उद्धव ठाकरे को EC के फैसले से बड़ी राहत, महाराष्ट्र में विधान परिषद चुनाव 21 मई को
नई दिल्ली- चुनाव आयोग के फैसले से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की कुर्सी बचे रहने की उम्मीद जग गई है। आयोग ने 21 मई को ही महाराष्ट्र विधान परिषद का चुनाव करा लेने का फैसला किया है। उद्धव को भी मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए 27 मई से पहले महाराष्ट्र विधानसभा के दोनों सदनों में से एक का सदस्य बन जाना अनिवार्य था। शुक्रवार को हुई चुनाव आयोग की एक बैठक में इसका फैसला लिया गया है। इससे पहले महाराष्ट्र के राज्यपाल बीएस कोश्यारी ने चुनाव आयोग से अनुरोध किया था कि राज्य में विधान परिषद की खाली सीटों पर जल्द से जल्द चुनाव कर राज्य की राजनीतिक अनिश्चितता को दूर करने की कोशिश करे।
उद्धव ठाकरे को EC के फैसले से बड़ी राहत
चुनाव आयोग के फैसले के बाद महाराष्ट्र विधान परिषद का चुनाव आज से 21 दिन बाद यानि 21 मई को हो जाना है। बता दें कि राज्य में विधान परिषद की 9 सीटें पिछले 24 अप्रैल को ही खाली हो गई थीं। इससे पहले महाराष्ट्र के गवर्नर बीएस कोश्यारी ने चुनाव आयोग से निवेदन किया था कि राज्य में राजनीतिक अनिश्चतता खत्म करने के लिए विधान परिषद की 9 सीटों पर चुनाव की घोषणा करे। बता दें कि भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा इस वक्त लॉकडाउन की वजह से अमेरिका में फंसे हुए हैं और वे चुनाव आयोग की बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुए। गौरतलब है कि पिछले साल 28 नवंबर को उद्धव ठाकरे ने जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, तब वह राज्य विधानसभा के किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे। चुनाव आयोग के फैसले के बाद महाराष्ट्र विधान परिषद का चुनाव आज से 21 दिन बाद यानि 21 मई को हो जाना है। बता दें कि राज्य में विधान परिषद की 9 सीटें पिछले 24 अप्रैल को ही खाली हो गई थीं। इससे पहले महाराष्ट्र के गवर्नर बीएस कोश्यारी ने चुनाव आयोग से निवेदन किया था कि राज्य में राजनीतिक अनिश्चतता खत्म करने के लिए विधान परिषद की 9 सीटों पर चुनाव की घोषणा करे। बता दें कि भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा इस वक्त लॉकडाउन की वजह से अमेरिका में फंसे हुए हैं और वे चुनाव आयोग की बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुए। गौरतलब है कि पिछले साल 28 नवंबर को उद्धव ठाकरे ने जब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, तब वह राज्य विधानसभा के किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे।
27 तारीख तक उद्धव का चुनाव जीतना जरूरी
संविधान के तहत उद्धव को शपथ लेने के 6 महीने के भीतर विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य निर्वाचित होना अनिवार्य है। उनकी ये मियाद 27 मई को पूरी हो रही है। ठाकरे की योजना थी कि 24 अप्रैल को जब 9 विधान परिषद सीट खाली होंगी तो वे उसके जरिए सदन के सदस्य चुन लिए जाएंगे। लेकिन, कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते चुनाव आयोग ने विधान परिषद चुनाव को स्थगित कर दिया था। इसके बाद उद्धव ठाकरे की ओर से राज्यपाल कोटे से विधान परिषद में मनोनीत होने की कोशिशें भी हो रही थीं। राज्य कैबिनेट ने इसपर फैसला भी किया था और राज्यपाल को इसकी जानकारी भी दी थी। लेकिन, लगातार देरी होते जाने की वजह से राज्य में राजनीतिक अनिश्चितता का माहौल बनने लगा था। क्योंकि, अगर उद्धव ठाकरे 27 मई से पहले किसी भी सदन का सदस्य नहीं बनेंगे तो उन्हें अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ेगी।
पीएम मोदी से भी बात कर चुके थे उद्धव
चुनाव आयोग के इस फैसले ने उद्धव ठाकरे और उनकी महा अघाड़ी सरकार को नई उम्मीदें दे दी हैं। चुनाव आयोग की ओर से 27 मई से काफी पहले यानि 21 मई को ही वोटिंग कराने का फैसला करके सीएम उद्धव और उनके सरकार की टेंशन खत्म कर दी है। इससे पहले शुक्रवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल बीएस कोश्यारी से राजभवन जाकर मुलाकात की थी। दो दिन पहले उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी बात की थी। उस बातचीज में उद्धव ने पीएम मोदी को बताया था कि महाराष्ट्र को राजनीतिक संकट में डालने की कोशिशें हो रही हैं।
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