MOTN सर्वे: बेरोजगारी को लेकर मोदी सरकार पर क्या है लागों की राय
नई दिल्ली। देश में बेरोजगारी को लेकर हाल ही में कई रिपोर्ट सामने आईं। इन रिपोर्ट्स से पता चला कि देश में बेरोजगारी दर पहले से ज्यादा बढ़ी है। लेकिन इस मामले में हमारे देश की जनता क्या सोचती है, ये एक बड़ा सवाल है। देश की जनता का मूड जानने के लिए एक सर्वे किया गया। जिसमें पता चला है कि इस वक्त लोगों की सबसे बड़ी चिंता बेरोजगारी है। ये बात इंडिया टुडे ग्रुप- कार्वी इनलाइट मूड ऑफ द नेशन (MOTN) सर्वे 2020 में सामने आई है।
32 फीसदी लोग बेरोजगारी से चिंतित
दिसंबर 2019 में किए गए इस सर्वे के अनुसार, 19 राज्यों के 12,141 प्रतिक्रिया देने वाले लोगों में से 32 फीसदी ने पर्याप्त रोजगार के अवसरों की कमी पर चिंता व्यक्त की है। इस सर्वे में लोगों से सवाल पूछा गया था कि वह किस मुद्दे पर सबसे ज्यादा चिंतित हैं। सर्वे के अनुसार, 32 फीसदी लोग बेरोजगारी, 15 फीसदी किसानों पर संकट, 14 फीसदी बढ़ती महंगाई, 12 फीसदी भ्रष्टाचार और 10 फीसदी लोग आर्थिक मंदी के चलते चिंतित हैं।
12,141 लोगों से बातचीत की गई
इंडिया टुडे ग्रुप का ये सर्वे 21 दिसंबर, 2019 से 31 दिसंबर, 2019 तक किया गया। जिसमें 12,141 लोगों से बातचीत की गई। इन लोगों में 67 फीसदी ग्रामीण और 33 फीसदी शहरी लोग शामिल रहे। वहीं पुरुष और महिलाओं की संख्या लगभग बराबर ही रही। सर्वे 19 राज्यों में 97 संसदीय क्षेत्रों के 194 विधानसभा क्षेत्रों में किया गया है।
47 फीसदी को मोदी सरकार से उम्मीद
इन लोगों में से 47 फीसदी का मानना है कि मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में अधिक रोजगार का सृजन कर पाएगी। 30 फीसदी लोगों को रोजगार के मामले में कुछ बेहतर नहीं दिखाई दिया। साथ ही 19 फीसदी लोगों की प्रतिक्रिया 'कुछ नहीं कह सकते/पता नहीं' रही। क्षेत्रीय तौर पर देखें तो देश के पश्चिमी क्षेत्र में 55 फीसदी लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी के दूसरे कार्यकाल में रोजगार का परिदृश्य बेहतर होने वाला है। 43 फीसदी लोगों को रोजगार सृजन में कम उम्मीद है। दक्षिणी क्षेत्र के 45 फीसदी और उत्तरी क्षेत्र के 46 फीसदी लोगों ने नौकरियों के सृजन को लेकर उम्मीद जताई है।
ग्रामीण इलाके के लोगों को ज्यादा उम्मीद
रोजगार सृजन में सुधार की उम्मीद शहरी से ज्यादा ग्रामीण इलाके के लोगों को है। ग्रामीण इलाके के 48 फीसदी लोग ये मानते हैं कि मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में अतिरिक्त रोजगार पैदा कर सकेगी। जबकि इस मामले में शहरी लोगों की संख्या 45 फीसदी ही रही। अधिकांश का मानना है कि एनडीए सरकार इस कार्यकाल में और अधिक नौकरियां पैदा कर पाएगी।
वित्त मंत्री के लिए क्या कहते हैं लोग?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लेकर 39 फीसदी लोगों का मानना है कि आर्थिक मंदी से निपटने के लिए उन्होंने अच्छा काम किया है, जबकि 30 फीसदी लोगों का मानना है कि वह इसमें असफल रही हैं। अगर बेरोजगार लोगों की बात करें तो इनमें से 37 फीसदी का मानना है कि सीतारमण ने अर्थव्यवस्था को संभालने में अच्छा काम किया है। वहीं 30 फीसदी बेरोजगार लोग मानते हैं कि वह पूरी तरह से विफल साबित हुई हैं।
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े?
सरकारी आंकड़े देखें, तो भारत में वित्त वर्ष 2017-18 में बेरोजगारी दर 6.1 फीसदी रही है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय के आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 में बेरोजगारी दर ग्रामीण भारत में 5.3 फीसदी और शहरी भारत में 7.8 फीसदी रही। 2014 के चुनावों में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोजगार को बढ़ाने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि वह हर साल एक करोड़ रोजगार उत्पन्न करेंगे।
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