सितंबर महीने में गिरकर 6.67% हुई भारत में बेरोजगारी दर, जानिए पिछले महीने में क्या था हाल?
नई दिल्ली। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) द्वारा सितंबर महीने में भारत में बेरोजगारी दर को लेकर किए गए ताजा सर्वे में उम्मीद जगाने वाले नतीजे सामने आए हैं। सर्वे एजेंसी CMIE के मुताबिक सितंबर में एक महीने में बेरोजगारी दर में गिरावट दर्ज की गई है, जो कि पिछले महीने यानी अगस्त में 8.35 फीसदी से गिरकर 6.67 फीसदी हो गई है। बड़ी बात यह है कि पिछले 18 महीनों में सितंबर महीने सबसे कम बेरोजगारी दर दर्ज हुई है।
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रोजगार दर भी सितंबर में लगभग 38 फीसदी के उच्चतम स्तर पर पहुंचा
इसके अलावा भारत में रोजगार दर भी अगस्त के 37.5 फीसदी के मुकाबले में सितंबर महीने में लगभग 38 फीसदी के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। दिलचस्प बात यह है कि उक्त आकंड़े लॉकडाउन के बाद दिखने को मिले हैं। एक लेख में प्रकाशित लेख में सीएमआईई के सीईओ महेश व्यास का कहना है कि पिछले महीने छोटी गिरावट से अधिक की रिकवरी हुई है, जो कि स्वागत योग्य हैं।
श्रमिक भागीदारी दर (LPR) में गिरावट अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय
व्यास ने लिखा कि सितंबर में श्रमिक भागीदारी दर (LPR) में गिरावट अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय है। अगस्त महीने में यह 41 फीसदी से गिरकर सितंबर में 40.7 फीसदी हो गया। यह अजीब है, क्योंकि अगर रोजगार दर बढ़ती है और बेरोजगारी दर नीचे जाती है, तो यह श्रम शक्ति के विस्तार के लिए जगह बनाता है और इससे श्रमिक भागीदारी दर भी सुधऱती है।
सितंबर में भारत में श्रम भागीदारी दर 40.7 फीसदी थी
गौरतलब है एलपीआर से पता चलता है कि काम करने की उम्र के कितने लोग रोजगार पाने के इच्छुक हैं। सितंबर में श्रम भागीदारी दर 40.7 फीसदी थी, जो 2019-20 में 42.7 फीसदी औसत श्रम भागीदारी दर से 199 आधार अंक नीचे थी। बकौल व्यास, यदि यह इसी अनुपात गिरता रहता है, तो यह भारत की विकास कहानी के लिए अच्छा नहीं है, जो अर्थव्यवस्था में पुनरुत्थान की सभी कहानियों को एक मिथक के रूप में पेश करता है।
2016-17 से प्रणालीगत रुप से श्रम भागीदारी दर में गिरावट आई है
उन्होंने बताया कि 2016-17 से श्रम भागीदारी दर में प्रणालीगत रुप से गिरावट आई है, तब यह 46.1 फीसदी था। 2017-18 में नवंबर 2016 के विमुद्रीकरण और जुलाई 2018 के जीएसटी लागू होने का पूरा असर एलपीआर पर दिखा था जब एलपीआर 256 आधार अंकों से गिर गया। व्यास ने कहा कि 2018-19 में इसमें 77 आधार अंकों की गिरावट आई और फिर 2019-20 में यह फिर से 14 आधार अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ।
मई से अगस्त 2020 तक 66 लाख से अधिक पेशेवरों की नौकरियां चली गई
पिछले महीने की अपनी रिपोर्ट में सीएमआईई ने कहा था कि मई से अगस्त 2020 तक भारत में 66 लाख से अधिक सफेद कॉलर पेशेवर नौकरियां चली गई थीं। महामारी के चलते बेरोजगार हुए इंजीनियर, चिकित्सक, शिक्षक, लेखाकार ने भारतीय अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया। लॉकडाउन के कारण अप्रैल में 12 करोड़ से अधिक वेतनभोगी लोगों की नौकरियां गईं। अगस्त तक ज्यादातर नौकरियों में रिकवरी देखी गई, लेकिन समय के साथ कुछ व्यवसायों की हालत बिगड़ती गई।