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यूपी का उपचुनाव: क्यों अखिलेश और माया मिलकर नहीं हरा पाएंगे योगी को?

2014 में गोरखपुर लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी योगी आदित्यनाथ को 5 लाख 39 हजार 127 वोट मिले थे। सपा उम्मीदवार राजमति निषाद को 2 लाख 26 हजार 344 वोट मिले, वहीं बसपा प्रत्याशी राम भुअल निषाद को 1 लाख 76 हजार 412 वोट मिले थे।

By Vikashraj Tiwari
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राजनीति में कोई स्थाई दोस्त और दुश्मन नहीं होता है। यूपी उपचुनाव से संग्राम में बसपा और सपा के साथ आने से एक बार फिर ये बात साबित हुई है। कोई नहीं सोच सकता था कि सपा और बसपा का कभी गठबंधन भी हो सकता है। लेकिन इसे मजबूरी कहें या वजूद मिटने का खतरा, आज दोनों 'दुश्मन' सिर्फ भाजपा को हराने के लिए साथ आये हैं, वहीं भाजपा ने भी अपनी सीट बचाने के लिए पूरी ताकत लगा दी है। उत्तरप्रदेश के गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट के लिए रविवार को चुनाव होगा, जिसके लिए सारी तैयारियां पूरी हो चुकी है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और बीएसपी चीफ मायावती ने बीजेपी का हराने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं तो बीजेपी विपक्ष के हर खेल का चालाकी से जवाब दे रही है। गोरखपुर और फूलपुर के पिछले चुवावी आंकड़ों पर गौर करें तो सपा और बसपा मिलकर भी बीजेपी को हराते हुए नहीं दिख रहे हैं।

सपा-बसपा साथ आकर भी बीजेपी से पीछे

सपा-बसपा साथ आकर भी बीजेपी से पीछे

2014 में गोरखपुर लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी योगी आदित्यनाथ को 5 लाख 39 हजार 127 वोट मिले थे। सपा उम्मीदवार राजमति निषाद को 2 लाख 26 हजार 344 वोट मिले, वहीं बसपा प्रत्याशी राम भुअल निषाद को 1 लाख 76 हजार 412 वोट मिले थे। इसके अलावा कांग्रेस को महज 45 हजार 719 वोट मिले। इस तरह सपा और बसपा के साथ-साथ कांग्रेस के वोट को मिला दें तो 4 लाख 48 हजार 475 वोट होते हैं। जो कि बीजेपी से 90 हजार 652 वोट कम हैं। बीजेपी को कुल 51.80 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि सपा और बसपा के मिलाकर कुल 38.70 प्रतिशत वोट मिले थे। अब जबकि उपचुनावों में कांग्रेस अलग चुनाव लड़ रही है तो अगर 2014 के चुनावों के आधार देखा जाए तो मायावती और अखिलेश यादव का ये मिलन भी भारतीय जनता पार्टी का विजयरथ रुकता नहीं दिख रहा है।

फूलपुर में भी बीजेपी के आगे सपा-बसपा नहीं टिकती

फूलपुर में भी बीजेपी के आगे सपा-बसपा नहीं टिकती

2014 में फूलपुर लोकसभा सीट पर भाजपा के केशव प्रसाद मौर्य को कुल पड़े 9 लाख 60 हजार 341 मतों में से 5 लाख 3 हजार 564 वोट मिले थे। एसपी एसपी उम्मीदवार धर्म सिंह पटेल को 1 लाख 95 हजार 256 वोट, बीएसपी प्रत्याशी कपिलमुनि करवरिया को 1 लाख 63 हजार 710 और कांग्रेस के मो. कैफ को 58 हजार 127 मत मिले थे। बीजेपी को यहां 52.43 फीसदी वोट मिले थे, जबकि एसपी और बीएसपी का वोट फीसदी 37.38 रहा था। ऐसे में सपा-बसपा ही नहीं बल्कि विरोध में पड़े सभी मतों को मिला दें तो भी वो बीजेपी को मिले वोट के मुकाबले कम था। इसी रिकॉर्ड को देखते हुए कहा जा सकता है कि अगर 2014 जैसे वोट पड़े तो भी फूलपुर से भाजपा को जीत मिलता हुआ दिख रहा है।

2019 लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल

2019 लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल

गोरखपुर लोकसभा सीट से भाजपा ने उपेन्द्र शुक्ला को टिकट दिया है। वहीं, समाजवादी पार्टी ने इस सीट से निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद को अपना प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने सुरहिता करीम चैटर्जी को अपना उम्मीदवार बनाया है। इसके अलावा कांग्रेस की परपंरागत फूलपुर लोकसभा सीट की बात करें तो भाजपा ने युवा नेता कौशलेंद्र पटेल को टिकट दिया है। समाजवादी पार्टी ने नागेन्द्र पटेल और कांग्रेस ने मनीष मिश्रा को उम्मीदवार बनाया है। जेल में बंद माफिया डॉन अतीक अहमद ने भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर इन चुनावों में पर्चा भरा है। ऐसे में इन सीटों पर सीधा मुकाबला भाजपा-सपा और कांग्रेस के बीच है। इसे जानकार लोग 2019 लोकसभा चुनावों का सेमीफाइनल भी मान रहे हैं।

यूपी में दलित और पिछड़ी जाति आमने-सामने

यूपी में दलित और पिछड़ी जाति आमने-सामने

यूपी में भी चुनाव जाति आधारित होता है लेकिन यहां का चुनावी समीकरण कुछ अलग है। यहां दलित बीएसपी के साथ होते है तो यादव और मुस्लिम सपा के साथ दिखते हैं। यूपी का जातिय गणित पड़ोसी राज्य बिहार और दक्षिण राज्यों से अलग है। उत्तर प्रदेश में दलित और पिछड़ी जाति के लोग एक दूसरे के राजनीतिक विरोधी हैं, जबकि दूसरे कई राज्यों में ये जातियां एक साथ वोट करती हैं। अस्तित्व बचाने के लिए सपा और बसपा दोनों बीजेपी से लोहा लेने के लिए मजबूर हैं। खैर उपचुनाव के बहाने भाजपा के खिलाफ प्रदेश के गैर कांग्रेसी विपक्षी दल एक साथ आ गए हैं। एनसीपी, निषाद पार्टी, पीस पार्टी, पीएमएसपी समेत कई अन्य छोटे दल सपा का पहले ही समर्थन कर चुके हैं, जिससे सपा उत्साहित है। उनका पूरा जोर पिछड़ा, दलित व मुस्लिम समीकरण बनाने पर है। ऐसे में गोरखपुर व फूलपुर में भाजपा के खिलाफ गैर कांग्रेसी राजनीतिक दलों की लामबंदी हो गई है। इसमें वे सफल होंगे या नहीं, यह तो आने वाला वक्त बताएगा, लेकिन बसपा के रुख से चुनाव रोचक जरूर हो गया है। साथ ही, लंबे समय बाद किसी चुनाव में विपक्ष की इस तरह एकजुट दिखी है।

'करीब साढ़े तीन लाख निषाद और करीब दो लाख ब्राह्मण वोटर हैं'

'करीब साढ़े तीन लाख निषाद और करीब दो लाख ब्राह्मण वोटर हैं'

गोरखपुर संसदीय इलाके में करीब साढ़े तीन लाख निषाद और करीब दो लाख ब्राह्मण वोटर हैं, जो किसी भी प्रत्याशी की जीत हार को तय करते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने ब्राह्मण प्रत्याशी पर दांव लगाया है। कांग्रेस की प्रत्याशी सुरहिता करीम की शादी गोरखपुर के प्रसिद्ध डाक्टर वजाहत करीम से हुई है लेकिन सुरहिता के पिता बंगाली ब्राह्मण हैं। कांग्रेस ने उम्मीदवार घोषित करते समय सुरहिता के नाम के साथ चटर्जी पर भी जोर देकर अपने इरादे जाहिर कर दिए थे। उधर, भाजपा ने भी अपना उम्मीदवार उपेंद्र शुक्ल को घोषित किया है। जो कि ब्राह्मण हैं। जबकि सपा ने निषाद पार्टी के अध्यक्ष के बेटे प्रवीण कुमार निषाद को अपना प्रत्याशी बनाया है। अगर बीते पांच चुनावों की चर्चा की जाए तो सीएम योगी को घेरने के लिए सभी राजनीतिक दलों ने समय-समय पर ब्राह्मण और निषाद प्रत्याशी को खड़ा किया था।

फूलपुर में जातीय समीकरण काफी दिलचस्प है

फूलपुर में जातीय समीकरण काफी दिलचस्प है

फूलपुर लोकसभा भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का संसदीय क्षेत्र रहा है। फूलपुर में जातीय समीकरण काफी दिलचस्प है। इस संसदीय क्षेत्र में सबसे ज्यादा पटेल मतदाता हैं, जिनकी संख्या करीब सवा दो लाख है। मुस्लिम, यादव और कायस्थ मतदाताओं की संख्या भी इसी के आसपास है। लगभग डेढ़ लाख ब्राह्मण और एक लाख से अधिक अनुसूचित जाति के मतदाता हैं। फूलपुर की सोरांव, फाफामऊ, फूलपुर और शहर पश्चिमी विधानसभा सीट ओबीसी बाहुल्य हैं। इनमें कुर्मी, कुशवाहा और यादव वोटर सबसे अधिक हैं।

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English summary
UP bypoll : stats tell truth, akhilesh and mayawati alliance won't be able to defeat BJP
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