गुजरात में मोदी हिट हैं तो यूपी के योगी की जरूरत क्यों पड़ी, जानिए सच्चाई
जानकारों के मुताबिक 2002 और 2007 के गुजरात विधानसभा चुनाव नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ा गया था, तब हिंदुत्व को एजेंडा बनाया गया था।
नई दिल्ली। ऐसे माहौल में जब तमाम मोर्चे पर मोदी सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर है और खुद मोदी की समर्थक भी उनसे निराश हैं, उस वक्त मोदी के घर गुजरात में उनकी सबसे बड़ी परीक्षा है, जहां किसी भी तरह का नकारात्मक चुनावी नतीजा ना सिर्फ भाजपा बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्यक्तिगत साख पर बट्टा लगाने का काम करेगा। इस तरह के विकट राजनीतिक हालात में पीएम मोदी को एक अदद ऐसे नेता की जरूरत है जो ना सिर्फ पार्टी को उनके गढ़ में साख बचाने में उनकी मदद करे बल्कि उनकी व्यक्गित प्रतिष्ठा को राष्ट्रीय स्तर पर गिरने से बचाए। लिहाजा जब ऐसे चेहरे की तलाश भाजपा कर रही थी तो उसके उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सबसे बड़े तुरुप के इक्के के रूप में सामने आए हैं।
इसलिए योगी आदित्यनाथ को लाया गया
जानकारों के मुताबिक 2002 और 2007 के गुजरात विधानसभा चुनाव नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ा गया था, तब हिंदुत्व को एजेंडा बनाया गया था। जबकि मोदी ने 2012 के विधानसभा चुनाव में गुजरात के विकास की बात की और 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने गुजरात के विकास के मॉडल को देश के सामने रखा। लेकिन अब स्थिति ये है कि ये मॉडल स्वीकार नहीं हो रहा। लोग इसे मानने को तैयार नहीं हैं। ऐसा लगता है कि बीजेपी फिर से अपने हिंदुत्व के मुद्दे पर आकर गुजरात विधानसभा चुनाव जीतना चाहती है, इसीलिए योगी आदित्यनाथ को लाया गया है।
मोदी सरकार से ध्यान हटाने में कारगर योगी
गुजरात में भाजपा की लगातार चार बार सरकार रही और पीएम बनने से पहले चारो बार नरेंद्र मोदी यहां मुख्यमंत्री रहे, ऐसे में पीएम मोदी यहां से किसी भी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहते हैं। गुजरात में कांग्रेस लगातार भाजपा पर हमलावर है, खुद राहुल गांधी ने यहां पार्टी का मोर्चा संभाल रखा है, यही वजह है कि भाजपा किसी भी तरह का जोखिम यहां नहीं लेना चाहती और योगी आदित्यनाथ को गुजरात के अभियान में उतारा गया, जहां पहुंचते ही उन्होंने राहुल पर निशाना साधना शुरू कर दिया है तमाम मोर्चों पर घिरी मोदी सरकार को योगी आदित्यनाथ बड़ी राहत दे सकते हैं, वह भ्रष्टाचार, अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी सहित अहम मुद्दों से लोगों को ध्यान भटकाने में मोदी सरकार के लिए बड़ा हथियार साबित होंगे, जिसका इस्तेमाल करना अमित शाह बखूबी जानते हैं।
योगी आदित्यनाथ पार्टी के एजेंडे में फिट बैठते हैं
जिस तरह से योगी आदित्यनाथ बीजेपी के बड़े मंचों पर दिखने लगे हैं उसके बाद से ये चर्चा तेज हो गई है कि क्या योगी बीजेपी के नए पोस्टर ब्वॉय बन गए हैं? भगवा कपड़ों में कट्टर हिंदुत्व की छवि वाले योगी आदित्यनाथ पार्टी के एजेंडे में फिट बैठते हैं। इसलिए योगी आदित्यनाथ केरल में बीजेपी की जनयात्रा में भी शामिल हुए अब वो गुजरात की गौरव यात्रा में शामिल हो रहे हैं साथ ही उनको और हिमाचल प्रदेश में भी उतारा जाएगा। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता देश के कई इलाकों में है। उनकी इसी लोकप्रियता का इस्तेमाल बीजेपी गुजरात के उन इलाकों में कर रही है, जहां यूपी के लोग बड़ी संख्या में रहते हें। गुजरात के सूरत ,सचीन, वलसाड के इलाकों में बड़ी संख्या में यूपी के लोग रहते हैं।
विकास के मुद्दे पर पार्टी की मुश्किल राह को आसान करेंगे योगी
ऐसे में पार्टी विकास के मुद्दे पर एक बार फिर से जनता के बीच वह अपील नहीं कर सकती है जो उसने 2014 में लोगों से की थी और लोगों ने पार्टी को जबरदस्त समर्थन देते हुए जीत दिलाई थी। ऐसी विषम परिस्थितियों में पार्टी के पास एक बार फिर से हिंदुत्व के मुद्दे वापस जाने के अलावा दूसरा विकल्प फिलहाल नहीं दिखाई पड़ता जो उसकी नैया को पार लगाए। विकास के मुद्दे के बाद पार्टी के पास हिंदुत्व एक ऐसा मुद्दा है जिसके दम पर पार्टी ध्रुवीकरण की राजनीति के बलबूते एक बार फिर से सत्ता में पहुंचने की कोशिश करेगी। लिहाजा पार्टी के इस लक्ष्य की पूर्ती के लिए मौजूदा समय में योगी आदित्यनाथ से बेहतर कोई दूसरा विकल्प नहीं है। यही वजह है कि योगी आदित्यनाथ को तमाम जगहों पर बतौर पार्टी के चेहरे के रूप में इस्तेमाल किए जाने का भाजपा नेतृत्व ने फैसला लिया है।
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