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UP: मॉब लिंचिग पर विशेष कानून की मांग, अपराधी को मिले उम्रकैद की सजा

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नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में मॉब लिंचिंग (गाय पर हुई हिंसा) के मद्देनजर स्टेट लॉ कमीशन ने सलाह दी है कि ऐसी घटनाओ को रोकने के लिए एक विशेष कानून बनाया जाए। आयोग ने बुधवार को मसौदा विधेयक यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष पेश किया है। लॉ कमीशन ने राज्य सरकार से मॉब लिंचिंग मामले में आरोपियों को उम्रकैद की सजा के प्रावधान की मांग की है। कमीशन के चेयरमैन रिटायर्ड जस्टिस आदित्यनाथ मित्तल ने गुरुवार को कहा कि मॉब लिंचिंग के दौरान यदि पीड़ित की मौत होती है, तो आरोपियों को उम्रकैद की सजा मिलनी चाहिए।

UP Law Commission has submitted a draft Bill recommending up to life imprisonment for Mob Killings

राज्य विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (अवकाश प्राप्त) ए एन मित्तल की 128-पृष्ठ की रिपोर्ट में राज्य में लिंचिंग के विभिन्न मामलों का हवाला दिया गया और 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई सिफारिशों के अनुसार एक कानून बनाने की सिफारिश की गई है। आयोग ने रिपोर्ट में यह भी जिक्र किया है कि वर्तमान में जो कानून हैं वो लिंचिंग से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।इसके लिए एक अलग कानून होना चाहिए।

लिचिंग जैसे मामलों में अपराधी को 7 साल की जेल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का सुझाव भी दिया है। आयोग ने यह भी कहा है कि इस कानून को उत्तर प्रदेश मॉब लिंचिंग निरोध एक्ट नाम दिया जा सकता है। इसके तहत पुलिस अधिकारियों और और जिला अधिकारियों की जिम्मेदारियों को निर्धारित किया जा सकता है।इनके ड्यूटी करने में असमर्थ होने पर दंड का प्रावधान भी दिया जा सकता है। कानून में पीड़ित व्यक्ति के परिवार को चोट या जान-माल की हानि के नुकसान के लिए मुआवजे का भी प्रावधान होना चाहिए।

राज्य में 2012 से 2019 के बीच मॉब लिंचिंग की 50 से ज्यादा घटनाएं हुईं। इनमें 11 की मौत और 50 से ज्यादा जख्मी हुए। 25 लोग गंभीर जख्मी हुए। आयोग की सचिव सपना त्रिपाठी ने गुरुवार को कहा कि ''ऐसी घटनाओं के मद्देनजर आयोग ने स्वत:संज्ञान लेते हुये भीड़तंत्र की हिंसा को रोकने के लिये राज्य सरकार को विशेष कानून बनाने की सिफारिश की है। रिपोर्ट में कहा गया कि इस विषय पर अभी तक मणिपुर राज्य ने पृथक कानून बनाया है जबकि मीडिया की खबरों के मुताबिक मध्य प्रदेश सरकार भी इस पर शीघ्र कानून अलग से लाने वाली है।

आयोग की इस रिपोर्ट में 2015 में दादरी में अखलाक की हत्या, बुलंदशहर में तीन दिसंबर 2018 को खेत में जानवरों के शव पाये जाने के बाद पुलिस और हिन्दू संगठनों के बीच हुई हिंसा के बाद इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या जैसे मामले शामिल किए गए हैं। आयोग के अध्यक्ष का मानना है कि भीड़ तंत्र के निशाने पर अब पुलिस भी है। न्यायमूर्ति मित्तल ने रिपोर्ट में कहा है कि, भीड़ तंत्र की उन्मादी हिंसा के मामले फर्रूखाबाद, उन्नाव, कानपुर, हापुड़ और मुजफ्फरनगर में भी सामने आए हैं। उन्मादी हिंसा के मामलों में पुलिस भी निशाने पर रहती है।

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English summary
UP Law Commission has submitted a draft Bill recommending up to life imprisonment for Mob Killings
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