तिरुवनंतपुरम हवाईअड्डा अडानी को पट्टे पर देने को लेकर केंद्रीय मंत्री की सफ़ाई
केरल सरकार तिरुवनंतपुरम हवाईअड्डे के प्रबंधन और संचालन का काम अडानी समूह को सौंपे जाने की आलोचना कर रही है.
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने तिरुवनंतपुरम हवाईअड्डे के निजीकरण के ख़िलाफ़ चलाये जा रहे 'अभियान' को झूठ बताया है. उन्होंने इस संबंध में एक के बाद एक कई ट्वीट किये.
उन्होंने लिखा कि 'तिरुवनंतपुरम हवाईअड्डे के संबंध में जो समानांतर बयानबाज़ी की जा रही है, वो तथ्यों से परे है.'
पुरी ने ट्वीट करके बताया है कि 'केरल सरकार तिरुवनंतपुरम हवाईअड्डे की बोली प्रक्रिया की योग्यता को पूरी नहीं करती थी.'
उन्होंने दावा किया कि 'इस बोली प्रक्रिया को पारदर्शी तरीक़े से अंजाम दिया गया.'
क्या है मामला
केरल सरकार ने केंद्रीय मंत्रिमंडल के तिरुवनंतपुरम हवाईअड्डे को अडानी एंटरप्राइजेज को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत 50 साल के लिये पट्टे पर देने के निर्णय का विरोध किया था.
केरल के वित्त मंत्री डॉक्टर थॉमस इसाक ने इससे पहले ट्वीट किया था कि 'अडानी की बोली के बराबर बोली के प्रस्ताव के बावजूद केरल सरकार के दावे को ख़ारिज कर तिरुवनंतपुरम हवाईअड्डे को अडानी के हाथों में दे दिया गया. केरल के प्रस्ताव को स्वीकार करने के पीएमओ के वादे को तोड़ा गया. केरल के लोग इसे स्वीकार नहीं करेंगे.'
हवाईअड्डों की निजीकरण प्रक्रिया के बारे में पुरी ने ट्विटर पर कहा, "पट्टा हासिल करने वाली बोली में प्रति यात्री 168 रुपये शुल्क का ज़िक्र था जबकि केएसआईडीसी (केरल राज्य औद्योगिक विकास निगम) ने प्रति यात्री 135 रुपये, और बोली लगाने वाली तीसरी कंपनी ने 63 रुपये प्रति यात्री की बोली लगाई थी."
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, प्रति यात्री शुल्क 2019 की शुरुआत में हुई छह हवाईअड्डों की बोली प्रक्रिया का पैमाना था. ये छह हवाईअड्डे थे- लखनऊ, अहमदाबाद, मैंगलोर, जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम.
अडानी एंटरप्राइजेज ने इन 6 हवाईअड्डों के लिये सबसे ज़्यादा बोली लगाई थी.
पुरी ने क्या बताई वजह
पुरी ने कहा कि बोली प्रक्रिया से पहले केंद्र और केरल सरकार में यह सहमति बनी थी कि अगर केएसआईडीसी की बोली जीतने वाली बोली के 10 प्रतिशत के दायरे में रहती है तो हवाईअड्डे का पट्टा उसे दिया जाएगा.
हालांकि अडानी की बोली और केएसआईडीसी की बोली में बोली प्रक्रिया के दौरान 19.64 प्रतिशत का अंतर था इसलिये अडानी को पट्टा हासिल हुआ.
पुरी ने कहा, "इसलिये केरल सरकार को आरओएफ़आर (पहले ख़ारिज करने का अधिकार) का विशेष प्रावधान दिये जाने के बावजूद वो पारदर्शी तरीक़े से हुई बोली प्रक्रिया के लिये अर्हता प्राप्त नहीं कर सके."
केरल सरकार ने तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे के प्रबंधन और संचालन का काम अडानी समूह को सौंपने के केंद्र के फ़ैसले का विरोध करने और उस पर चर्चा करने के लिए बृहस्पतिवार को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी.