भारत ने खालिस्तान समर्थित संगठन 'सिख फॉर जस्टिस' पर लगाया बैन
नई दिल्ली। भारत सरकार ने बुधवार को खालिस्तान समर्थित संगठन 'सिख फॉर जस्टिस' (SFJ)पर प्रतिबंध लगा दिया है। एमएचए के सूत्र के मुताबिक,सिख फॉर जस्टिस संगठन अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन आदि में विदेशी राष्ट्रीयता के कुछ कट्टरपंथी सिखों का एक संगठन है, जो यूएपीए, अधिनियम 1967 के प्रावधान 3 (1) के तहत गैरकानूनी है। इसके खिलाफ 12 मामले दर्ज हैं। इस संगठन के करीब 39 लोगों को हिरासत में लिया गया है। SFJ के कई सोशल मीडिया हैंडल ब्लॉक किए गए हैं।
भारत सरकार ने फिलहाल इस संगठन पर पांच साल का प्रतिबंध लगाया
अप्रैल 2019 में नरेंद्र मोदी सरकार ने अनुरोध पर पाकिस्तान भी इस संगठन पर बैन लगा चुका है। गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, वांटेड खालिस्तानी आतंकवादी परमजीत सिंह पम्मा भारत-इंग्लैंड विश्व कप मैच के दौरान देखा गया था। वह भी सिख फॉर जस्टिस से जुड़ा हुआ है। केंद्र सरकार ने सिख फॉर जस्टिस पर प्रतिबंध लगाने का फैसला पंजाब समेत कई राज्यों की सलाह के बाद लिया है। यहीं नहीं प्रमुख सिख निकायों ने भी SFJ की अलगाववादी गतिविधियों पर चिंता जताई थी।
पंजाब में माहौल खराब करने की कोशिश कर रहा है संगठन
वहीं ऐसी खबरें भी सामने आई हैं कि, एसजेएफ अपनी अलगाववादी विचारधारा के प्रचार के लिए करतारपुर कॉरिडोर का उपयोग करना चाहता था। वहीं इस बात के भी कोई ठोस सबूत नहीं हैं कि पाक ने समूह पर अंकुश लगाया है या नहीं। 14 तारीख को करतारपुर वार्ता के दौरान तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के संबंध में भारत द्वारा इस मुद्दे को उठाए जाने की संभावना है। भारत सरकार ने फिलहाल इस संगठन पर पांच साल का प्रतिबंध लगाया है। ये संगठन रेफरेंडम 20-20 चला रहा था। ये संगठन एक ऑनलाइन कैंपेन चला रहा था, साथ ही ये खालिस्तान संगठन को जिन्दा और पंजाब में माहौल खराब करने की कोशिश कर रहा था।
अमरिंदर सिंह ने प्रतिबंध को बताया गैरकानूनी
गृह मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि, पंजाब पुलिस और एनआईए ने पंजाब में कई हिंसक गतिविधियों में गतिविधियों में लिप्त SFJ के कई मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया। जांच में पता चला कि कार्यकर्ता कट्टरपंथी थे और विदेशों से एसएफजे हैंडलर्स गुरपतवंत सिंह पन्नून, हरमीत सिंह, परमजीत सिंह पम्मा मनी लॉन्ड्रिंग के ज़रिए उन्हें पैसे भेज रहे थे वहीं सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 'सिख फॉर जस्टिस' को बैन करने के भारत सरकार के फैसले को गैरकानूनी करार दिया है।
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