यूपी विधानसभा चुनाव 2017: अब बेनी बनाम कौन?
लखनऊ। जी हां ये वो सवाल है जो आपके विश्लेषणों की फेहरिस्त में सबसे अव्वल स्थान पर काबिज है। इसकी वाजिब वजह भी है। वर्ष 2007 में समाजवादी पार्टी से किनारा करते हुए समाजवादी क्रांति दल और फिर कांग्रेस के साथ जुड़ने वाले बेनी की घर वापसी यानि की सपा में वापसी हो गई। लेकिन वापसी के साथ ही कयासों का दौर शुरू हो गया।
बेनी प्रसाद वर्मा हुए बेकाबू, नरेंद्र मोदी को कहा 'जानवर'
सियासी दल बाराबंकी जिले के अलग अलग क्षेत्रों से पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा को बतौर सपा के उम्मीदवार के रूप में देख रहे हैं। और 2017 में होने वाले विधानसभा चुनावों को जातिवादिता के एजेंडे में मानकर तैयारियों की फेहरिस्त तैयार कर रहे हैं। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर बेनी बनाम कौन होगा। पेश है वन इंडिया की ये खास रिपोर्ट-
बेनी बनाम नीतीश !
वर्ष 2014 में संसदीय क्षेत्र गोंडा का दौरा करने के दौरान मुलायम, मायावती और पीएम नरेंद्र मोदी को दुर्जन बताने वाले बेनी प्रसाद वर्मा की सपा में वापसी मुलायम को सेफ जोन तो मायावती और पीएम नरेंद्र मोदी को बनाम में ले आई है। सूत्रों के मुताबिक बेनी प्रसाद वर्मा पर जातीय अंकगणित की मजबूती की वजह से मुलायम उन पर दांव लगाएंगे।
सुप्रीमों मायावती के लिए चिंताजनक बात
दलित वर्ग को अपना कोर वोट मानने वालीं बसपा सुप्रीमों मायावती के लिए ये चिंताजनक बात है। इन सबके इतर जैसा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बार उत्तर प्रदेश की ओर अपनी राजनीति के विस्तार हेतु पलायन कर रहे हैं तो बेनी की उनसे सीधी टक्कर देखने को मिल सकती है।
नीतीश और बेनी प्रसाद दोनों ही कुर्मी समाज से
नीतीश और बेनी प्रसाद दोनों ही कुर्मी समाज से हैं और उनके नेता माने जाते हैं। लेकिन बेनी की राजनीतिक जमीन उत्तर प्रदेश की होने के कारण नीतीश को खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। हां इतना जरूर है कि पहले वोटों का जो बड़ा प्रतिशत सपा, बसपा, भाजपा और आखिर में कांग्रेस के हिस्से में बंट जाता था उन सबका कुछ प्रतिशत वोट नीतीश की जन विकास पार्टी को भी मिलने की उम्मीद है।
या बेनी बनाम बसपा !
कयासों के मुताबिक यदि बेनी प्रसाद वर्मा बाराबंकी जिले के किसी क्षेत्र से चुनाव लड़े तो बसपा को उस क्षेत्र में भारी नुकसान होगा जबकि भाजपा को इस बात का फायदा मिलने की आशंका है। यदि भाजपा ने भी दलित मोह के मद्देनजर इस क्षेत्र में कोई दलित चेहरा दिया तो जातीय अंकगणित में सबसे निचले स्थान पर भाजपा ही नजर आएगी। इस लिहाज से आशंका जताई जा रही है कि भारतीय जनता पार्टी बाराबंकी जिले से ज्यादा से ज्यादा सवर्ण उम्मीदवार ही उतारेगी, जिससे बसपा बनाम सपा की जातीय जंग में उसे फायदा मिल सके।
ब्राह्मण और ठाकुर वोट
माना जा रहा है कि भाजपा के इस दांव से ब्राह्मण और ठाकुर एक होकर एकतरफा भाजपा की ओर झुकाव बनाएगा। इसकी वाजिब वजह भी है कि सूबे में समाजवादी पार्टी के ग्राम्यविकास मंत्री अरविंद सिंह गोप बाराबंकी जिले के रामनगर क्षेत्र से विधायक हैं। लेकिन लोगों के अनुसार गांव का विकास की ओर तो छोड़िये बल्कि बद्हाली की तरफ लगातार बढ़ता गया है।
चुनाव से पहले सारे नेता जमीन पर
बीते कुछ महीनों पहले बाराबंकी के अंतर्गत आने वाले नरैनापुर में आगजनी हो गई थी जिस मामले में भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता और रामनगर क्षेत्र में बीजेपी के लोकप्रिय नेता माने जाने वाले रामबाबू द्विवेदी ने पहुंचकर लोगों से सवाल पूछा कि आपके ग्राम्य विकास मंत्री गोप जी आपका हाल चाल जानने आए या नहीं। इस पर ग्रामीणों ने कहा कि चुनाव एक ऐसा वक्त है जब सारे नेता जमीन पर दिखाई देते हैं, जीत जाने के बाद हम आपके हैं कौन वाली पंक्तियां ही चरितार्थ होती हैं। जिस पर तंज कसते हुए प्रवक्ता द्विवेदी ने कहा कि इतनी बड़ी घटना हो गई और मंत्री जी सोते रहे। जबकि उन्हें इसी क्षेत्र ने विधायक की गद्दी सौंपी थी।
बेनी के आने से घर में ही फूट
इन तमाम सवालों पर से पर्दा तो चुनाव के दौरान ही उठेगा लेकिन दिलचस्प बात ये है कि बेनी प्रसाद वर्मा की सपा में वापसी के साथ ही अंतर्कलह को प्रदर्शित करती हुई जो तस्वीरें सामने आ रही हैं उसका मतलब जनता ने अपने तरीके से अलग- अलग निकालना शुरू कर दिया है। बाराबंकी में अरविंद सिंह गोप के घर के पास ही बेनी प्रसाद वर्मा की जो होर्डिंग लगी है उसमें से गोप नदारद हैं। इसकी वजह क्या है ये तो खुद गोप या फिर बेनी प्रसाद वर्मा ही बता सकते हैं। बाकी परिणाम क्या होंगे ये तो वक्त ही निर्धारित करेगा।