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बाल ठाकरे के तीसरे बेटे हैं उद्धव, संपत्ति को लेकर हुआ था बड़े भाई से विवाद, जानिए कुछ अनकहीं बातें

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मुंबई। महाराष्ट्र में आज से एक नए राजनीतिक युग की शुरुआत हो चुकी है, देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे के बाद राज्य में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार बनने जा रही है। शिवसेना प्रमुख गुरुवार को राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। ये पहली बार होगा जब महाराष्ट्र में ठाकरे परिवार का कोई सदस्य मुख्यमंत्री पद की शपथ लेगा, हालांकि उद्धव ठाकरे शिवसेना से अब तक के तीसरे नेता हैं, जो कि सीएम की कुर्सी संभालने जा रहे हैं।

बाला साहेब की तीसरे बेटे हैं उद्धव ठाकरे

बाला साहेब की तीसरे बेटे हैं उद्धव ठाकरे

पिता बाला साहेब की विरासत को आगे बढ़ाने वाले उद्धव ठाकरे, शिवसेना के संस्थापक के तीसरे बेटे हैं, उनके दो बड़े भाईयों का नाम बिंदुमाधव और जयदेव हैं, जिसमें से बिंदुमाधव की कुछ वर्ष पहले एक कार एक्सीडेंट में मौत हो चुकी है, जबकि जयदेव ठाकरे का नाम साल 2012 में तब सुर्खियों में आया था, जब बाल ठाकरे के निधन के बाद उन्होंने प्रापर्टी को लेकर कोर्ट में दावा ठोंका था। जयदवे का आरोप था कि उद्धव ठाकरे को ज्यादा संपत्ति में हिस्सा मिला है, जो कि गलत है।

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कितनी बताई जाती है बाल ठाकरे की संपत्ति?

कितनी बताई जाती है बाल ठाकरे की संपत्ति?

कहा जाता है कि बाल ठाकरे का जब निधन हुआ था तब उनके पास 14.85 करोड़ रुपए के बैंक डिपॉजिट्स था, 150 करोड़ रुपए मूल्य का दादर स्थित सेना भवन, 30 करोड़ रुपए मूल्य के पार्टी के बाकी छोटे दफ्तर, मातोश्री बंगला, पनवेल स्थित 5 करोड़ रुपए का फार्म हाउस, करजत का फार्म हाउस और भंडारदारा में जमीन थी, जिसमें से उन्होंने आधे से भी ज्यादा हिस्सा उद्धव ठाकरे को दिया था, जबकि कुछ हिस्सा जयदेव की दूसरी लेकिन तलाकशुदा पत्नी स्मिता ठाकरे के बेटे ऐश्वर्य को दिया था।

यह था विवाद?

यह था विवाद?

उद्धव ठाकरे ने जनवरी 2014 में बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रोबेट पिटीशन दाखिल की थी, जिसमें कहा गया था कि बाल ठाकरे का 86 साल की उम्र में 17 नवंबर, 2012 को निधन हुआ था लेकिन ठाकरे इससे पहले 13 दिसंबर, 2011 को वसीयत लिख चुके थे।उद्धव का दावा था कि ठाकरे अपने पीछे जो संपत्ति छोड़ गए, उसका मूल्य 14.85 करोड़ रुपए ही है जबकि जयदेव का दावा था कि सिर्फ मातोश्री बंगला ही 40 करोड़ रुपए का है। बाकी संपत्ति मिलाकर मूल्य 100 करोड़ रुपए से भी ज्यादा है। जयदेव का कहना था कि ठाकरे की दिमागी हालत ठीक नहीं थी, वे वसीयत पर दस्तखत करने की स्थिति में ही नहीं थे। उनकी यह भी दलील थी कि उनके पिता ने अपना पूरा जीवन मराठी लोगों और मराठी भाषा को समर्पित कर दिया। ऐसे में उनका वसीयत को अंग्रेजी में लिखकर मराठी में दस्तखत करना सही नहीं लगता।

बाद में जयदेव ने याचिका वापस ले ले ली

बाद में जयदेव ने याचिका वापस ले ले ली

बाल ठाकरे ने जयदेव को कुछ नहीं दिया था, क्योंकि उनका कहना था कि जयदेव केवल अपनी मर्जी की चलाते हैं, वो काफी वक्त पहले मातोश्री छोड़कर चले गए थे इसलिए वो इस विरासत के हिस्सेदार नहीं हैं।

पिता बाला साहेब ने ही जयदेव को कुछ नहीं दिया

हाईकोर्ट में सौंपी गई वसीयत के मुताबिक, बाल ठाकरे ने मातोश्री बंगला उद्धव और उनके परिवार के नाम किया। इसके अलावा, करजत का फार्म हाउस और भंडारदारा की जमीन भी उद्धव को दी। ठाकरे ने मातोश्री बंगले का ग्राउंड फ्लोर पार्टी की सामाजिक-राजनीतिक गतिविधियों के लिए रखा और दूसरी मंजिल और तीसरी मंजिल उद्धव के परिवार को दी है। हालांकि साल 2018 में जयदेव ठाकरे ने बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका वापस लेकर विवाद को समाप्त कर दिया था।

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English summary
Uddhav Thackeray, Third Son of Shiv Sena founder Balasaheb Thackeray had some Propperty Issue with his brother Jaidev, Read Unknown facts
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