#U19CWCFinal: जीत के बाद बोले कोच राहुल द्रविड़, मुझे सच में इन लड़कों पर गर्व है
भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 8 विकेट से हराकर अंडर-19 वर्ल्ड कप खिताब चौथी बार अपने नाम कर लिया है।
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नई दिल्ली। पृथ्वी शॉ की अगुआई में भारतीय टीम चौथी बार अंडर 19 वर्ल्ड कप विजेता बनी है। 'मिस्टर भरोसेमंद' राहुल द्रविड़ द्वारा तैयार यह टीम 2012 के बाद पहली बार चैंपियन बनी है। इस जीत के बाद से लगातार राहुल द्रविड़ को बधाइयां मिल रही है। भारत की इस जीत में कोच राहुल द्रविड़ की अहम भूमिका मानी जा रही है। द्रविड़ की कोचिंग में पिछली बार (2016) में भारत यह खिताब हासिल करने से चूक गया था लेकिन इस बार यंग टीम इंडिया चैंपियन बनी। टीम के कोच राहुल द्रविड़ अपनी टीम के प्रदर्शन से बहुत खुश नजर आए।
'मुझे सच में इन लड़कों पर बहुत गर्व है'
राहुल द्रविड़ ने मैच के बाद कहा, 'मुझे सच में इन लड़कों पर बहुत गर्व है। जिस तरह से इन लोगों ने टूर्नामेंट में प्रदर्शन किया वो शानदार है। उनके लिए इससे ज्यादा खुश नहीं हो सकता हूं मैं। मुझे उम्मीद है कि वो इस पल को लंबे समय तक याद रखेंगे। उम्मीद है कि इस तरह के कई पल उनकी जिंदगी में आएंगे। मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहूंगा, सपोर्ट स्टाफ ने भी बहुत अच्छा काम किया। हमने अपने लड़कों के लिए जो बेस्ट था वो किया।'
भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 8 विकेट से हराकर अंडर-19 वर्ल्ड कप खिताब चौथी बार अपने नाम कर लिया है
भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 8 विकेट से हराकर अंडर-19 वर्ल्ड कप खिताब चौथी बार अपने नाम कर लिया है। इसके साथ ही भारत ने अंडर-19 वर्ल्ड कप का खिताब सबसे ज्यादा बार जीतने का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया। भारत ने एकतरफा से रहे मुकाबले में 217 रनों के लक्ष्य को 38.5 ओवर में दो विकेट गंवाकर ही हासिल कर लिया। भारतीय टीम को अपनी शानदार बल्लेबाजी से कई मुकाबलों में जीत दिलाने वाले राहुल शरद द्रविड़ ने अब अपनी कोचिंग में भारत को अंडर-19 विश्व चैंपियन बनाया। द्रविड़ के मेहनत का ही यह नजीता है कि लगातार दूसरी बार भारत ने ना सिर्फ टूर्नामेंट के फाइनल का तक का सफर तय किया बल्कि इस बार खिताब हासिल किया।
2016 की तर्ज पर इस बार भी बिना कोई मैच गंवाए फाइनल में कदम रखा
भारतीय टीम ने साल 2016 की तर्ज पर इस बार भी बिना कोई मैच गंवाए फाइनल में कदम रखा। पूरे टूर्नामेंट में द्रविड़ ने गेंदबाजी, बल्लेबाजी और फिल्डिंग हर एक पहलू पर ध्यान दिया। पृथ्वी की कप्तानी पर पूरी तरह से द्रविड़ छाप नजर आई। गेंदबाजी में बदलाव करना हो या फिर फिल्डर्स को बदलना द्रविड़ मैदान से बाहर बैठे-बैठे सारी रणनीति तैयार करते रहे। पिछली बार जिन कारणों से भारतीय टीम खिताब जीतने से चूकी थी कोच द्रविड़ ने इस बार उनको दूर किया। टीम की हर छोटी से छोटी गलती को दूर करते हुए आखिरकार उन्होंने टीम को अपनी कोचिंग में विश्व चैंपियन बनाकर ही दम लिया। द्रविड़ को इंडियन क्रिकेट में 'द वॉल' के नाम के जाना जाता है। मैदान पर डटे रहने की जिद की वजह से ही राहुल को यह नाम मिला था।
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