आया गर्भनिरोधक इंजेक्शन : अब अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच पाएंगे पुरुष
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बेंगलुरु। भारत की आबादी तेजी से बढ़ रही है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि भारत की जनसंख्या इसी तरह बढ़ती रही तो साल 2027 तक चीन को पीछे छोड़ते हुए भारत दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन जाएगा। यही कारण है कि मोदी सरकार भी जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की तैयारी में जुटी हुई हैं। भारत में जनसंख्या बढ़ने का प्रमुख कारण यह भी है कि सदा से जनसंख्या नियंत्रण करना महज महिलाओं की जिम्मेदारी समझी जाती रही हैं, बल्कि यह महिला-पुरुष दोनों की संयुक्त जिम्मेदारी है।
इसे जागरूकता की कमी कह लीजिये या समाज की पुरुष प्रधान मानसिकता का एक और सबूत। लेकिन जनसंख्या विस्फोट की चौतरफा दिक्कतों के बीच आबादी के सरपट दौड़ते घोड़े की नकेल कसने की व्यक्तिगत मुहिम में पुरुषों की भागीदारी महिलाओं के मुकाबले अब भी बेहद कम है।
परिवार नियोजन के ऑपरेशनों के मामले में कमोबेश पूरे देश में गंभीर लैंगिक अंतर बरकरार है। हमेशा अनचाहे गर्भ से बचने की जिम्मेदारी महिलाओं की ही मानी जाती रही है। गर्भनिरोधक गोलियां हो या कॉन्ट्रैसेप्टिव रिंग लगवाना हो, महिलाओं को ही इस्तेमाल करना होता है। पुरुषों के लिए कंडोम के अलावा दूसरा विकल्प पारंपरिक नसबंदी का होता है, जिसे अपनाने में पुरुष हमेशा गुरेज करते आए हैं।
लेकिन अब एक नया विकल्प सामने आया है जिसका प्रयोग करके पुरुष भी जनसंख्या नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने से बच नहीं सकेंगे। क्योंकि भारतीय वैज्ञानिकों ने पुरुषों के लिए दुनिया का पहला गर्भनिरोधक इंजेक्शन बनाकर तैयार किया है। गर्भनिरोधक के रूप में पुरुषों को लगने वाला यह इंजेक्शन 13 साल तक के लिए प्रभावी रहेगा।
पुरुषों के लिए दुनिया का पहला गर्भ निरोधक इंजेक्शन
भारतीय मेडिकल रिसर्च काउंसिल ने पुरुषों को लगने वाले गर्भनिरोधक इंजेक्शन का सफल ट्रायल किया है और यह सफल भी रहा है। वैज्ञानिकों का दावा है कि तीसरे फेज के ट्रायल में 303 मरीजों पर इंजेक्शन का इस्तेमाल किया गया, जिसकी सफलता दर 97.3 फीसदी रही। साथ ही किसी तरह का कोई साइड इफेक्ट नहीं रहा। यह इंजेक्शन पुरुषों की पारंपरिक नसबंदी के विकल्प के तौर पर काम करेगा। अभी तक गर्भनिरोध के लिए महिलाओं के लिए कई सारे विकल्प थे अब पुरुषों के पास भी यह नया विकल्प उपलब्ध होगा। गर्भनिरोधक के रूप में पुरुषों को लगने वाला यह इंजेक्शन 13 साल तक के लिए प्रभावी रहेगा। इसके बाद इंजेक्शन का असर खत्म हो जाएगा।
सरकार से अप्रूवल का इंतजार है
पुरुष में होने वाली नसबंदी या सर्जरी के झंझट को खत्म करने के लिए यह इंजेक्शन तैयार किया गया है। 2016 में अमेरिका में भी इसी तरह के ड्रग पर काम किया जा रहा था लेकिन इसके साइड इफेक्ट सामने आने के बाद इसके ट्रायल को रोक दिया गया। इंजेक्शन के सफल ट्रायल के बाद इसे ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है। भारतीय मेडिकल रिसर्च काउंसिल के सीनियर साइंटिस्ट डॉक्टर आरएस शर्मा के अनुसार इसके लिए सरकार से अप्रूवल का इंतजार है।
ऐसे किया जाएगा इस्तेमाल
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से इस इंजेक्शन को मंजूरी मिलने के बाद ये दुनिया पहला पुरुष गर्भनिरोधक इंजेक्शन कहलाएगा। बता दें आईसीएमआर के कॉन्ट्रासेप्टिव इंजेक्शन को लोकल ऐनस्थीसिया के साथ दिया जाएगा। इंजेक्शन को टेस्टिकल के पास स्पर्म ट्यूब में लगाया जाएगा। ये पॉलिमर स्पर्म को टेस्टिकल्स बाहर निकालने से रोकेगा। गौरतलब हैं कि गर्भ ठहरने के लिए भ्रूण बनने में स्पर्म की अहम भूमिका होती है।
खासकर पुरुषों के लिए तैयार किया गया यह इंजेक्शन शरीर में एक पॉलिमर की तरह होगा, जिससे स्पर्म के टेस्टिकल्स बाहर निकलने से रोका जा सकेगा। ऐसा होने से संबंध बनाने वाली महिला का गर्भधारण नहीं होगा। फिलहाल इस इंजेक्शन को भारतीय रेग्युलेटरी बॉडी से अप्रूवल मिलने का इंतजार है जिसमें करीब 6 से 7 महीने का वक्त लग सकता है। एक बार यह प्रक्रिया हो जाए उसके बाद यह बर्थ कंट्रोल इंजेक्शन नसबंदी का बेहतर विकल्प साबित हो पाएगा।
महिलाएं ही क्यों निभाएं ये जिम्मेदारी
अब तक महिलाओं की तुलना में पुरुषों में प्रचलित एकमात्र गर्भनिरोधक कांडोम है, लेकिन माना जाता है कि कांडोम का चलन पुरूषों में बेहद कम है। आकंड़ों के मुताबिक महज 8 फीसदी पुरूष ही कांडोम का इस्तेमाल करते हैं और महज 2 फीसदी पुरूष ही नसबंदी कराते हैं जबकि पुरूषों के मुकाबले 19 फीसदी महिलाएं गर्भनिरोध के लिए नसबंदी, 14 फीसदी कॉपर टी , 9 फीसदी गर्भनिरोधक गोलियां और 5 फीसदी इंजेक्शन का इस्तेमाल करती हैं।
नसबंदी से बचते हैं पुरुष
जनसंख्या नियंत्रण करने को परिवार नियोजन अपनाने के लिए खूब शोर मचाया जा रहा है। शहर से लेकर ग्रामीण स्तर तक लोगों को जागरूक करने में लाखों रुपये पानी की तरह बहा रहे हैं। फिर भी परिवार नियोजन के आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं। जबकि, जमीनी हकीकत में नसबंदी कराने वालों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है।आकंड़ों के मुताबिक पुरूषों में नसबंदी की प्रक्रिया 200 साल पहले शुरू हुई थी, लेकिन फिर भी महिलाओं की नसबंदी पुरूषों की तुलना में 10 गुना ज्यादा होती है। नसबंदी विशेषज्ञ मानते आए हैं कि देश में जनसंख्या नियंत्रण की मुहिम को और प्रभावी बनाने के लिये पुएष नसबंदी की ओर अपेक्षाकृत ज्यादा ध्यान दिये जाने की जरूरत है।
पुरुषों को सताता ये डर
परिवार नियोजन के ऑपरेशनों को लेकर ज्यादातर पुरुषों की हिचक और वहम अब भी कायम हैं। अक्सर देखा गया है कि महिलाएं अपने तथाकथित पति परमेश्वर के बजाय खुद नसबंदी ऑपरेशन कराने को जल्दी तैयार हो जाती हैं। परिवार नियोजन शिविरों में कई महिलाएं इसका खुलासा भी कर चुकी हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि इसलिये यह ऑपरेशन करा रही हैं, क्योंकि उनके पति अपनी नसबंदी कराने को किसी कीमत पर तैयार नहीं हैं। उधर, नसबंदी ऑपरेशनों को लेकर ज्यादातर पुएषों की प्रतिक्रिया एकदम उलट बतायी जाती है।
डाक्टर बताते हैं कि परिवार नियोजन शिविरों में नसबंदी ऑपरेशन के बारे में बात करते हैं, तो ज्यादातर पुरुष अपने यौनांग में किसी तरह की तकलीफ की कल्पना मात्र से सिहर उठते हैं। ज्यादातर पुरुषों को लगता है कि अगर वे नसबंदी ऑपरेशन करायेंगे तो उनकी शारीरिक ताकत और मर्दानगी कम हो जायेगी, जबकि हकीकत में ऐसा कुछ भी नहीं होता। इसलिए पुरूषों के लिए इंजेक्शन विकसित कर लेने के बाद भी कोई गारंटी नहीं है कि पुरूष उसका भी इस्तेमाल करेंगे। इसके लिए सबसे पहले जरूरी ही लैंगिक समानता पर काम किया जाए और जब तक इसका दायरा नहीं बढ़ेगा पुरूष और महिला के बीच खाई कभी नहीं पटेगी।
सरकार कभी भी ला सकती है इस पर कानून
सरकार जनसंख्या को लेकर चिंतित हैं और अपने नागरिकों को बेहतर जीवन देने के लिए यह विधेयक ला रही है। पिछले दिनों राज्य सभा में 'जनसंख्या विनियमन विधेयक, 2019' पेश किया गया था. जिसके तहत दो से ज़्यादा बच्चे पैदा करने वाले लोगों को दंडित करने और सभी सरकारी लाभों से भी वंचित करने का प्रस्ताव है। इस विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि जिनके दो बच्चे होंगे उन्हें कई फायदे मिलेंगे। बैंक डिपॉज़िट में ज़्यादा ब्याज़ मिलेगा। बच्चों को शिक्षा में प्राथमिकता मिलेगी। इसमें जिनके दो से अधिक बच्चे होंगे उन्हें लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित किये जाने की वकालत भी गयी है। साथ ही जमा रकम में कम ब्याज़ मिले इत्यादि का प्रावधान भी है।
भारत 2050 तक शीर्ष पर होगा
वैश्विक
जनसंख्या
वृद्धि
पर
संयुक्त
राष्ट्र
की
ताजा
रिपोर्ट
में
यह
बात
सामने
आई।
रिपोर्ट
में
कहा
गया
है
कि
इस
सदी
के
अंत
तक
भारत
की
आबादी
150
करोड़
हो
जाएगी।
वहीं
जनसंख्या
को
नियंत्रित
करने
की
नीतियों
के
कारण
चीन
की
आबादी
110
करोड़
पर
रुक
जाएगी।
40.30
करोड़
की
आबादी
के
साथ
पाकिस्तान
पांचवें
नंबर
पर
होगा।
भारत
की
जनसंख्या
1947
से
2019
के
बीच
भारत
की
जनसंख्या
में
366
प्रतिशत
की
वृद्धि
हुई
है।
वहीं,
इस
अवधि
में
अमेरिका
की
जनसंख्या
में
सिर्फ
113
प्रतिशत
की
बढ़ोतरी
हुई
है।
2016
में
सेंसस
द्वारा
लगाये
गये
अनुमान
के
अनुसार
भारत
की
जनसंख्या
1,324,171,354
यानी
132
करोड़
है।
जिसमें
से
15
फीसदी
लोग
शहरों
में
रहते
हैं।
यानी
करीब
19.86
करोड़
लोग
शहरों
में
रहते
हैं,
जोकि
उस
समय
की
भारत
की
जनसंख्या
से
भी
अधिक
है,
जितनी
ब्रिटिश
काल
में
हुआ
करती
थी।
दुनिया
में
कुल
जमीनी
हिस्से
का
2.41
प्रतिशत
भारत
में
है,
जबकि
जनसंख्या
विश्व
की
कुल
आबादी
की
18
प्रतिशत
है।
सेंसस
के
अनुसार
भारत
की
72.2
फीसदी
जनसंख्या
गांवों
में
रहती
है,
जबकि
27.8
फीसदी
लोग
शहरों
में।
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