UNGA: PM मोदी ने बिना पाकिस्तान का नाम लिए ही दुनिया को दिए कौन से तीन संदेश, जानिए
नई दिल्ली- संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली (यूएनजीए) में प्रधानममंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के साथ ही धारा-370 हटाने को लेकर भारत की कूटनीति का पहला चैप्टर समाप्त हो गया है। अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एकबार भी पाकिस्तान या इमरान खान का नाम लेने की जरूरत नहीं पड़ी। लेकिन, उन्होंने बिना नाम लिए ही पाकिस्तान को लेकर पूरी दुनिया को तीन सख्त संदेश देने की कोशिश की है। उन्होंने पूरे विश्व समुदाय को बता दिया है कि जम्मू-कश्मीर में हुआ संवैधानिक बदलाव, वहां विकास करने के लिए किया गया है। पूरी दुनिया आज आतंकवाद की बड़ी चुनौती झेल रही है, जिसका केंद्र पाकिस्तान है और वहां की सरकार की नीतियों में आतंकवाद शामिल है; और तीसरा पाकिस्तान और भारत के बीच जो भी मसले हैं वह दोनों देशों के बीच के हैं और उसे द्वीपक्षीय बातचीत के आधार पर ही निपटाया जा सकता है, लेकिन उससे पहले पाकिस्तान को एक जिम्मेदार देश (टेरररिस्तान नहीं) बनकर दिखाना होगा।
कश्मीर में बदलाव का मकसद विकास
भारत
दुनिया
के
193
देशों
के
मंच
पर
बिना
जिक्र
किए
स्पष्ट
रूप
से
यह
बताने
में
कामयाब
रहा
है
कि
जम्मू-कश्मीर
में
जो
भी
संवैधानिक
बदलाव
किए
गए
हैं,
उसका
मकसद
सिर्फ
और
सिर्फ
क्षेत्र
के
विकास
से
जुड़ा
है।
यानि
बिना
कहे
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
ने
पूरी
दुनिया
को
ये
संदेश
दिया
है
कि
जम्मू-कश्मीर
उसका
आंतरिक
मसला
है
और
एक
संप्रभुत्व
संपन्न
राष्ट्र
होने
के
नाते
वहां
हर
तरह
के
वैद्यानिक
बदलाव
करने
का
अधिकार
उसके
पास
सुरक्षित
है।
आने
वाले
दिनों
में
इसका
असर
जमीन
पर
भी
देखने
को
मिल
सकता
है।
मसलन,
जम्मू-कश्मीर
में
आतंकवाद-विरोधी
अभियान
में
तेजी
आ
सकती
है
और
साथ
ही
साथ
वहां
लगाई
गई
पाबंदियों
में
राहत
मिलता
हुआ
दिखाई
दे
सकता
है।
सरकार
राज्य
में
राजनीतिक
गतिविधियों
में
धीरे-धीरे
रियायत
दे
सकती
है।
अमेरिका
में
मोदी
की
मौजूदगी
के
दौरान
अमेरिकी
रवैये
को
देखकर
भी
इसे
समझा
जा
सकता
है।
अमेरिकी
स्टेट
डिपार्टमेंट
की
अधिकारी
अलीस
वेल्स
के
मुताबिक,
'हमें
स्थानीय
नेताओं
के
राजनीति
में
सक्रियता
बढ़ने
और
वादे
के
मुताबिक
जल्दी
से
जल्दी
चुनाव
को
लेकर
भारत
सरकार
से
काफी
उम्मीदें
हैं।
पीएम
मोदी
ने
आश्वस्त
किया
है
कि
कश्मीर
में
हुए
हालिया
बदलाव
से
कश्मीरी
लोगों
की
जिंदगी
बेहतर
होगी
और
हमें
भरोसा
है
कि
वे
अपने
वादे
पूरे
करेंगे।'
दुनिया के लिए आतंकवाद है असली चुनौती,अड्डा है पाकिस्तान
हाउडी मोदी से लेकर जनरल असंबेली तक प्रधानमंत्री मोदी ने पहले अमेरिका और पूरे विश्व को दो टूक समझा दिया है कि दुनिया के सामने अगर असली चुनौती है तो वह आतंकवाद की और जिससे अधितकम देश पीड़ित हैं और दुनिया को भी पता है कि उसका केंद्र पाकिस्तान है। इसका असर अमेरिका पर भी बहुत गहरा पड़ा है। अमेरिकी स्टेट विभाग ने पाकिस्तान को सीधा संकेत देने की कोशिश है कि भारत में सीमापार से जारी आतंकवाद को रोकना उसकी जिम्मेदारी है। भारत दुनिया को ये बताने में सफल रहा है कि कश्मीर में अगर संचार साधनों पर पाबंदी लगाई गई है, तो उसके पीछे भी आतंकवाद है, जिसे खोलने से वहां स्थिति को सामान्य बनाने में और मुश्किलें पेश आ सकती हैं। भारत के इस दबाव का असर पाकिस्तान पर अक्टूबर में दिखेगा भी जब उसपर फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीए) की ओर से आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ कदम नहीं उठाने के चलते ब्लैक लिस्ट होने की तलवार लटकेगी। जानकारी के मुताबिक इमरान ने यूएन जनरल असेंबली में कश्मीर में 'निश्चित नरसंहार', 'परमाणु जंग' और 'फासिस्ट मोदी' जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके अपना पक्ष और भी कमजोर कर लिया है।
पाकिस्तान के साथ हर मुद्दा द्विपक्षीय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान सभी मंचों पर और संयुक्त राष्ट्र में भारत ने अपना पक्ष रखकर पूरे विश्व को एक बात फिर से बता दिया है कि पाकिस्तान के साथ जितने भी मसले हैं, वह पूरी तरह से दोनों देशों के बीच के मामले हैं। उसका समाधान द्विपक्षीय बातचीत के जरिए ही निकाला जा सकता है; और यह तभी संभव हो सकता है कि बातचीत उस पाकिस्तान के साथ हो, जो आतंकवादियों की गिरफ्त से मुक्त हो। जहां तक इस्लामी सहयोग संगठन (ओआईसी) का सवाल है तो भारत ने कश्मीर मुद्दे पर उसके रवैये को कभी भाव नहीं दिया है। अलबत्ता, ओआईसी के दो महत्वपूर्ण सदस्यों यूएई और सऊदी अरब की भावनाओं को भारत ने अपनी कूटनीति से पहले ही अपने पक्ष में कर रखा है। इमरान 'इस्लाम खतरे में' का नारा बुलंद करना चाहते हैं, लेकिन बांग्लादेश जैसा पड़ोसी मुल्क भी उसके उकसावे में आने को तैयार नहीं है और कश्मीर मसले को भारत-पाकिस्तान का आंतरिक मसला मानता है।
भारत ने जीता विश्व का विश्वास
ऊपर के तीनों बिंदुओं पर पाकिस्तान और चीन को छोड़कर भारत के तर्कों से दुनिया के अमूमन सभी देश सहमत हैं। अब भारत को जम्मू-कश्मीर में धारा-370 के अगले चैप्टर की शुरुआत करनी है, जिसमें 'सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास' वाली भावना को दुनिया जमीन पर भी महसूस कर सके। इमरान खान सिर्फ मुसलमान-मुसलमान चिल्लाकर दुनिया को परमाणु जंग के नाम पर कभी धमका रहे हैं तो कभी मुस्लिम बहुल देशों को भारत के खिलाफ लामबंद करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन, पाकिस्तान और इमरान की असलियत क्या है, उसकी पोल अब अमेरिका भी खोलने लगा है। अमेरिका ने दो टूक कह दिया है कि अगर पाकिस्तान को मुसलमानों की इतनी ही फिक्र है तो पश्चिमी चीन में उइगर मुसलमानों पर चीन के जुल्मों के खिलाफ आवाज क्यों नहीं उठा रहा है। यानि भारत ये मैसेज देने में पूरी तरह कामयाब रहा है कि इमरान और पाकिस्तान के सारे दावे सिर्फ झूठ का पुलिंदा है।
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