चीन से सटे बॉर्डर पर 4 रेलवे प्रोजेक्ट अटके, 2 साल पहले मंजूर फंड अब तक नहीं मिला
नई दिल्ली। चीन के साथ भारत का टकराव जगजाहिर है। पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण तक चीन को बड़ा खतरा मानते हैं। डोकलाम के बाद से लगातार रक्षा विशेषज्ञ चेता रहे हैं कि हमें ड्रैगन से निपटने के लिए युद्धस्तर पर तैयारियां करनी चाहिए। लेकिन क्या हम उतनी तेजी के साथ चीन से निपटने के लिए तैयार हैं? इंडियन एक्सप्रेस की ताजा रिपोर्ट में सामने आए तथ्यों को देखें, तो चीन से सटी सीमा पर आधारभूत ढांचे की रफ्तार बड़ी ही सुस्त गति से चलती दिख रही है। खबर है कि चीन बॉर्डर से सटे इलाके में रेलवे लाइनों के निर्माण का कार्य फंड न होने की वजह से अटका पड़ा है। ये रेलवे लाइनें भारत के लिए सामरिक लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण हैं। इन्हें बनाने में 2.1 लाख करोड़ रुपए खर्च आना है। हैरानी की बात यह है कि दो साल पहले ही कैबिनेट इस कार्य के लिए फंड को मंजूरी दे चुकी है। इसके बाद भी अब तक काम आगे नहीं बढ़ा है।
ये हैं वो चार रेलवे प्रोजेक्ट, जिनका है सामरिक महत्व
रिपोर्ट के अनुसार, सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCS)ने 2015 में चार रेलवे लाइन के निर्माण को मंजूरी दी थी। जिन प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी गई है, उनमें 378 किलोमीटर लंबी मिसामारी-तेंगा-तवांग लाइन, 498 किलोमीटर लंबी बिलासपुर-मनाली-लेह लाइन, 227 किलोमीटर लंबी पसिघाट-तेजू-रूपाई लाइन और 249 किलोमीटर लंबी उत्तर लखीमपुर-बामे-सिलापत्थर रेलवे लाइन शामिल हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इन रेलवे लाइनों का अभी तक फाइनल लोकेशन सर्वे (FLS) ही किया जा रहा है।
2010 में मिली थी 28 रेल मार्गों को सैद्धांतिक मंजूरी
जानकारी
के
मुताबिक,
रक्षा
मंत्रालय
ने
2010
में
बॉर्डर
से
इलाकों
में
28
रेल
मार्गों
के
निर्माण
को
सैद्धांतिक
तौर
पर
मंजूरी
दी
थी।
अभी
तक
14
रेलमार्गों
का
प्रारंभिक
सर्वे
हो
चुका
है,
लेकिन
अभी
तक
इसके
आगे
काम
नहीं
बढ़ा
है।
इंडियन
एक्सप्रेस
का
दावा
है
कि
कैबिनेट
सचिव
की
अध्यक्षता
में
बॉर्डर
इंफ्रास्ट्रक्चर
से
जुड़ी
कमेटी
में
कई
बार
जिक्र
हुआ,
लेकिन
इस
मामले
में
अभी
तक
बात
चर्चा
से
आगे
नहीं
बढ़
सकी।
कमेटी तो बनी पर नहीं हो सका फंड का इंतजाम
खबर के मुताबिक, चारों रेल लाइनों के निर्माण पर करीब 2.1 लाख करोड़ रुपये अनुमानित खर्च आना है। इस प्रोजेक्ट के लिए पैसा कहां से दिया जाए, इसके लिए कमेटी भी बनाई गई थी, लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकल पाया है।