सरकार ने भी आखिरकार माना, बेरोजगारी ने तोड़ा 45 साल का रिकॉर्ड
नई दिल्ली: श्रम मंत्रालय ने शुक्रवार को बेरोजगारी के आंकड़े जारी किए। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि बेरोजगारी दर पिछले 45 सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल अपने 57 मंत्रियों के साथ शपथ ली थी। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में सरकार ने ये आंकड़े जारी नहीं किए थे। लेकिन उस समय ये आंकड़े लीक हो गए थे। सरकार ने तब इन आंकड़ों को नकार दिया था। श्रम मंत्रालय ने माना क 2017-18 में बेरोजगारी की दर 6.1 फीसदी रही।
सरकार ने मानी रोजगार संकट की बात
बीजेपी ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बहुमत से जीत हासिल की। उसे साल 2014 से ज्यादा सीटें मिली हैं। बीजेपी को इस चुनाव में 303 सीटें मिली हैं। ये आकंड़े मोदी सरकार की शपथ के एक दिन बाद जारी हुए हैं। साल 1972-73 के बाद ये बेरोजगारी दर सबसे अधिक है। नौकरियों के संकट और कृषि क्षेत्र में चिंता के बीच एनडीए सरकार ने वापसी की है। मुख्य सांख्यिकीविद् प्रवीण श्रीवास्तव ने संवाददाताओं से कहा कि ये एक नया डिजाइन है। इन आंकड़ों के संबंध में मेथड में बदलाव के कारण इनकी तुलना पिछले आंकड़ों से नहीं की जा सकती हैं।
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महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में बेरोजगारी अधिक
सांख्यिकी मंत्रालय ने यह भी कहा कि दिसंबर 2018 में समाप्त होने वाली तिमाही के लिए शहरी क्षेत्रों में महिला श्रम भागीदारी दर 19.5 प्रतिशत थी, जबकि पुरुषों के लिए यह 73.6 प्रतिशत थी। यानि महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में बेरोजगारी दर अधिक है। वहीं आज साल 2018-19 के चौथी तिमाही के आकंड़े भी सामने आए। इसमें चौथी तिमाही में जीडीपी 5.8 फीसदी दर्ज हुई। 17 तिमाहियों में इसकी सबसे धीमी गति है और लगभग दो वर्षों में पहली बार जीडीपी चीन से पिछड़ गई है।
नोटबंदी के बाद बढ़ी बेरोजगारी दर
इस साल जनवरी आखिरी में अग्रेजी अखबार बिजनेस स्टैंडर्ड ने ये आंकड़े जारी किए थे। तब उसने कहा था कि अभी ये आंकड़ा सार्वजनिक नहीं किया गया है। गौरतलब है कि इस रिपोर्ट को जारी ना करने पर राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के दो सदस्यों पीसी मोहनन और जेवी मीनाक्षी ने इस्तीफा दे दिया था। पीसी मोहनन एनएससी के कार्यकारी अध्यक्ष भी थे। पीसी मोहनन ने आरोप लगाया था कि एनएससी की मंजूरी के बाद भी सरकार इसे जारी नहीं कर रही है।
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