मुस्लिम देशों के विरोध के बीच संयुक्त अरब अमीरात ने फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों का बचाव किया
नई दिल्ली। पैगंबर मुहम्मद के कार्टून को लेकर फ्रांस में एक शिक्षक की हत्या के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मेक्रों के मुस्लिमों के बारे में दिए गए बयान के बाद उठे विवाद के बीच संयुक्त अरब अमीरात ने फ्रांस के राष्ट्रपति का बचाव किया है। यूएई के विदेश मामलों के राज्य मंत्री अनवर गर्गश ने सोमवार को उन दावों को खारिज किया कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने मुसलमानों को बाहर करने के इरादे से कुछ कहा था। उन्होंने कहा कि मैक्रों ने अपने भाषण में जो कहा है, उसे हमें सुनना होगा, वह नहीं चाहते कि पश्चिम में मुसलमानों का अलगाव हो और वो बिल्कुल सही हैं।
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कार्टून का अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के रूप में बचाव किया था
गौरतलब है मैक्रों ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के रूप में कैरिकेचर में पैगंबर मुहम्मद के चित्रण का बचाव किया था, जिसके लिए दुनिया भर में मुस्लिमों ने उनकी भारी आलोचना की। मैक्रों ने यह टिप्पणी एक फ्रांसीसी स्कूल के शिक्षक सैमुएल पैटी को श्रद्धांजलि देते हुए दी थी। गत 16 अक्टूबर को स्कूल के विद्यार्थियों को पैगंबर मोहमम्द का कार्टून को दिखाने के बाद एक मुस्लिम आतंकवादी ने शिक्षक पैटी का सिर कलम कर दिया था। कई मुस्लिम बहुल देशों में प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर रैलियों में फ्रांस की निंदा की है और कुछ ने फ्रांसीसी सामानों के बहिष्कार का आह्वान किया है।
विवाद तुर्की राष्ट्रपति एर्दोगन की राजनीतिक पैंतरेबाजी का परिणाम था
गर्गाश ने दावा किया कि यह विवाद तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन की एक राजनीतिक पैंतरेबाजी का परिणाम था। गर्गश ने कहा कि जैसे ही एर्दोगान को एक खामी या कमजोरी दिखाई देती है, वह इसका इस्तेमाल अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए करता है। तुर्की राष्ट्रपति एर्दोगन ने सबसे पहले मैक्रॉन की तीखी आलोचना की थी और तुर्क को फ्रांसीसी सामान कभी नहीं खरीदने का आह्वान किया था। उन्होंने यह भी कहा कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति को मुसलमानों के साथ समस्या थी और उन्हें मानसिक जांच की जरूरत है। यही वह समय था, जिसके कारण फ्रांस ने अंकारा से अपने राजदूत को वापस बुला लिया था।
नीस शहर में ट्यूनीशियाई व्यक्ति के हमले में तीन लोगों की मौत हो गई
उल्लेखनीय है फ्रांस के नीस शहर में एक ट्यूनीशियाई व्यक्ति द्वारा गुरुवार को एक चर्च पर हमला करने के बाद से फ्रांस को हाई अलर्ट पर रखा गया है, जिसमें चाकू के हमले में तीन लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए थे। हालांकि गत 20 सितंबर को ट्यूनीशिया से यूरोप पहुंचे हमलावर को फ्रांसीसी पुलिस ने गोली मार दी थी और गिरफ्तार कर लिया था।
अबू धाबी क्राउन प्रिंस ने भी फ्रांस के समर्थन में आवाज बुलंद किया
इसी बीच अबू धाबी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायेद ने भी रविवार को मैक्रों के साथ फोन पर बातचीत में फ्रांस के समर्थन में आवाज बुलंद किया। उन्होंने फ्रांस में हमलों की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि घटना इस्लाम की शिक्षाओं और सिद्धांतों का खंडन करती हैं। उन्होंने आगे कहा, पैगंबर मुहम्मद मुसलमानों के बीच एक महान पवित्रता का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन फ्रांस में घटित मुद्दे को हिंसा से जोड़ना और इसका राजनीतिकरण करना अस्वीकार्य है। राजकुमार बिन जायद ने फ्रांस में सांस्कृतिक विविधता और फ्रांस के मुस्लिम नागरिकों को गले लगाने के लिए भी उनकी प्रशंसा की।
राष्ट्रपति मैक्रों ने मुस्लिम देशों की गलतफहमी दूर करने का प्रयास किया
शनिवार को एक साक्षात्कार में राष्ट्रपति मैक्रों ने फ्रांस की मंशा के बारे में मुस्लिम देशों को हुई गलतफहमी को सही करने का प्रयास किया था। उन्होंने कहा कि उनका देश हिंसा के चेहरे के खिलाफ पीछे नहीं हटेगा और स्वतंत्र अभिव्यक्ति के अधिकार का बचाव करेगा, लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि वह या उसके अधिकारियों ने कार्टून का समर्थन किया था अथवा फ्रांस मुस्लिम विरोधी था।
मैं भावनाओं को समझ रहा हूं, मैं उनका सम्मान करता हूं: फ्रांस राष्ट्रपति
उन्होंने कहा, 'मैं व्यक्त की गई भावनाओं को समझ रहा हूं और मैं उनका सम्मान करता हूं, लेकिन आपको अभी मेरी भूमिका को भी समझना होगा। अभी दो काम करना है, शांति को बढ़ावा देना है और अधिकारों की रक्षा करना है। मैं हमेशा अपने देश में बोलने, लिखने, सोचने और चित्रकारी की स्वतंत्रता का बचाव करूंगा।