आरक्षण पर SC के फैसले पर संसद में जमकर हंगामा, सरकार ने दिया ये जवाब
नई दिल्ली। आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से अपना फैसला दिया और कहा कि सरकारी नौकरी और पदोन्नति में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है, उसके बाद कोर्ट के इस फैसले पर संसद में जमकर हंगामा हुआ। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ संसद में हंगामा इस कदर बढ़ा कि लोकसभा की कार्रवाई को स्थगित करना पड़ा। कोर्ट के फैसले का ना सिर्फ विपक्ष बल्कि सरकार के सहयोगी दलों ने भी विरोध किया । कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा और आरएसएस मौलिक रूप से आरक्षण के खिलाफ थे।
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राजनाथ सिंह ने कांग्रेस पर जमकर बोला हमला
विपक्ष ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए, जिसमे कहा गया है कि राज्य सरकार को आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। भारी हंगामे के बीच केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट का फैसला है। केंद्र सरकार का इस फैसले से कोई लेना देना नहीं है। समाज कल्याण मंत्री इपर सदन में अपना बयान देंगे। हमे इसका इंतजार करना चाहिए। राजनाथ सिंह ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि ये लोग इस संवेदनशील मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे है। उन्होंने कांग्रेस को याद दिलाया कि 2012 में उत्तराखंड की सरकार ने फैसला लिया था कि सरकारी नौकरी में एससी और एसटी को आरक्षण नहीं दिया जाएगा।
सरकार का इससे कोई लेना देना नहीं है
सदन में हंगामे के बीच संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट का फैसला है। भारत सरकार का इस फैसले से कोई लेनादेना नहीं है। समाज कल्याण मंत्री दोपहर 2.15 बजे इस मसले पर अपना बयान देंगे। अहम बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ ना सिर्फ विपक्ष ने सरकार को घेरा बल्कि सरकार के सहयोगी दलों ने भी इस मसले पर सरकार को जमकर घेरा।
सरकार के सहयोगियों ने बोला हमला
सरकार की सहयोगी लोकजनशक्ति पार्टी के नेता और लोकसभा सांसद चिराग पासवान ने कहा कि सरकारी नौकरी और पदोन्नति में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है उससे एलजेपी सहमत नहीं है। हम केंद्र सरकार से अपील करते हैं कि केंद्र सरकार को इस मसले पर हस्तक्षेप करना चाहिए। ना सिर्फ एलजेपी बल्कि अपना दल की सांसद अनुप्रिया पटेल ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध करते हुए कहा कि हमे सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वीकार नहीं है। अभी तक का सुप्रीम कोर्ट का यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है।
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