UPSC: 2020 में उम्र और प्रयास की सीमा पार कर चुके प्रत्याशियों को नहीं मिलेगा अतिरिक्त मौका-SC
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में कोरोना वायरस महामारी की वजह से एक और चांस देने और उम्र में भी राहत दिए जाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसे प्रत्याशियों को अतिरिक्त मौका नहीं मिलेगा, जिन्होंने अक्टूबर, 2020 की प्रारंभिक परीक्षा में अपने अंतिम प्रयास खत्म कर लिए हैं। तीन जजों की खंडपीठ ने सिर्फ एक शब्द में फैसला सुना दिया-खारिज; और इससे ज्यादा फैसला पढ़कर नहीं सुनाया। जहां तक सरकार की बात है तो वह पिछले साल अंतिम प्रयास वालों को एकबार का मौका और देने के लिए तो तैयार थी, लेकिन उम्र में छूट देने पर कतई सहमत नहीं थी।
उम्र और प्रयास की सीमा पार कर चुके प्रत्याशियों को झटका
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि 2020 में महामारी के चलते वह परीक्षा की तैयारी ठीक से नहीं कर सके थे। इसलिए वह एक अतिरिक्त मौका और उम्र में भी एक साल की छूट देने की मांग कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने देश के इस सबसे प्रतिष्ठित मानी जाने वाली प्रतियोगी परीक्षा के संबंध में दायर याचिका पर केंद्र सरकार से भी राय मांगी थी। शुरू में तो सरकार अपना सभी प्रयास पूरा कर चुके उम्मीदवारों को एक अंतिम मौका देने के लिए राजी थी। लेकिन, इस महीने की शुरुआत में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह कहा कि वह देखने की कोशिश करेगी कि क्या जिन उम्मीदवारों की इन परीक्षाओं के योग्य उम्र बची हुई है, उन्हें अंतिम बार एक मौका दिया जा सकता है? इसपर सर्वोच्च अदालत ने केंद्र से कहा था कि वह फाइनल एटेंप्ट के लिए एक साल उम्र में छूट देने पर विचार करे। अदालत ने कहा था कि अगर ऐसा किया जाएगा तो सिर्फ 2,236 अतिरिक्त प्रत्याशी ही बढ़ेंगे। कोर्ट ने साफ किया था कि यह सिर्फ एकबार के लिए होगा और इसे भविष्य के लिए मानदंड नहीं बनाया जाएगा।
Recommended Video
पिछले साल 4 अक्टूबर को हुई थी प्रारंभिक परीक्षा
लेकिन, केंद्र सरकार उम्र में रियायत देने पर बिल्कुल राजी नहीं हुई और आज सर्वोच्च अदालत ने याचिका को पूरी तरह से ही खारिज कर दिया, जिसमें जिनके प्रयास खत्म हो चुके हैं, उन्हें एक अंतिम मौका देने की अपील भी शामिल थी। बता दें कि पिछले साल सिविल सेवा (प्रारंभिक )परीक्षा की तारीख पहले 31 मई के लिए तय की गई थी। लेकिन, कोरोना लॉकडाउन की वजह से वह 4 अक्टूबर को ली गई। यह भी तब हो पाया, जब संघ लोकसेवा आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इससे आगे परीक्षा नहीं टाली जा सकती।
दो हजार से ज्यादा उम्मीदवार इस साल नहीं दे सकेंगे परीक्षा
बता दें कि यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में सामान्य वर्ग के 21 से 32 साल तक के प्रत्याशियों को कुल 6 प्रयासों की सीमा तय की गई है। जबकि ओबीसी के उम्मीदवार 35 साल की उम्र तक 9 प्रयासों तक देश की सबसे प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा के लिए अपनी किस्मत आजमा सकते हैं। वहीं, अनुसूचित जाति और जनजाति (एससी/एसटी) के उम्मीदवारों के मामले में उम्र की सीमा 37 वर्ष है और वह चाहे तो जितनी बार भी परीक्षा दे सकते हैं। पिछले साल 2,000 से ज्यादा उम्मीदवार ऐसे थे, जिनकी यह परीक्षा देने की उम्र सीमा इस साल पार कर चुकी है। यूपीएससी यह परीक्षा आईएफएस (इंडियन फॉरेन सर्विस),आईएएस,आईपीएस के अतिरिक्त केंद्र सरकार की कई प्रथम श्रेणी की सेवाओं के लिए लेती है। प्रारंभिक परीक्षा में सफल उम्मीदवार मुख्य परीक्षा में सम्मलित होते हैं और उसमें सफल होने के बाद इंटरव्यू का दौर आता है। आखिरी दोनों परीक्षाओं के आधार पर ही सफल उम्मीदवारों का विभिन्न सेवाओं के लिए चयन होता है।
इसे भी पढ़ें- केवल सप्लीमेंट के तौर पर इस्तेमाल की जा सकती है कोरोनिल: उत्तराखंड के आयुष अधिकारी