उद्धव ठाकरे ने राम मंदिर निर्माण को लेकर दिया बड़ा बयान, शिवसैनिकों को किया अलर्ट
नई दिल्ली: शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने पार्टी बैठक में कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला कुछ भी आए, लेकिन जिस तरह से अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला केंद्र सरकार के किया उसी हिम्मत से राम मंदिर का निर्माण भी शुरू करवाए। उन्होंने कहा कि कोर्ट में राम मंदिर को लेकर रोज सुनवाई हो रही है और फैसला कभी भी आ सकता है।
'राम मंदिर की पहली ईट रखने को तैयार रहें शिवसैनिक'
उद्धव ठाकरे ने शिवसैनिकों से कहा कि कोर्ट का फैसला कभी भी आ सकता है, इस वजह से वो राम मंदिर की पहली ईंट रखने को तैयार रहें। वहीं एक बार फिर से अयोध्या जमीन विवाद मामले में एक नया मोड़ आता दिख रहा है। इस पूरे मामले की दोबारा मध्यस्थता की मांग की गई है। यह मांग सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने की है और इसे लेकर मध्यस्थता पैनल के तीन जजों को चिट्ठी भी लिखी है। सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई कर सकता है।
'बहस करना मुश्किल'
इससे पहले अयोध्या भूमि विवाद मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट में कुछ दिन पहले ही मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने अपनी कानूनी टीम के क्लर्क को धमकी की जानकारी कोर्ट को दी थी। धवन ने कोर्ट से कहा था कि ऐसे गैर-अनुकूल माहौल में बहस करना मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि यूपी में एक मंत्री ने कहा है कि अयोध्या हिंदुओं की है, मंदिर उनका है और सुप्रीम कोर्ट भी उनका है। मैं अवमानना के बाद अवमानना दायर नहीं कर सकता है।
'कोर्ट के बाहर क्लर्क की पिटाई'
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक धवन ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया कि बुधवार को कोर्ट के परिसर में कुछ लोगों ने उनके लिपिक की पिटाई कर दी थी। इस पर सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा था कि कोर्ट के बाहर इस तरह के व्यवहार की निंदा करते हैं, देश में ऐसा नहीं होना चाहिए। हम इस तरह के बयानों को रद्द करते हैं। दोनों पक्ष कोर्ट में बिना किसी डर के अपनी दलीलें अदालत के समक्ष रखने के लिए स्वतंत्र हैं।
'बुधवार को हुई सुनवाई'
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया न गोगोई ने वकील राजीव धवन से पूछा था कि क्या वो सुरक्षा चाहते हैं? इस पर धवन ने इनकार कर किया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट का ये भरोसा दिलाना ही काफी है। बुधवार को 21 वें दिन की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की तरफ से पेश वकील राजीव धवन ने कहा था कि संविधान पीठ को दो मुख्य बिन्दुओं पर ही विचार करना है। पहला विवादित स्थल पर मालिकाना हक किसका है और दूसरा क्या गलत परम्परा को जारी रखा जा सकता है।
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