी उर्फ सन ऑफ मल्लाह, तीनों ही नेता अपनी-अपनी जातियों में बड़ा प्रभाव रखते हैं। आंकड़ा भी देखें तो प्रदेश में तीनों जातियों को मिलाकर करीब 15 फीसदी आता है, जिनका प्रभाव करीब 10 लोकसभा सीटों पर होता है। उपेंद्र कुशवाहा की प्लानिंग यही है कि प्रदेश में कांग्रेस और आरजेडी के नेतृत्व वाले गठबंधन की सीटें फाइनल होने के बाद बाकी सीटों पर उनके मोर्चे को चुनाव मैदान में उतारा जाए। फिलहाल ये मामला अभी चर्चा तक ही है। देखना होगा कि उपेंद्र कुशवाहा का ये दांव कितना कारगर साबित होता है?