Exclusive: शिक्षक दिवस पर मिलिए डॉ. स्नेहिल पांडेय से जिसने सरकारी स्कूल को ऐसे बनाया प्राइवेट स्कूल जैसा, मिलेगा राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2020
Exclusive: शिक्षक दिवस पर मिलिए डॉ. स्नेहिल पांडेय से जिसने सरकारी स्कूल को ऐसे बनाया प्राइवेट स्कूल जैसा, मिलेगा राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2020
Oneindia Exclusive: उन्नाव। पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के मौके पर हर साल 5 सितम्बर को देश में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। शिक्षक दिवस 2020 पर मिलिए एक महिला टीचर से जिसने खुद के पैसों से सरकारी स्कूल की तस्वीर बदल दी। इनका नाम है डॉ. स्नेहिल पांडेय।
उत्तर प्रदेश से अकेली महिला शिक्षिका जिन्हें इस अवार्ड के लिए चुना गया
लखनऊ कानपुर हाईवे से सटे हुए हुए सोहरामऊ उन्नाव के सरकारी प्राथमिक इंग्लिश मीडियम विद्यालय और बच्चों की पढ़ाई को लेकर स्नेहिल पाण्डेय ने ऐसा काया कल्प किया है कि विद्यालय की प्रधान शिक्षिका स्नेहिल पांडेय को भारत सरकार ने इस साल के राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए चुना है। इस पुरस्कार के लिए चुनी जाने वाली डाक्टर स्नेहिल पांडेय उत्तर प्रदेश से अकेली महिला शिक्षिका हैं। डाक्टर स्नेहिल पांडेय के इस खूबसूरत सरकारी प्राथमिक इंग्लिश मीडियम विद्यालय को आप भी पहली नजर में सरकारी विद्यालय मानने को तैयार नहीं होंगे।
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स्नेहल पाण्डेय ने महज 4 वर्षो को कर दिखाया ये कमाल
हिंदी वन इंडिया को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में स्नेहिल पाण्डेय ने बताया 2015 में उनकी इस स्कूल में पोस्टिंग हुई। तब समस्या थी कि उसके स्कूल में 60 बच्चों का एडमीशन था लेकिन उनमें से केवल 30 बच्चे ही स्कूल आते थे। इतना ही नहीं जिन बच्चों का एडमीशन था, सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए उन बच्चों का नाम दूसरे स्कूलों में भी रजिस्टर था। वहीं कई बच्चें ऐसे थे कि जो सरकारी स्कूल में पढ़ाई न होने के कारण दूसरे प्राइवेट स्कूल का रुख कर चुके थे। यही कारण था कि सबसे पहले मैंने अपनी टीचरों की टीम के साथ बच्चों को पढ़ाने के तरीके में कुछ रुचिकर पाठ्यक्रम शामिल किया साथ ही स्नेहिल ने स्कूल में 36 तरीकें के इनोवेशन किए। यहीं कारण है कि महज चार सालों में अब स्नेहिल के स्कूल में 260 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं जिनमें 136 बालिकाएं हैं।
बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए खर्च कर दी अपनी सैलरी
बच्चियां घर में चूल्हा-चौके का काम छोड़कर पढ़ाई करें उन्हें उनके घर वाले स्कूल पढ़ने के लिए भेंजे इसलिए स्नेहिल ने स्कूल में अपनी सैलरी खर्च करके "स्नेहिल नवाचार पंखों को मिली उड़ान" कार्यक्रम लांच किया। स्नेहिल ने अपने वेतन से बालिका शिक्षा को बढ़ाने और प्रधानमंत्री मोदी के सपने को साकार करने के लिए प्रतिवर्ष अव्वल आने वाली बालिका को साइकिल पुरस्कार में दे रही हैं। ताकि दूर गांवों से आने वाली उन लड़कियों को स्कूल आने में सहूलियत हो सके।
पर्यावरण जागरुकता और बच्चों को अंग्रेजी सिखाने के लिए किए ये प्रयोग
स्नेहल ने बताया कि हमारे स्कूल में बच्चों को पर्यावरण से जोड़ने के लिए "जितना नामांकन, उतना वृक्षांकन" नामक योजना के तहत जब भी किसी बच्चे का एडमीशन होता है तो वो बच्चा एक पौधे को गोद लेता है। इसके बाद जब तक स्कूल में पढ़ता है अपने उस पौधे को पानी देने से लेकर सभी देखभाल करता है। इसके अलावा बच्चे अंग्रेजी जल्दी सीखें इसलिए पूरे प्रागंण, दीवारों पर स्लोगन, सभी जगहों के नाम के अंग्रेजी में स्टीकर लगा रखे हैं ताकि बच्चे अंग्रेजी शब्दों को व्यवहारिकता में प्रयोग कर सकें। इस स्कूल में इनर्वटर, फर्नीचर, बिजली पानी की 24 घंटे व्यवस्था होने के साथ- साथ हर क्लास रूम के बाहर डस्टबिन और बच्चों के हाथ धोने के लिए साबुन, साफ सुथरा बालक और बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचालय भी है।
स्नेहिल की शिक्षिका मां सुधा पांडेय को भी मिल चुका है राष्ट्रपति पुरस्कार
वर्ष 1986 में जन्मी स्नेहिल पांडेय को शिक्षक बनने की प्रेरणा मां सुधा पाण्डेय से मिली। उनकी मां भी उन्नाव के सरकारी स्कूल में प्रधानाध्यापिका हैं और 2016 में मां सुधा पाण्डेय को शिक्षा में उनके सराहनीय योगदान के लिए पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय प्रणब मुखर्जी के हाथों सर्वोच्च शिक्षक का राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। स्नेहल के पिता अनूप कुमार शिक्षा विभाग में कर्ल्क पद से सेवानिवृत हो चुके हैं। वहीं स्नेहिल के पति सुधीर पांडेय इंडियन आर्मी में कार्यरत है और देश की सेवा कर रहे हैं। वर्तमान समय में उनकी पोस्टिंग आंतकवाद से प्रभावित जम्मू कश्मीर में हैं।
सरकारी स्कूल में निजी स्कूल जैसी हैं सभी सुविधाएं
स्नेहिल पांडेय की जागरूकता और प्रयास उनके ऑफिस में रखें प्रमाण पत्र और स्मृति चिन्ह बखूबी बयां करते हैं साथ ही विजिटर बुक विद्यालय में नामांकन के प्रचार के लिए निजी स्कूलों से बेहतर विज्ञापन सामग्री और प्रोजेक्टर स्क्रीन के पॉवर प्वाइंट के माध्यम से बच्चों को अंग्रेजी मीडियम की पढ़ाई करवाती हैं। वहीं कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई हो सके इसके लिए वाट्सअप ग्रुप बनाया है जिस पर यूट्यूब पर पढ़ाई के वीडियो बनाकर उसे फारवर्ड करके पढ़ाई करवाई जा रही है। इतना ही नही छोटी कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों को उनके आस-पड़ोस में रहने वाले स्कूल के सीनियर बच्चों से भी पढ़ाई में मदद करवाई जा रही है। इतना ही नहीं कोरोना से बचाव के लिए बच्चों में साफ-सफाई को लेकर जागरुकता और घर में मास्क बनाना भी सिखाया गया।
स्नेहिल ने कहा कि सरकारी स्कूल में बढ़ाई जाएं सुविधाएं
स्नेहिल की मानें तो जब सरकार जनता की भलाई के लिए संवेदनशील है तो ऐसे में हमें भी अपनी भूमि का 100% निभानी चाहिए। उन्होंने अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपनी स्कूल के शिक्षकों की टीम, स्टाफ को दिया उन्होंने कहा कि टीम वर्क से ही हमें सफलता मिलती हैं। कुछ अच्छा करने के लिए हमें समुदाय का साथ भी चाहिए होता हैं। स्नेहिल के अनुसार सरकार को सरकारी स्कूलों में सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाने पर फोकस करना चाहिए, कब तक समुदाय और शिक्षक अपनी सैलरी खर्च करके बच्चों के लिए स्कूल में सुविधाएं जुटाएगा। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूल में पढ़ाई हो इसके लिए टीचर स्कूल में पढ़ाई करवा रहे है कि नहीं ? इसकी सरकार को रेगुलर मॉनिटरिंग करने की आवश्यकता है।
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