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इस बार पिछले चुनाव से भी बदतर रहा बिहार में महागठबंधन का प्रदर्शन, आंकड़ों से समझिए?

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नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में राष्ट्रीय जनता दल के नेतृत्व वाली महागठबंधन का प्रदर्शन बेहद खराब रहा, बावजूद इसके चुनावी पंडितों द्वारा तेजस्वी यादव के नेतृत्व में कसीदे पढ़े गए, जबकि सच्चाई यह है कि तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन ही नहीं, बल्कि राजद का प्रदर्शन भी बिहार विधानसभा चुनाव 2015 के मुकाबले बेहद शर्मनाक रहा है। आंकड़ों पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि राजद और महागठबंधन में शामिल कांग्रेस समेत सभी राजनीतिक दलों के प्रदर्शन में बिहार चुनाव 2020 के चुनाव में बड़ी गिरावट दर्ज की है।

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एग्जिट पोल में तेजस्वी के नेतृत्व में महागठबंधन जीता हुआ बताया गया

एग्जिट पोल में तेजस्वी के नेतृत्व में महागठबंधन जीता हुआ बताया गया

धाराशाई हुए एग्जिट पोल और प्रोपेगेंडा पॉलिटिक्स की देन ही कहेंगे कि बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के लिए राजद के नेतृत्व वाली महागठबंधन को लगभग जीता हुआ बता दिया गया। यहां तक कि राजद की ओर से जीत की तैयारी भी कर ली गई, मिठाईयां बनने लग गईं, लेकिन जब नतीजे आए राजद और महागठबंधन की स्थिति साफ हो गई, ऐसे में सिवाय ईवीएम और वोटों की गिनती में धांधली का आरोप के महागठबंधन के हाथ कुछ नहीं लगा।

तेजस्वी यादव की हीरो और कांग्रेस को बली का बकरा बना दिया गया

तेजस्वी यादव की हीरो और कांग्रेस को बली का बकरा बना दिया गया

गौरतलब है 7-8 महीने को कोरोना काल में आयोजित की गई बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के आखिरी चरण का मतदान 7 नवंबर को संपन्न हुआ तो एग्जिट पोलों और चुनावी मठाधीशों द्वारा महागठबंधन के सिर पर जीत का सेहरा बांध दिया और नतीजे उलट आए तो लीपापोती शुरू हो गई। कहां गया कि इस चुनाव में तेजस्वी यादव और वामपंथी दलों ने शानदार प्रदर्शन किया और कांग्रेस को बली का बकरा बना दिया।

इस चुनाव में राजद की सीटों पर जीत के औसत में बड़ी गिरावट आई है

इस चुनाव में राजद की सीटों पर जीत के औसत में बड़ी गिरावट आई है

वास्तविकता इसके बिल्कुल उलट है। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में महागठंबधन द्वारा जीती गईं सीटों की तुलना पिछले विधानसभा चुनाव में जीतीं गई सीटों से करेंगे तो हकीकत सामने आ जाएगी। इस चुनाव में महागठबंधन का नेतृत्व कर रही राजद की सीटों पर जीत के औसत में बड़ी गिरावट दर्ज की है। पिछले विधानसभा चुनाव में 101 सीटों पर लड़कर 80 सीट जीतने वाली राजद इस बार महज 75 सीट जीत पाई, जबकि वह 144 सीटों पर लड़ी थी।

राजद की खाते में कम हुई पांच सीट एआईएमआईएम के खाते में गई है

राजद की खाते में कम हुई पांच सीट एआईएमआईएम के खाते में गई है

राजद की खाते में कम हुई पांच सीट एआईएमआईएम के खाते में गई है। मुस्लिम बहुल इलाकों में सबसे अधिक नुकसान राजद को असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने किया है और राजद की जीत सुनिश्चित करने वाले एमवाई फैक्टर पर आघात पहुंचाया। इस चुनाव में तेजस्वी की नेतृत्व में राजद का प्रदर्शन बुरा ही नहीं बदतर रहा है, लेकिन बिहार में तीन चौथाई बहुमत की महागठबंधन सरकार बनाने की अफवाह फैलाकर तेजस्वी हो हीरो बना डाला।

2015 विधानसभा चुनाव में राजद की जीत का स्ट्राइक रेट 79 फीसदी थी

2015 विधानसभा चुनाव में राजद की जीत का स्ट्राइक रेट 79 फीसदी थी

आंकड़ों पर गौर करेंगे, तो पाएंगे कि बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में 101 सीटों पर चुनाव लड़ी राजद को 69.95 लाख वोट मिले थे, जो कि कुल वोट शेयर का 18.4 फीसदी बैठता है और तब राजद के खाते में जदयू से अधिक 80 सीट आई थी। राजद द्वारा 2015 चुनाव में जीती गई सीटों की यह संख्या उसके द्वारा लड़ी गईं सीटों की संख्या का 79 फीसदी था। यानी 2015 में उसकी जीत का स्ट्राइक रेट 79 फीसदी थी।

2020 चुनाव में राजद की जीत का स्ट्राइक रेट घटकर 52 फीसदी रह गई

2020 चुनाव में राजद की जीत का स्ट्राइक रेट घटकर 52 फीसदी रह गई

वहीं, बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में 144 सीटों पर लड़ने वाली राजद के खाते में महज 75 सीट आई। भले ही भाजपा से एक सीट जीतकर राजद बिहार में नंबर एक पार्टी बन गई, लेकिन 2020 चुनाव में राजद द्वारा जीती गई सीटों की यह संख्या उसके द्वारा लड़ी गई सीटों की संख्या का 52 फीसदी ही है। यानी 2020 चुनाव में राजद का जीत का स्ट्राइक रेट घटकर 52 फीसदी रह गई, जबकि 2015 में उसका स्ट्राइक रेट 79 फीसदी था।

तेजस्वी के नेतृत्व में राजद नहीं, बल्कि महागठबंधन का प्रदर्शन बुरा रहा

तेजस्वी के नेतृत्व में राजद नहीं, बल्कि महागठबंधन का प्रदर्शन बुरा रहा

कहने का मतलब है कि तेजस्वी के नेतृत्व को शूरमा बताने वाले लोगों ने बैलून में हवा भरने की कोशिश की थी, जबकि वास्तविकता यह है कि तेजस्वी के नेतृत्व में न केवल राजद का प्रदर्शन बुरा रहा, बल्कि महागठबंधन में शामिल कांग्रेस समेत अन्य दलों के प्रदर्शन पर भी इसका बुरा असर दिखा। पिछले चुनाव में महागठबंधन में शामिल कांग्रेस ने 41 सीटों पर लड़कर 27 सीट जीती थी, लेकिन इस बार 70 सीटों पर लड़कर भी 19 सीटों पर सिमट गई।

2020 चुनाव में सहयोगी कांग्रेस की स्ट्राइक रेट में बड़ी गिरावट दर्ज हुई

2020 चुनाव में सहयोगी कांग्रेस की स्ट्राइक रेट में बड़ी गिरावट दर्ज हुई

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में राजद के साथ-साथ कांग्रेस की जीत का स्ट्राइक रेट में बड़ी गिरावट दर्ज हुई। पिछले चुनाव में कांग्रेस का जीत का स्ट्राइक रेट करीब 67 फीसदी था, जबकि इस चुनाव में कांग्रेस की जीत का स्ट्राइक रेट गिरकर 25 फीसदी से कम हो गई। महागठबंधन की जीत का स्ट्राइक रेट भी प्रभावित हुआ। पिछले चुनाव में 243 सीटों पर चुनावी मैदान पर उतरी महागठबंधन ने रिकॉर्ड 178 सीटों पर जीती थी, लेकिन इस चुनाव में 243 सीटों पर लड़कर महज 110 सीटों पर सिमट गई।

2020 में महागठबंधन की जीत का स्ट्राइक रेट लगभग 45 फीसदी रहा

2020 में महागठबंधन की जीत का स्ट्राइक रेट लगभग 45 फीसदी रहा

2020 विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की जीत का स्ट्राइक रेट लगभग 45 फीसदी था, जबकि 2015 विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की जीत का स्ट्राइक रेट इतनी ही सीटों पर 73 फीसदी से अधिक था। 2015 में महागठबंधन की बेहतर स्ट्राइक के लिए दो फैक्टर जिम्मेदार थे। पहला, जदूय का महागठबंधन में शामिल होना और दूसरा था राजद चीफ लालू प्रसाद यादव का नेतृत्व था। इस चुनाव में तेजस्वी के नेतृत्व महागठबंधन की बड़ी हार का कारण था, जिसका जिक्र कांग्रेस भी नहीं कर रही है, जिसकों बिहार चुनाव में हार के लिए राजद निशाना बना रही है।

2020 विधानसभा चुनाव में राजद को कुल 97.40 लाख वोट मिले हैं

2020 विधानसभा चुनाव में राजद को कुल 97.40 लाख वोट मिले हैं

उल्लेखनीय है 2020 विधानसभा चुनाव में राजद को कुल 97.40 लाख वोट मिले हैं, जो कुल वोट शेयर का 23.1 फीसदी है, जो पिछले चुनाव में मिले मतों की तुलना में 25.5 फीसदी अधिक है, लेकिन 2015 चुनाव में पार्टी की लड़ी गई सीटों की संख्या में हुई 42.5 फीसदी की वृद्धि के बावजूद उसे मिले मतों की संख्या के औसत में केवल 25.5 फीसदी की वृद्धि का अंतर महज 17 फीसदी है, जो तेजस्वी में मिली महागठंबन को मिली हार को द्योतक है।

2020 में 125 सीट जीतकर एनडीए फिर सरकार बनाने में कामयाब रही

2020 में 125 सीट जीतकर एनडीए फिर सरकार बनाने में कामयाब रही

खैर अभी तो नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार एक बार बिहार में सत्तारूढ़ हो चुकी है, जिसने 125 सीट जीतकर पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाने में कामयाब रही। इस बार बिहार की एनडीए सरकार में 74 सीटकर बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में है, तो बिहार में पहली बार दो डिप्टी सीएम सरकार में शामिल किए गए है, क्योंकि बीजेपी बिहार में 2025 विधानसभा चुनाव में अपने बूते सरकार बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

रिकॉर्ड 7वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बनकर नीतीश ने कीर्तिमान रच दिया

रिकॉर्ड 7वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बनकर नीतीश ने कीर्तिमान रच दिया

वहीं, 43 सीट जीतकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रिकॉर्ड सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बनकर कीर्तिमान रच दिया है। नीतीश चुनावी कैंपेन में कह चुके हैं कि यह शायद उनका आखिरी चुनाव होगा, तो कयास लगाए जाने लगे हैं कि बिहार में जदूय का नेतृत्व कोई और संभाल सकता है। ऐसी स्थिति का फायदा उठाने के लिए बीजेपी ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में सरकार बनाने के अपने निर्णय पर कायम रहीं।

कम सीटों के बावजूद नीतीश को मुख्यमंत्री बनाना बीजेपी की मजबूरी थी

कम सीटों के बावजूद नीतीश को मुख्यमंत्री बनाना बीजेपी की मजबूरी थी

यह भी कहा जा सकता है कि यह बीजेपी की मजबूरी भी थी, क्योंकि अगर बीजेपी जदयू को दगा देने की सोचती तो महाराष्ट्र की तरह उसे बिहार में सत्ता से बाहर होने का खतरा था। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 में एनडीए गठबंधन में रही शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद को लेकर पाला बदल कर बीजेपी को सत्ता से बाहर कर दिया था, जबकि बीजेपी और शिवसेना क्रमशः पहले और दूसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी थीं।

Comments
English summary
The performance of the Rashtriya Janata Dal-led Mahagathbandhan in the Bihar Assembly Elections 2020 was extremely poor, despite the fact that its electoral pundits read stories under the leadership of Tejashwi Yadav, while the truth is that not only the Mahagathbandhan led by Tejashwi Yadav, but the performance of the RJD Also, the Bihar assembly election 2015 has been extremely embarrassing. If we look at the figures, you will find that the performance of all political parties including the RJD and the Congress in the grand alliance has recorded a big decline in the Bihar elections in the 2020 elections.
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