सवर्ण आरक्षण के लिए जरूरी होंगे ये 7 डॉक्यूमेंट, क्या आपके पास हैं?
10 फीसदी सवर्ण आरक्षण का लाभ लेने के लिए कौन-कौन से डॉक्यूमेंट चाहिएं, जान लीजिए।
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नई दिल्ली। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एक बड़ा फैसला लेते हुए उच्च जातियों के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का ऐलान किया है। सोमवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया गया कि शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर उच्च जाति के लोगों को भी आरक्षण दिया जाएगा। इस फैसले के बाद आरक्षण का कोटा 49.5 फीसदी से बढ़कर 59.5 फीसदी हो जाएगा। हालांकि अभी यह केवल ऐलान भर है, जिसके लिए संविधान में संशोधन बिल पास कराकर कानून बनाया जाएगा। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि 10 फीसदी सवर्ण आरक्षण का लाभ लेने के लिए कौन-कौन से डॉक्यूमेंट जरूरी होंगे।
ये हैं वो जरूरी सात डॉक्यूमेंट
केंद्र सरकार के फैसले के मुताबिक, इस आरक्षण का लाभ आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण समाज के लोगों को ही मिलेगा। 10 फीसदी आरक्षण के दायरे में आने और इसका लाभ लेने के लिए अभ्यर्थी के पास कौन-कौन से दस्तावेज होने चाहिए, उनकी सूची निम्नलिखित है...
1:-
8
लाख
रुपए
तक
या
इससे
कम
की
वार्षिक
आय
का
प्रमाण
पत्र
2:-
जाति
प्रमाण
पत्र
3:-
बीपीएल
राशन
कार्ड
4:-
पैन
कार्ड
5:-
आधार
कार्ड
6:-
बैंक
की
पास
बुक
7:-
आयकर
रिटर्न
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'नौकरियां ही नहीं, तो आरक्षण का क्या करेंगे'
आपको बता दें कि काफी समय से यह मांग की जा रही थी कि आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को भी आरक्षण दिया जाए। सरकार के इस फैसले को ज्यादातर राजनीतिक दलों ने अपना सर्मथन दिया है। मंगलवार को सरकार संविधान में संशोधन के लिए लोकसभा में बिल पेश करेगी। माना जा रहा है कि कांग्रेस समेत ज्यादातर विपक्षी दल इस बिल का समर्थन कर सकते हैं। हालांकि केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि जब नौकरियां ही नहीं है तो इस फैसले को जुमले के सिवा और क्या कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि बीते साल ही करोड़ों लोगों की नौकरियां चली गईं, उससे पहले नोटबंदी में लोगों के रोजगार छिने, ऐसे में आरक्षण से क्या फायदा होगा। बिल पास कराने के लिए राज्यसभा का एक दिन का कार्यकाल भी बढ़ाया गया है। भाजपा और कांग्रेस ने अपने सांसदों को लोकसभा में उपस्थित रहने के लिए व्हिप भी जारी किया है।
सवर्ण आरक्षण पर मायावती ने क्या कहा?
वहीं, 10 फीसदी आरक्षण के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा, 'बहुजन समाज पार्टी उच्च जातियों के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए आरक्षण का स्वागत करती है। केंद्र सरकार द्वारा लिया गया यह फैसला सही है, लेकिन इस फैसले के पीछे की मंशा सही नहीं है। 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लिया गया ये फैसला हमें सही नीयत से लिया गया फैसला नहीं लगता है, बल्कि एक चुनावी स्टंट लगता है, राजनीतिक छलावा लगता है। अच्छा होता अगर भाजपा अपना कार्यकाल खत्म होने से ठीक पहले नहीं, बल्कि और पहले इस फैसले को ले लेती।' मेरा मानना है कि विभिन्न अल्पसंख्यक धार्मिक वर्गों के गरीब लोगों के लिए भी आरक्षण का दायरा बढ़ाना चाहिए। गरीबों, आदिवासियों और दलितों का आरक्षण केवल शिक्षा क्षेत्र या नौकरियों तक ही सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि जिन क्षेत्रों में अभी तक आरक्षण नहीं है, वहां भी इसे लागू करना चाहिए।'
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