UPSC: इंटरव्यू में पूछा गया, जुलूस के लिए हिंदू-मुस्लिम में किसका देंगी साथ? जानिए क्या दिया जवाब
नई दिल्ली। भारतीय प्रशासनिक सेवा का हिस्सा बनने का सपना लेकर कई युवा दिन-रात एक करते तैयारी करते हैं। प्री और मेंस की परीक्षा के लिए दिन रात पढ़ाई करते हैं। लिखित परीक्षा पास करने के बाद उनको इंटरव्यू राउंड के लिए बुलाया जाता है। हालांकि, इस इंटरव्यू के दौरान कई बार हालात के आधार पर सवाल पूछे जाते हैं। इसमें कैंडिडेट की समझदारी और हालात से निपटने की क्षमता परखी जाती है। इसी प्रकार के कुछ सवालों से यूपीएसएसी परीक्षा में 2017 में 350वीं रैंक लाने वाली साक्षी गर्ग का सामना हुआ।
साक्षी गर्ग से पूछा गया ये सिचुएशनल सवाल
साक्षी गर्ग से इंटरव्यू के दौरान ऐसे ही कुछ सिचुएशनल सवाल पूछे गए जिसका बहुत ही समझदारी से उन्होंने जवाब दिया और इस जवाब से इंटरव्यू ले रहे अधिकारी बहुत खुश हुए। साक्षी गर्ग इंडियन रेवेन्यू सर्विस में असिस्टेंट कमीश्नर के पद पर नियुक्त हैं। इंटरव्यू के बारे में साक्षी ने बताया कि उसने सवाल किया गया, 'मान लिजिए आपको जिलाधिकारी बना दिया जाए, आप यूपी की रहने वाली हैं, यो यूपी के किसी जिले में आपकी नियुक्ति डीएम के पद पर की गई है। मान लिजिए, एक ही दिन आपके पास हिंदू समाज आकर कहता है कि रामनवमी का जुलूस निकालना है, इसके बाद आपके पास मुस्लिम समाज आता है और कहता है कि उनको ताजिया निकालना है। दोनों की मांग है कि वह जुलूस एक ही रूट से निकालना चाहते हैं। बतौर जिलाधिकारी आप क्या करेंगी?'
'रामनवमी का जुलूस और ताजिया अलग-अलग समय पर निकाले जाएं'
इसका जवाब देते हुए साक्षी ने कहा कि वह दोनों पक्षों की भावनाओं का सम्मान करते हुए उनके नेताओं से बात करेंगी। उन्होंने कहा, 'अगर अलग-अलग रूट से जुलूस निकालना संभव नहीं है तो दोनों के समय में थोड़ा सा बदलाव कर दिया जाए, यानी रामनवमी का जुलूस और ताजिया अलग-अलग समय पर निकाले जाएं, जिसके किसी को भी परेशानी ना हो और हालात ना बिगड़ें। इस पर अधिकारी ने पूछा कि आपने कहा कि समाज में सभी लोग सहिष्णुता यानी शालीनता से रहते हैं, लेकिन मैं तो इस विचारधारा सहमत नहीं हूं क्योंकि आए दिन दंगे होते हैं और छोटी-छोटी बात पर लोग बेकाबू हो जाते हैं। अधिकारी ने कहा कि अगर एक दल जुलूस के समय में बदलाव पर राजी नहीं हुआ तो क्या करेंगी।
राजनीतिक दबाव पर क्या करेंगी, पूछा गया सवाल
इस पर उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी होने के नाते मेरे पास अधिकार हैं कि मैं दोनों दलों को मना भी कर सकती हूं और बोल सकती हूं कि यहां पर कोई जुलूस नहीं निकाले जाएंगे। उनके सामने अलग-अलग वक्त पर जुलूस निकालने का प्रस्ताव रखूंगी, अगर वे राजी नहीं होते तो परमिशन देने से इनकार कर सकती हूं। इस पर अधिकारी ने फिर सवाल किया और कहा यदि आप दोनों दलों के लोगों को मना करती हैं तो उनमें से एक दल का आयोजक विधायक का भाई है और बहुत प्रभावशाली है, वह भीड़ उसके साथ है और वह अपनी बात मनवाना चाहता है, ऐसे में क्या करेंगी। साक्षी ने कहा कि बतौर डीएम मुझे सामाजिक परिपेक्ष्य में काम करना होगा और मैं दोनों दलों को जुलूस निकालने के लिए मना कर दूंगी।
सीनियर को कैसे हैंडल करेंगी?
इसी पर अधिकारी ने कहा 10 साल सीनियर कमीशनर जुलूस निकालने की परमिशन देने को कहते हैं और दूसरे दल को मना करने को भी कहते हैं, तो आप क्या करेंगी? इसपर साक्षी ने कहा कि वे सीनियर से अपील करेंगी कि वह मुझे रिटेन में लिखकर दें क्योंकि ऐसा करने से अगर स्थिति बिगड़ती है और दंगे होते हैं तो वे भविष्य में जिम्मेदार नहीं होंगी। इसके बाद पूछा गया कि अगर आप लिखित में मांगती है तो आपके सीनियर आपसे नाराज हो सकते हैं जो आगे आपकी कैरेक्टर वॉल लिखेंगे और खराब फीडबैक लिखने पर आपको प्रमोशन में दिक्कत हो सकती है, फिर क्या करेंगी। सृष्टि ने रिटेन में लेने की बात दोहराई और कहा कि इस तरह के राजनीतिक प्रेशर आते रहेंगे। प्रमोशन तो उनके काम पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि अगर वे झूकती रहीं तो उनके काम के लिए ये नेगेटिव रहेगा। ऐसे में वे कमिश्नर के काम को लेकर भी लिखने से नहीं पीछे हटेंगी।