बड़ी खबर: कोरोना के खिलाफ वैक्सीन बनाने की तरफ भारत ने बढ़ाया पहला कदम
हैदराबाद। हैदराबाद विश्वविद्यालय (यूओएच) के स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज ने पोटेंशियल वैक्सीन कैंडीडेट्स डिजाइन किए हैं जिनको 'टी सेल एपिटोप्स' नाम दिया गया है। इन्हें नोबेल कोरोना वायरस -2 (COVID-19) के सभी संरचनात्मक और गैर-संरचनात्मक प्रोटीन्स को खत्म करने के लिए तैयार किया जा रहा है, इनकी फिलहाल एक्पेरिमेंटल टेस्टिंग की जा रही है।
ये वैक्सीन कैंडीडेट्स स्मॉल कोरोना वायरल पेपटाइड्स मॉलेक्यूल्स हैं, जिनका इस्तेमाल सेल द्वारा इम्यून रेसपॉन्स को ट्रिगर करने के लिए किया जाता है, ताकि वो खत्म हो जाएं जो इन वायरल पेप्टाइड्स को संरक्षण दे रही हैं। इन एपिटोप्स को इस तरह से तैयार किया गया है कि इनका इस्तेमाल पूरी जनसंख्या को वैक्सीनेट करने के लिए किया जा सके। स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज की डॉ. सीमा मिश्रा को उम्मीद है कि कोरोना वायरस का वैक्सीन जल्द ढूंढ लिया जाएगा।
आमतौर पर एक वैक्सीन की खोज में 15 साल लग जाते हैं, लेकिन शक्तिशाली कम्प्यूटेशनल उपकरण ने इन वैक्सीन कैंडीडेट्स को लगभग 10 दिनों में जल्द निकालने में मदद की। पोटेंशियल वैक्सीन कैंडीडेट्स की रैंक्ड लिस्ट इस बात पर निर्भर करती है कि वायरस को रोकने के लिए मानव सेल इनका इस्तेमाल कितने प्रभावी तरीके से करते हैं। वायरस एपिटोप्स मानव सेल और प्रोटीन्स पर कोई क्रॉस कनेक्टिविटी नहीं करते और इसलिए इम्यून रेस्पॉन्स वायरल प्रोटीन्स के खिलाफ काम करता है।
केवल 5 मिनट का ये टेस्ट बताएगा कोरोना वायरस से संक्रमित तो नहीं हैं, यूएस कंपनी का दावा
हालांकि, इस दिशा में अभी और एक्पेरिमेंटल टेस्टिंग की जरूरत है। नोबेल कोरोना वायरस को लेकर भारत में इस तरह का ये पहला रिसर्च है। फिलहाल, कोरोना वायरस का वैक्सीन बनाने में अभी वक्त लग सकता है ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग यानी सामाजिक दूरी से ही इस वायरस के संक्रमण से बचा जा सकता है। बता दें कि भारत में कोरोना वायरस के संक्रमित मरीजों की संख्या 900 के करीब पहुंच चुकी है।