भ्रष्टाचार पर योगी सरकार का और एक और प्रहार, PWD में टेंडर प्रक्रिया को किया ऑनलाइन
लखनऊ। उत्तर प्रदेश (Uttar pradesh) में भ्रष्टाचार के खिलाफ योगी सरकार ने एक बहुत बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाया है। भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही योगी सरकार ने इस दिशा में दो अहम फैसले लिए हैं। दरअसल, सीएम योगी ने PWD में टेंडर के आवंटन की प्रक्रिया को पूरी तरह से हाईटेक रूप दे दिया है। सरकार ने राजस्व संहिता में बदलाव कर कृषि भूमि को गैर कृषि भूमि में परिवर्तित कराने के लिए ऑनलाइन आवेदन की सुविधा शुरू कर दी है। सरकार के इस कदम के बाद कृषि भूमि का लैंड यूज चेंज करवाने के लिए अब किसानों को अफसरों की दहलीज पर भटकने की जरूरत नहीं होगी। साथ ही इस काम को कराने के लिए घूसखोरों, बिचौलियों और दलालों के चक्कर नहीं काटने होंगे।
पूरी तरह से पारदर्शी हुई टेंडर प्रक्रिया
योगी सरकार ने PWD को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए एक 'प्रहरी' सॉफ्टवेयर की शुरुआत की है। इस सॉफ्टवेयर के जरिए टेंडर आवंटन प्रक्रिया को भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी बनाने की कोशिश की गई है। आपको बता दें कि पिछली सरकारों में PWD के अंदर टेंडर आवंटन प्रक्रिया काफी बदनाम थी। PWD अधिकारियों के मुताबिक, 15 सितंबर से प्रदेश भर में 'प्रहरी साफ्टवेयर' योजना को लागू कर दिया गया है। विभाग की पूरी टेंडर प्रक्रिया इसी सॉफ्टवेयर के जरिए की जा रही है। टेंडर प्रक्रिया में शामिल होने वाली कंपनियों के दस्तावेज से लेकर मशीनों और बैंक से जुड़े दस्तावेजों तक की पड़ताल इसी सॉफ्टवेयर पर हो रही है।
क्या-क्या सुविधा है इस सॉफ्टवेयर पर
टेंडर में शामिल होने वाले आवेदक खुद साफ्टवेयर पर अपने दस्तावेज अपलोड कर सकेंगे। प्रक्रिया इतनी पारदर्शी होगी की सभी आवेदक एक दूसरे के दस्तावेज ऑनलाइन देख सकेंगे। सभी चीजों की पड़ताल के बाद साफ्टवेयर ही टेंडर के लिए कंपनियों का चुनाव भी करेगा। राज्य सरकार ने टेंडर प्रक्रिया में विवादित रही स्थानीय विभागीय अधिकारियों की भूमिका भी लगभग खत्म कर दी है। टेंडर प्रक्रिया में किसी तरह की शिकायत की जांच लोक निर्माण विभाग मुख्यालय के अधिकारियों की टीम करेगी।
45 दिन के अंदर शिकायतों का करना होगा निपटारा
इस सॉफ्टवेयर के जरिए अब किसान लैंड यूज चेंज करने के लिए घर बैठे ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। लैंड यूज चेंज में किसानों को परेशान करने वाले अफसरों पर भी अब राज्य सरकार की सीधी निगाह होगी। 45 दिन की समय सीमा के भीतर अफसरों को मामले का निपटारा करते हुए फैसला देना होगा। इस अवधि में कोई कार्रवाई नहीं होने पर किसान के आवेदन को अप्रूव मान लिया जाएगा। आवेदन पर फैसले की एक निश्चित समय सीमा तय होने से प्रदेश में निवेश करने वाली कंपनियों का समय भी नहीं बर्बाद होगा। छोटे उद्योग और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।